संसद में बोले गजेन्द्र सिंह शेखावत, संस्कृति-सभ्यता की रक्षा के लिए हमारे परिवार ने हजार वर्षों तक दिए बलिदान
संसद में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कांग्रेस सांसद के सवाल पर कहा कि उनका परिवार हजार वर्षों से भारत की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करता आ रहा है। स्मारकों के शुल्क और संरक्षण को लेकर सरकार की स्थिति भी स्पष्ट की।
“संस्कृति-सभ्यता की रक्षा के लिए हमारे परिवार ने हजार वर्षों तक बलिदान दिए” – संसद में गजेन्द्र सिंह शेखावत
राज्यसभा संसद में कांग्रेस सांसद के सवाल पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री का भावनात्मक और स्पष्ट जवाब
नई दिल्ली : केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत गुरुवार को संसद में एक अलग और भावनात्मक अंदाज में नजर आए। राज्यसभा में स्मारकों और धार्मिक स्थलों से जुड़े एक सवाल के जवाब के दौरान उन्होंने न केवल सरकार की स्थिति स्पष्ट की, बल्कि अपने पारिवारिक और ऐतिहासिक योगदान का उल्लेख करते हुए विपक्ष के आरोपों का भी दो टूक जवाब दिया।
कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी द्वारा की गई टिप्पणी के जवाब में शेखावत ने कहा कि वह उस परिवार से आते हैं, जिसने इस देश की संस्कृति, सभ्यता और आत्मा की रक्षा के लिए हजार वर्षों तक निरंतर बलिदान दिए हैं। उन्होंने कहा कि उनकी 22 पीढ़ियां इस भूमि, इसकी परंपराओं और मूल्यों की रक्षा के लिए संघर्ष करती रही हैं।
कांग्रेस सांसद की टिप्पणी पर कड़ा ऐतराज
दरअसल, राज्यसभा में स्मारकों और धार्मिक स्थलों से संबंधित चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का नाम लेते हुए यह टिप्पणी की कि “शायद हम भावनाएं नहीं समझ पाएंगे” और यह भी कहा कि जिनका स्वतंत्रता संग्राम में योगदान नहीं रहा, वे शायद देश की विरासत का मोल नहीं समझते।

इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री शेखावत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि किसी व्यक्ति या परिवार के योगदान को इस तरह सीमित दृष्टि से देखना उचित नहीं है। उन्होंने कहा,
“यह कहना कि मैं व्यक्तिगत रूप से देश की विरासत या भावनाओं को नहीं समझ सकता, न तो तथ्यात्मक है और न ही उचित।”
“मेरे परिवार की 22 पीढ़ियों ने इस देश की रक्षा की”
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सदन में कहा कि उनका परिवार केवल स्वतंत्रता संग्राम तक सीमित योगदान नहीं रखता, बल्कि हजार वर्षों से भारत की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा करता आ रहा है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भी बीते सत्तर वर्षों में उनके परिवार के सदस्यों ने देश की सीमाओं की रक्षा के लिए निरंतर योगदान और बलिदान दिए हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि देश की विरासत को समझना केवल किसी एक कालखंड के संघर्ष से नहीं, बल्कि सदियों के सतत योगदान से जुड़ा हुआ विषय है।
स्मारकों के प्रवेश शुल्क पर सरकार की स्थिति स्पष्ट
स्मारकों और धार्मिक स्थलों पर आम जनता के लिए बढ़ाए गए प्रवेश शुल्क को लेकर उठे सवालों पर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने सदन को स्पष्ट जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रवेश शुल्क तय करना न तो सरकार का अधिकार है और न ही किसी निजी संस्था का।
उन्होंने बताया कि यह अधिकार पूरी तरह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पास है। स्मारकों से जो भी शुल्क एकत्र किया जाता है, वह सीधे भारत के समेकित कोष में जमा होता है। यह राशि न तो किसी निजी संस्था को जाती है और न ही एएसआई या किसी अन्य विभाग के स्वतंत्र उपयोग में रहती है।
निजी संस्थाओं की भूमिका केवल रख-रखाव तक सीमित
केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट किया कि स्मारकों से जुड़े किसी भी निजी या सहयोगी संस्थान की भूमिका अत्यंत सीमित होती है। उनकी जिम्मेदारी केवल रख-रखाव, स्वच्छता और प्रबंधन तक ही सीमित रहती है।
उन्होंने कहा कि इन संस्थाओं को न तो शुल्क निर्धारण का अधिकार है और न ही किसी प्रकार के व्यावसायिक लाभ की अनुमति दी गई है। इस व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की गई है।
सांस्कृतिक आयोजनों के लिए तय मानक संचालन प्रक्रिया
शेखावत ने सदन को यह भी जानकारी दी कि सरकार ने कुछ चयनित स्मारकों पर सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजन के लिए मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOPs) तैयार की हैं। इसके तहत एक सकारात्मक सूची बनाई गई है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि किस स्मारक पर किस प्रकार के आयोजन किए जा सकते हैं।
इन आयोजनों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रदर्शनी, साहित्यिक उत्सव और विरासत से जुड़े आयोजन शामिल हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि इन गतिविधियों से प्राप्त होने वाली आय एक समर्पित निधि में जमा की जाती है, जिसका उपयोग केवल उसी स्मारक के संरक्षण, रख-रखाव और प्रबंधन के लिए किया जाता है।
व्यावसायीकरण की अनुमति नहीं, पवित्रता से समझौता नहीं
केंद्रीय मंत्री ने सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत की रक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि किसी भी स्थिति में न तो स्मारकों की पवित्रता से समझौता किया जाएगा और न ही अनियंत्रित व्यावसायीकरण को अनुमति दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि सरकार पूरी गंभीरता, श्रद्धा और जिम्मेदारी के साथ भारत की सांस्कृतिक धरोहरों का संरक्षण सुनिश्चित कर रही है।
विरासत संरक्षण को लेकर सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई
अपने वक्तव्य के अंत में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि देश की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत केवल अतीत की स्मृति नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की पहचान है। सरकार इसे संरक्षित रखने के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगी।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि संसद और जनता के प्रति जवाबदेही के साथ ही सभी निर्णय लिए जा रहे हैं, ताकि भारत की विरासत सुरक्षित और सम्मानित बनी रहे।

