Delhi Elections 2025: सर्द मौसम में राजनीति की गर्मी का एहसास
दिल्ली में इस समय सर्दी अपने चरम पर है। लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक पारा भी चढ़ा हुआ है। चुनावी बिगुल बज चुका है। और जैसे-जैसे मतदान की तारीखें करीब आ रही हैं। सभी राजनीतिक दलों के बीच सरगर्मी तेज होती जा रही है।

भाजपा का आत्मविश्वास और ‘डबल इंजन’ सरकार का वादा
भाजपा इस बार अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियां और भाजपा के कार्यकर्ताओं का डोर-टू-डोर जनसंपर्क अभियान इसे और मजबूत कर रहा है। पार्टी का जोर दिल्ली में ‘डबल इंजन सरकार’ के वादे पर है। भाजपा और संघ के कार्यकर्ता दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। ताकि हर घर तक अपनी नीतियां और योजनाएं पहुंचाई जा सकें।
केजरीवाल की प्रतिष्ठा दांव पर
वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) ने अरविंद केजरीवाल को अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है। यह चुनाव केजरीवाल के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गया है। उनके नेतृत्व में पार्टी ने दिल्ली में काफी लोकप्रिय योजनाएं शुरू की हैं। लेकिन अब उनकी सरकार को फिर से चुनने के लिए जनता को राजी करना चुनौतीपूर्ण है। केजरीवाल अपनी रैलियों में जनता को संबोधित करते नजर आते हैं। जहां भारी भीड़ जुटती है।
कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन
कांग्रेस इस चुनावी मुकाबले में मैदान में तो है। लेकिन कमजोर नजर आ रही है। पार्टी के शीर्ष नेता सक्रिय रूप से प्रचार में नहीं दिख रहे। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कांग्रेस भी इस बार लड़ाई को भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच ही मान चुकी है।
दिल्ली का मिजाज और दलित वोटों का महत्व
दिल्ली की जनता का मिजाज इस बार कुछ अलग नजर आ रहा है। दलित वोट हमेशा से दिल्ली के चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते आए हैं। हालांकि, इस बार भाजपा कुछ दलित वोटों को अपनी ओर खींचने में सफल होती दिख रही है। इसके पीछे कारण यह है कि आम आदमी पार्टी की योजनाओं की जानकारी कई जगहों पर ठीक से नहीं पहुंच पाई है।
आम आदमी पार्टी बनाम भाजपा: कौन होगा विजेता?
अरविंद केजरीवाल इस चुनाव में कोई भी कसर नहीं छोड़ना चाहते। अगर AAP को हार का सामना करना पड़ा, तो यह न केवल उनकी सरकार बल्कि उनकी राजनीति के लिए भी बड़ा झटका होगा। दूसरी ओर, भाजपा की रणनीति और मोदी के समर्थन से वह दिल्ली को अपने कब्जे में लेना चाहती है।