Diya Kumari condemns Rahul Gandhi’s: उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने दौसा में राहुल गांधी पर किया तीखा हमला: महिला सशक्तिकरण पर दी अहम बात
दिया कुमारी ने राहुल गांधी के एक लेख पर यह हमला बोला है। जिसमें कांग्रेस सांसद ने केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना की थी। दरअसल राहुल गांधी ने केंद्र सरकार को कई मुद्दों पर घेरते हुए लेख लिखा था। उन्होंने भारत के पूर्व राजपरिवारों को बदनाम करने का आरोप लगाया।
राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी गुरुवार को दौसा पहुंची। जहां उन्होंने भाजपा महिला मोर्चा के सम्मेलन को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला और उनके एक हालिया लेख को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी।
दीया कुमारी ने राहुल गांधी के उस लेख का जिक्र किया। जिसमें उन्होंने दावा किया था कि राजा-महाराजाओं ने अंग्रेजों के साथ मिलकर रिश्वत ली और उनका साथ दिया। इस पर तीखे तेवर दिखाते हुए दीया कुमारी ने कहा। “अरे महापुरुष! इतिहास तो पढ़ लिया होता।” उन्होंने राहुल गांधी की टिप्पणियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि वह सही इतिहास को समझते तो ऐसा बयान नहीं देते।
इसके बाद दीया कुमारी ने महिला सशक्तिकरण और राजनीति में महिलाओं की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा, “महिला का राजनीति से जुड़ना और पुरुष का राजनीति से जुड़ना अलग-अलग बात होती है। महिला को परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए राजनीति और सामाजिक जीवन में संतुलन बनाना बहुत बड़ी बात है।”
उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि महिलाओं ने भारतीय राजनीति में बहुत योगदान दिया है और उन्होंने कई नेताओं को विधानसभा और लोकसभा तक पहुंचाया है। अब दिन दूर नहीं जब महिलाएं खुद विधानसभा और लोकसभा में अधिक संख्या में पहुंचेंगी। दीया कुमारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने 33 प्रतिशत महिला आरक्षण दिया है। जिससे महिलाएं राजनीति में और अधिक भागीदारी निभा सकेंगी।”
राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर भी शेयर किया था लेख
राहुल गांधी ने इस लेख को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया था। उन्होंने लिखा, ‘ईस्ट इंडिया कंपनी ने हमारे देश के राजाओं और नवाबों के साथ साझेदारी कर, उन्हें रिश्वत देकर या फिर डरा-धमकाकर इस देश पर नियंत्रण किया. उन्होंने हमारे देश के बैंकिंग प्रशासनिक और सूचना तंत्र पर नियंत्रण किया. हम किसी देश से अपनी आजादी नहीं हारे बल्कि हमें एक एकाधिकारवादी निगम ने हराया और फिर दमनकारी तंत्र चलाया।अब मूल ईस्ट इंडिया कंपनी तो खत्म हो गई है।लेकिन अब उसकी जगह एकाधिकारवादियों की नई नस्ल ने ले ली है।