Sushila Karki Became The First Woman PM Of Nepal: नेपाल को मिली पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री: सुशीला कार्की ने ली शपथ
नेपाल में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को अंतरिम पीएम बनाया गया है। भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख के चलते जेन-जी में उनकी लोकप्रियता है। 73 वर्षीय सुशीला कार्की जिन्होंने भारत में शिक्षा प्राप्त की नेपाल की राजनीति में एक प्रमुख चेहरा बन गई हैं।

काठमांडू नेपाल की न्यायपालिका से राजनीति तक के सफर में एक नया इतिहास रचते हुए सुशीला कार्की देश की पहली महिला अंतरिम प्रधानमंत्री बन गई हैं। शुक्रवार, 12 सितंबर की देर रात राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने शीतल निवास में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। सुशीला कार्की अगले 6 महीनों के भीतर नए आम चुनाव कराने की जिम्मेदारी निभाएंगी।
ओली के इस्तीफे के बाद कार्की को सौंपी गई कमान
पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भ्रष्टाचार के आरोपों और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ युवाओं के भारी विरोध के चलते 9 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर सुशीला कार्की को चुना गया।
30 साल की वकालत से सुप्रीम कोर्ट तक का सफर
सुशीला कार्की ने कानून की पढ़ाई के बाद विराटनगर लोअर कोर्ट से अपनी वकालत की शुरुआत की थी। करीब 30 सालों तक धरान और विराटनगर में वकालत करते हुए वे लीगल फील्ड में आगे बढ़ती रहीं। उन्होंने कोशी जोनल बार और अपीलीय बार की अध्यक्षता भी की। 2004 में उन्हें सीनियर एडवोकेट की मान्यता मिली, जिसके बाद वे डायरेक्ट सुप्रीम कोर्ट में पहुंचीं।
नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस भी रहीं
सुशीला कार्की जनवरी 2009 में सुप्रीम कोर्ट की अस्थायी न्यायाधीश बनीं और एक साल बाद स्थायी नियुक्ति मिली। इसके बाद वे 11 जुलाई 2016 से 6 जून 2017 तक नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं। इस दौरान उनके कई फैसलों ने व्यापक सराहना और चर्चा बटोरी।
सेरोगेसी पर ऐतिहासिक फैसला
2015 में सुशीला कार्की की बेंच ने सेरोगेसी (किराए की कोख) पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि सेरोगेसी को बिजनेस नहीं बनने दिया जा सकता, क्योंकि इससे गरीब महिलाओं का शोषण हो रहा है। इस फैसले के जरिए नेपाल में सरोगेसी पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई।
यह निर्णय इसलिए अहम था क्योंकि भारत में सरोगेसी बैन होने के बाद कई विदेशी कपल नेपाल में इसका सहारा ले रहे थे।
महाभियोग और जनता का समर्थन
कई सालों तक वकालत में नाम कमाने के बाद 2007 में सुशीला कार्की को वरिष्ठ अधिवक्ता बनाया गया और 2009 में वो नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बन गईं। 2016 में सुशीला फिर से नेपाल की सुप्रीम कोर्ट की 24वीं मुख्य न्यायाधीश बनीं। हालांकि, इस दौरान शेरबहादुर देउबा सरकार उनके खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाई थी, जिसे बाद में वापस ले लिया गया था।
पति का भी इतिहास में खास रोल
सुशीला कार्की के पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी का भी नेपाल के लोकतांत्रिक इतिहास में खास स्थान है। 1973 में उन्होंने नेपाल एयरलाइंस के एक विमान को हाईजैक कर 32 लाख रुपए जीपी कोइराला को सौंपे थे, जिससे लोकतंत्र की लड़ाई के लिए हथियार खरीदे गए। बाद में कोइराला चार बार नेपाल के प्रधानमंत्री बने। सुशीला की दुर्गा से मुलाकात BHU, वाराणसी में पढ़ाई के दौरान हुई थी, जहां से उनका रिश्ता शुरू हुआ और शादी में तब्दील हुआ।
न्यायपालिका से राजनीति तक, प्रेरणादायक सफर
सुशीला कार्की का यह सफर न्याय, नैतिकता और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन गया है। वकालत, जजशिप, चीफ जस्टिस और अब अंतरिम प्रधानमंत्री का पद संभालने वाली वे नेपाल की पहली महिला हैं जिन्होंने हर मोर्चे पर अपनी काबिलियत साबित की है। उनकी नियुक्ति न केवल नेपाल बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए महिलाओं के नेतृत्व की दिशा में एक अहम कदम है।
कौन हैं सुशीला कार्की

