The Law is Not Blind: अब कानून अँधा नहीं: ‘न्याय की देवी’ की आखों की खोली गयी पट्टी: जाने मूर्ति में बदलाव करने का क्या है मकसद
सुप्रीम कोर्ट में ‘न्याय की देवी’ वाली प्रतिमा में बड़े बदलाव किए गए हैं. अबतक इस प्रतिमा पर लगी आंखों से पट्टी हटा दी गई है. वहीं, हाथ में तलवार की जगह भारत के संविधान की कॉपी रखी गई है। सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों का कहना है कि यह नई प्रतिमा पिछले साल बनाई गई थी और इसे अप्रैल 2023 में नई जज लाइब्रेरी के पास स्थापित किया गया था. लेकिन अब इसकी तस्वीरें सामने आई हैं जो वायरल हो रही है।
यह वाक्य न्यायपालिका के बदलाव और न्याय की प्रक्रिया में सुधार को दर्शाता रहा है। अब कानून केवल औपचारिकता नहीं रह गया है, बल्कि यह सच्चाई और निष्पक्षता के साथ काम कर रहा है। जब न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटा दी जाती है, तो यह संकेत है कि न्याय अब किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात से मुक्त है। संविधान के माध्यम से न्याय का स्थान मजबूत हुआ है, और यह समाज में समानता और अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बन गया है।
आंखों पर पट्टी क्यों थी?
न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी क्यों बंधी होती है, इसका जवाब भी दिलचस्प है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किसी को देखकर न्याय करना एक पक्ष में जाना हो सकता है। आंखों पर पट्टी बंधे होने का मतलब है कि न्याय की देवी हमेशा निष्पक्ष होकर न्याय करेंगी। इस तरह, जस्टिया की मूर्ति हमें याद दिलाती है कि सच्चा न्याय निष्पक्ष और बिना किसी भेदभाव के होना चाहिए।
मूर्ति में बदलवा करने का क्या है मकसद
इसका मकसद यह है अब भारत में कानून अंधा नहीं है। नई मूर्ति को सुप्रीम कोर्ट के जजों की लाइब्रेरी में लगाया गया है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद इस मूर्ति को बनाने का आदेश दिया था। दरअसल पुरानी मूर्ति में दिखाया गया अंधा कानून और सजा का प्रतीक आज के समय के हिसाब से सही नहीं था, इसलिए ये बदलाव किए गए हैं।पहले की मूर्ति में आंखों पर पट्टी का मतलब था कि कानून सबके साथ एक जैसा व्यवहार करता है। हाथ में तलवार दिखाती थी कि कानून के पास ताकत है और वो गलत करने वालों को सजा दे सकता है। हालांकि नई मूर्ति में एक चीज़ जो नहीं बदली है वो है तराजू। मूर्ति के एक हाथ में अब भी तराजू है। यह दिखाता है कि न्यायालय किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले दोनों पक्षों की बात ध्यान से सुनता है। तराजू संतुलन का प्रतीक है।
इंसाफ की देवी की प्रतिमा में बदलाव किए गए हैं. नई प्रतिमा को भारत के चीफ जस्टिस (CJI) की पहल पर स्थापित कराया गया है. इसको लेकर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने निर्देश दिए थे. इस बदलाव का मुख्य लक्ष्य ये बताना है कि देश का कानून सबसे लिए बराबर है, और वो अंधा नहीं है ।