RG Kar hospital: अस्पताल में लगी ट्रेनी डॉक्टर की प्रतिमा पर भड़के लोग: यह प्रतिमा पीड़िता की नहीं: बल्कि यह उस दर्द और यातना का प्रतीक है
Cry of the Hour statue at RG Kar hospital: अगस्त में कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई ट्रेनी डॉक्टर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर विवाद खड़ा हो गया है ।
कलाकार असित सैन के अनुसार, ‘क्राई ऑफ द ऑवर’ (Cry of the Hour) नामक इस प्रतिमा में पीड़िता के जीवन के अंतिम क्षणों में उसकी पीड़ा और भय को दर्शाया गया है. स्थापित इस प्रतिमा में एक महिला को रोते हुए दिखाया गया है और इसे उस इमारत के पास स्थान दिया गया है जिसमें आर.जी. कर के प्रिंसिपल का कार्यालय है।
अस्पताल के एक जूनियर डॉक्टर ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘यह प्रतिमा पीड़िता की नहीं है, बल्कि यह उस दर्द और यातना का प्रतीक है, जिससे वह गुजरी और यह उस विरोध प्रदर्शन का प्रतीक है, जो वहां चल रहा है।
सोशल मीडिया पर लोगों ने की आलोचना
हालांकि, प्रशिक्षु डॉक्टर की प्रतिमा की स्थापना की सोशल मीडिया पर कई लोगों ने आलोचना की है और इसे ‘अपमानजनक’ और ‘परेशान करने वाला’ बताया है. एक यूजर ने ट्वीट किया, ‘क्या आप चाहते हैं कि उनकी प्रतिमा स्थापित की जाए? उनके पीड़ा भरे चेहरे को दिखाना या कुछ और शो करने से अच्छा है और बेहतर करें. यह जो भी हो, यह बेहद परेशान करने वाला है ।
एक अन्य ने लिखा, ‘यह कितना असंवेदनशील है, इस पर हैरान परेशान हूं. किसी के दर्द को अमर कर दिया जाना, यह भी यौन शोषण है. मुझे उम्मीद है कि इस घृणित मूर्ति को नष्ट कर दिया जाएगा.’
एक अन्य ने कहा, ‘इस देश के डॉक्टर इतने उदासीन हैं. आप बलात्कार पीड़िता पर आधारित ऐसी प्रतिमा क्यों बनाएंगे ।
दिशा-निर्देशों के खिलाफ
तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने भी प्रशिक्षु डॉक्टर की प्रतिमा स्थापित करने को लेकर डॉक्टरों की आलोचना की और कहा कि पीड़िता का नाम और पहचान उजागर करना सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के खिलाफ है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति ऐसा नहीं कर सकता. कला के नाम पर भी नहीं. विरोध प्रदर्शन होंगे और न्याय की मांग होगी. लेकिन दर्द में लड़की के चेहरे के साथ मूर्ति ठीक नहीं है. पीड़िता की तस्वीरों या मूर्तियों का उपयोग न करने के दिशा-निर्देश हैं ।
आरजी कर अस्पताल के डॉक्टर क्या बोले?
हालांकि, आरजी कर अस्पताल के डॉ. देबदत्त ने कहा, ‘हमने कोई नियम नहीं तोड़ा है या अदालत के आदेश की अनदेखी नहीं की है. यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक मूर्ति है और हम केवल उसका चित्रण नहीं करना चाहते हैं. हम अधिकारियों को दिखाना चाहते हैं कि क्या हुआ था और उसे कैसे पीड़ा हुई थी. हम न्याय के लिए लड़ाई जारी रखेंगे।
फिर से डॉक्टरों का काम बंद
बता दें कि जूनियर डॉक्टर ने मंगलवार से फिर से काम बंद कर दिया है और उनका आरोप है कि पश्चिम बंगाल सरकार सितंबर के मध्य में किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है, जिसमें अस्पतालों में सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता भी शामिल है. वे 9 अगस्त को आरजी कर अस्पताल में ट्रेनी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
हालांकि डॉक्टरों ने हड़ताल के 42 दिनों के बाद आंशिक रूप से सेवाएं बहाल कर दी थीं, लेकिन वे काम बंद करने पर वापस लौट गए, उनका आरोप है कि चिकित्सा कर्मचारियों के लिए सुरक्षा उपायों को बढ़ाने जैसी प्रमुख मांगों को लागू नहीं किया गया।
क्या है डॉक्टर्स की मांग?
बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट द्वारा उठाई गई प्रमुख मांगों में अस्पताल परिसर में सीसीटीवी कैमरे लगाना, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए चौबीसों घंटे सुरक्षा और चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की इसी तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त प्रोटोकॉल शामिल हैं।