Jaipur Galta Peeth Temple Dispute: जयपुर के गलता पीठ में शिव मंदिरों को लेकर विवाद: पुजारी परिवार ने कलेक्टर ऑफिस में की न्याय की गुहार
jaipur राजधानी जयपुर स्थित गलता पीठ मंदिर में दो शिव मंदिरों को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। गलता जी के दक्षिण दिशा में स्थित इन ऐतिहासिक मंदिरों की पूजा-अर्चना का कार्य पुजारी सुनील पाराशर और उनके परिवार द्वारा सात पीढ़ियों से किया जा रहा था।
कोरोना महामारी के दौरान गलता पीठ के महाराज अवधेशाचार्य (Awadheshacharya) ने आदेश जारी किया कि कोई भी परिवार मंदिर में पूजा नहीं करेगा। इसके बाद महाराज ने इन दोनों शिव मंदिरों पर अपना अधिकार कर लिया और पुजारी परिवार को पूजा-अर्चना से वंचित कर दिया।
इस आदेश के कारण पाराशर परिवार की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई। क्योंकि वे मंदिर से मिलने वाले अन्न, दान और धार्मिक गतिविधियों पर निर्भर थे। पूजा बंद होने से परिवार को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।
कोर्ट का आदेश और प्रशासन की कार्रवाई
विवाद बढ़ने के बाद मामला अदालत में पहुंचा। 2022 में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पाराशर परिवार को फिर से पूजा-अर्चना करने का अधिकार दिया। कोर्ट के आदेश के बाद परिवार ने मंदिर में पूजा कार्य शुरू कर दिया।
लेकिन इसके बाद प्रशासन और पुलिस ने दखल दिया। परिवार का आरोप है कि उन्हें धमकाया गया और जबरन मंदिर से बाहर निकालने की कोशिश की गई। मामला यहीं नहीं रुका प्रशासन ने मंदिर का अधिग्रहण कर लिया और महाराज अवधेशाचार्य (Awadheshacharya) के सहयोगियों के नाम मंदिर में दर्ज कर दिए। पुजारी परिवार का कहना है कि उनके नाम का कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया। जिससे वे आहत और निराश हैं।
पुजारी परिवार की अपील
अब सुनील पाराशर(Sunil Parashar) और उनके परिवार ने जिला कलेक्टर कार्यालय में न्याय की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि मंदिर उनकी सात पीढ़ियों की सेवा का केंद्र है और इसे उनसे छीन लेना अन्याय है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराज अवधेशाचार्य (Awadheshacharya) और उनके समर्थक अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मंदिरों पर कब्जा कर रहे हैं।
प्रशासन और गलता पीठ का पक्ष
प्रशासन ने विवाद के बढ़ते हुए स्वरूप को देखते हुए मंदिर को अपने अधीन कर लिया है। हालांकि प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर विस्तृत प्रतिक्रिया नहीं दी है। वहीं गलता पीठ के महाराज अवधेशाचार्य (Awadheshacharya) की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
पुजारी परिवार ने स्पष्ट कहा है कि वे अपने अधिकार और पुश्तैनी सेवा को बचाने के लिए संघर्ष करते रहेंगे। उनका कहना है कि न्यायपालिका के आदेश का सम्मान होना चाहिए और मंदिर में उनकी पूजा-अर्चना का अधिकार बहाल किया जाना चाहिए।