Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सियासी विवाद गहराया: सांसद निशिकांत दुबे के बयान से भाजपा ने बनाई दूरी
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति को विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय-सीमा निर्धारित करने के आदेश पर राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बाद अब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर आपत्ति जताई है।

निशिकांत दुबे ने तीखा बयान देते हुए कहा, “भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, ऐसे में CJI किसी अपॉइंटिंग अथॉरिटी को कैसे निर्देश दे सकते हैं? संसद देश में कानून बनाती है। क्या अब सुप्रीम कोर्ट संसद को भी निर्देश देगा? देश में गृह युद्ध के लिए अगर कोई जिम्मेदार होगा तो वो मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना होंगे, और धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए सुप्रीम कोर्ट जिम्मेदार होगा।
उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार अपनी सीमाओं से बाहर जा रहा है। “अगर हर विषय के लिए देश की जनता को सुप्रीम कोर्ट ही जाना पड़े, तो फिर संसद और विधानसभाएं बंद कर देनी चाहिए।
समलैंगिकता और आईटी एक्ट का भी किया जिक्र
अपने बयान में दुबे ने आर्टिकल 377 और आईटी एक्ट 66A का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा, “एक वक्त था जब समलैंगिकता अपराध मानी जाती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक दिन अचानक आर्टिकल 377 खत्म कर दिया। अमेरिका में भी ट्रंप सरकार ने कहा था कि दुनिया में केवल दो ही लिंग हैं—पुरुष और महिला। लेकिन हमारे यहां कोर्ट ने तीसरे को भी मान्यता दे दी। ऐसा ही आईटी एक्ट में भी हुआ। महिलाओं और बच्चों के पोर्न को रोकने के लिए 66A लाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे भी खत्म कर दिया।
उन्होंने आर्टिकल 141 और 368 का हवाला देते हुए कहा कि “संसद को कानून बनाने का अधिकार है और सुप्रीम कोर्ट को उसकी व्याख्या करने का अधिकार है, लेकिन आज कोर्ट खुद कानून बना रही है।
मंदिर-मस्जिद विवाद पर टिप्पणी
दुबे ने कोर्ट पर धार्मिक मामलों में भी पक्षपात का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “जब मंदिर-मस्जिद का मामला आता है, जैसे कि राम मंदिर या कृष्ण जन्मभूमि, तो कोर्ट सबूत मांगता है। क्या लाखों साल पुरानी सनातन परंपरा को कागजों से सिद्ध किया जाएगा? ज्ञानवापी जैसे मामलों में भी कोर्ट का यही रवैया है। धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए अगर कोई संस्था जिम्मेदार है, तो वो सिर्फ और सिर्फ सुप्रीम कोर्ट है।”
भाजपा ने बनाई दूरी, नड्डा ने दिया स्पष्टीकरण
सांसद के इस विवादित बयान पर भाजपा ने फौरन दूरी बना ली। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए कहा, “निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा द्वारा न्यायपालिका और भारत के मुख्य न्यायाधीश पर दिए गए बयानों से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है। ये उनके व्यक्तिगत विचार हैं।
नड्डा ने लिखा, “भाजपा न तो ऐसे बयानों से इत्तेफाक रखती है और न ही उनका समर्थन करती है। पार्टी न्यायपालिका का सम्मान करती है और उसे लोकतंत्र का अभिन्न स्तंभ मानती है। मैंने दोनों नेताओं और अन्य सभी को इस प्रकार के बयान न देने का निर्देश दिया है।
पृष्ठभूमि: कहां से शुरू हुआ विवाद?
यह मामला तब शुरू हुआ जब सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच बिलों को मंजूरी देने को लेकर चल रहे विवाद में फैसला सुनाया। कोर्ट ने 8 अप्रैल को आदेश दिया था कि राज्यपाल के पास किसी बिल को अनिश्चितकाल तक रोके रखने का अधिकार नहीं है। इसके साथ ही राष्ट्रपति को भी किसी विधेयक पर अधिकतम तीन महीने के भीतर निर्णय लेना होगा। यह आदेश 11 अप्रैल को सार्वजनिक हुआ था, जिसके बाद यह संवैधानिक बहस और राजनीतिक प्रतिक्रिया का विषय बन गया।