Jaipur Divorce Case: जयपुर में 43 साल बाद तलाक: कोर्ट ने कहा- मानसिक पीड़ा भी तलाक का आधार
जयपुर फैमिली कोर्ट ने 43 साल बाद एक दंपत्ति को तलाक की मंजूरी दी। पति ने पत्नी पर मानसिक क्रूरता का आरोप लगाया था। पति का कहना था कि पत्नी उनके चरित्र पर बेबुनियाद आरोप लगाती है और एसी कमरे में साथ नहीं सोने देती…

शादी के 43 साल बाद पति-पत्नी का तलाक हो गया। पति ने 2021 में तलाक की अर्जी दायर की थी। पति ने कहा था- पत्नी एसी कमरे में साथ नहीं सोने देती। चरित्र पर लांछन लगाती है। जयपुर की फैमिली कोर्ट-1 ने इसे मानसिक क्रूरता माना और तलाक मंजूर किया।
शादी के बाद से शुरू हुए विवाद
पति, जो प्रशासनिक सेवा से रिटायर हैं, ने कोर्ट को बताया कि 1982 में हुई शादी के बाद पत्नी ने ससुराल आते ही छोटे घर और नौकर-गाड़ी न होने पर उन्हें ताने देने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा कि पत्नी के लगातार आरोपों और झगड़ों के कारण मानसिक तनाव में आकर उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति तक की अर्जी लगा दी थी, जिसे बाद में सुलह होने पर वापस ले लिया गया।
पति के वकील सुनील शर्मा और गौरव सिंघल ने बताया- कोर्ट ने अपने आदेश में माना कि पत्नी ने पति के चरित्र पर शक किया। उसे ताने मारे, लेकिन किसी भी आरोप को साबित नहीं कर पाई। पति ने पत्नी पर उम्र छिपाने का आरोप लगाया। कहा कि वह हंगामा करती है और अपशब्दों का प्रयोग करती है। कोर्ट ने इसे मानसिक क्रूरता माना।
पत्नी ने बताए आरोप निराधार, लेकिन तलाक मंजूर
पत्नी ने कहा कि वह कभी लड़ाई-झगड़ा नहीं करतीं और न ही पति के स्वाभिमान को ठेस पहुंचाने वाले शब्द कहे। उनका आरोप था कि पति रिटायरमेंट के बाद विलासिता का जीवन जीना चाहते हैं और इसलिए तलाक की अर्जी दी। सभी साक्ष्यों और गवाहियों को देखते हुए फैमिली कोर्ट ने पत्नी की दलीलों को खारिज कर दिया और पति की ओर से लगाए गए मानसिक क्रूरता के आरोपों को सही मानते हुए तलाक को मंजूरी दे दी।

