डिजिटल जनगणना 2027 : प्रमुख शासन सचिव भवानी सिंह देथा ने दी निर्देश, पहली बार देश में होगी डिजिटल जनगणना

जनगणना 2027 के पूर्व परीक्षण की समीक्षा बैठक में प्रमुख शासन सचिव भवानी सिंह देथा ने कहा— देश में पहली बार डिजिटल जनगणना होगी, शुद्धता और गुणवत्ता रहे प्राथमिकता।
पहली बार देश में होगी डिजिटल जनगणना, पारदर्शी और शुद्ध आंकड़ों पर रहेगा जोर :

जयपुर, 28 अक्टूबर। देश में पहली बार डिजिटल जनगणना आयोजित होने जा रही है। इस दिशा में राजस्थान ने तैयारी शुरू कर दी है। सांख्यिकी विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री भवानी सिंह देथा ने मंगलवार को प्रस्तावित जनगणना-2027 के पूर्व परीक्षण की तैयारियों की समीक्षा बैठक आयोजित की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यह कार्य राष्ट्रीय महत्व का है और इसे समर्पित भाव से क्रियान्वित किया जाए ताकि शुद्ध और गुणवत्तापूर्ण नतीजे सामने आ सकें।
तीन जिलों में होगा पूर्व परीक्षण :
बैठक में बताया गया कि प्रदेश में पूर्व परीक्षण तीन क्षेत्रों में आयोजित होगा —
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जयपुर नगर निगम हैरिटेज के किशनपोल जोन,
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नगर परिषद व तहसील बाड़मेर, और
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डूंगरपुर की तहसील गलियाकोट।
यह परीक्षण 10 नवंबर से 30 नवंबर 2025 तक चलेगा। इसका उद्देश्य आगामी जनगणना प्रक्रिया की डिजिटल प्रणाली का पूर्व मूल्यांकन और सुधार सुनिश्चित करना है।
पहली बार डिजिटल तरीके से होगी जनगणना :
प्रमुख शासन सचिव श्री भवानी सिंह देथा ने बताया कि देश में यह पहली बार होगा जब जनगणना पूरी तरह डिजिटल तकनीक से की जाएगी। इस दौरान HLO मोबाइल ऐप, सेल्फ एन्यूमरेशन (स्व-गणना) पोर्टल, और डिजिटल मैपिंग उपकरणों का प्रयोग किया जाएगा।
इससे डेटा का अधिक सुरक्षित, पारदर्शी और सटीक संग्रहण सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक तंत्र को इस नई तकनीक से प्रशिक्षित किया जाए ताकि कार्य सुचारू रूप से संपन्न हो सके।
स्व-गणना पोर्टल रहेगा सक्रिय :

जनगणना प्रक्रिया के अंतर्गत आमजन को भी इसमें भागीदार बनाया गया है। 1 नवंबर से 7 नवंबर तक ऑनलाइन पोर्टल पर स्व-गणना का विकल्प खुला रहेगा।
इसमें नागरिक स्वयं अपने परिवार की जानकारी दर्ज कर सकेंगे। इस दौरान उन्हें 34 प्रकार के प्रश्नों के उत्तर देने होंगे, जिससे उनका पूरा जनगणना डेटा ऑनलाइन अपडेट हो सके।
श्री देथा ने कहा कि “स्व-गणना लोकतांत्रिक भागीदारी का उदाहरण है। नागरिक स्वयं अपने आंकड़े प्रस्तुत करेंगे तो पारदर्शिता और विश्वसनीयता में वृद्धि होगी।”
दो चरणों में होगी जनगणना प्रक्रिया :

बैठक में जनगणना निदेशक श्री बिष्णु चरण मल्लिक ने बताया कि जनगणना 2027 दो चरणों में आयोजित होगी।
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पहला चरण (अप्रैल से सितंबर 2026) में मकानों की गणना और सूचीकरण का कार्य किया जाएगा।
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दूसरा चरण (फरवरी से मार्च 2027) में देश की जनसंख्या की गणना होगी।
उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बर्फ से ढके क्षेत्रों में यह कार्य सितंबर-अक्टूबर 2026 में किया जाएगा।
डिजिटल मॉनिटरिंग सिस्टम से होगी निगरानी :

श्री मल्लिक ने बताया कि इस बार जनगणना कार्य की प्रगति और सटीकता पर निगरानी रखने के लिए सेन्सस मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम (CMMS) पोर्टल का उपयोग किया जाएगा।
इसके माध्यम से पर्यवेक्षक और प्रगणक अपने-अपने क्षेत्रों के डेटा की निरंतर मॉनिटरिंग कर सकेंगे। इससे रियल टाइम डाटा ट्रैकिंग, एरर रिपोर्टिंग, और डेटा वैलिडेशन आसान होगा।
अधिकारियों को दिए गए निर्देश :

प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि जनगणना के कार्य के लिए योग्य और प्रशिक्षित कार्मिकों का चयन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने निर्देश दिया कि हर जिले में जनगणना प्रकोष्ठ गठित किया जाए और समयबद्ध रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
उन्होंने कहा कि यह कार्य केवल आंकड़े जुटाने का नहीं, बल्कि नीतिगत निर्णयों के लिए आधार निर्माण का कार्य है। सही डेटा से ही योजनाओं का सही क्रियान्वयन संभव है।
जनजागरूकता पर भी रहेगा फोकस
बैठक में निर्णय लिया गया कि डिजिटल जनगणना के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए मीडिया कैंपेन, पंचायत स्तर पर वर्कशॉप और सोशल मीडिया संदेशों का प्रसार किया जाएगा।
श्री देथा ने कहा कि “यह केवल सरकारी कार्य नहीं बल्कि राष्ट्रहित का दायित्व है। हर नागरिक की सक्रिय भागीदारी जरूरी है ताकि जनगणना का डेटा संपूर्ण और सटीक हो।”
ऑनलाइन व तकनीकी सहायता तंत्र पर विशेष ध्यान
राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करने वाले कार्मिकों के लिए तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाए।
आईटी टीम को डेटा सिक्योरिटी, नेटवर्क कनेक्टिविटी और सर्वर क्षमता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए गए हैं।
जनगणना की ऐतिहासिक पहल
डिजिटल जनगणना 2027 न केवल तकनीकी दृष्टि से ऐतिहासिक कदम है, बल्कि यह भारत की प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होगी।
इससे न केवल डेटा प्रोसेसिंग का समय घटेगा, बल्कि नीतिगत निर्णयों की सटीकता भी बढ़ेगी।
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