Supreme Court :ज्योतिषी दंपती का विवाद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, तलाक को लेकर अदालत ने दिया चौंकाने वाला सुझाव
शादी के बाद अक्सर कपल के बीच में अनबन दिखाई देती है। धीरे-धीरे रिश्तों में दरार आने लगती है। वहीं, कभी-कभी नौबत तलाक तक पहुंच जाती है। ऐसा ही तलाक का एक केस सुप्रीम कोर्ट के सामने आया। जहां कोर्ट ने कपल को ज्योतिष से सही समय पूछकर तलाक लेने का सुझाव दिया।

ज्योतिष विद्या में निपुण एक दंपती के बीच वैवाहिक विवाद अब देश की सर्वोच्च अदालत तक जा पहुंचा है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यह विवाह अब “टूट चुका” है और दोनों के लिए अलग होना ही बेहतर विकल्प है।
अदालत ने महिला को तलाक लेने के लिए शुभ समय जानने हेतु ज्योतिषीय सलाह लेने की छूट देते हुए पूरे मामले को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए चार हफ्तों का समय दिया है।
शादी टूटने के बाद कोर्ट की सधी हुई सलाह
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “आप दोनों ज्योतिष में विश्वास रखते हैं, तो बेहतर होगा कि आप खुद ही सबसे शुभ समय देख लें अलग होने का।” अदालत का यह बयान सोशल मीडिया और कानूनी हलकों में तेजी से चर्चा में आ गया है।
भारत में क्यों बढ़ रहे तलाक के मामले
भारत में हाल के समय में डिवोर्स के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसके पीछे सामाजिक, सांस्कृतिक और व्यक्तिगत कारण हो सकते हैं। मालूम हो कि डिवोर्स के मामले पारंपरिक सोच और आधुनिक जीवनशैली के बीच तेजी से बढ़े अंतर के कारण है।
World of Statistics की रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में तलाक की दर महज 1 प्रतिशत है। जो दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले काफी कम है। इसके पीछे कई सामाजिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक कारण हैं। हालांकि, शहरी इलाकों में तलाक के मामलों में हल्की बढ़ोतरी देखी जा रही है लेकिन अब भी शादी को यहां एक स्थायी और पवित्र बंधन माना जाता है।
क्यों बढ़ रहा है तलाक का रेट
रिलेशनशिप कोच और मेंटर लीना परांजपे बताती हैं कि देश में तलाक का रेट बढ़ने की वजह क्या है। परांजपे कहती हैं कि भारत में तलाक के मामलों में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण आर्थिक स्वतंत्रता है। दुनिया भर में लगभग 70% तलाक केस महिलाएं शुरू कर रही हैं। पहले के उलट, अब महिलाएं नाखुश विवाहों से बाहर निकल रही हैं और भारत भी इससे अलग नहीं है. रिलेशनशिप कोच दीपिका राठौर कहती हैं, सही उम्र में शादी करने का दबाव भी कम हो रहा है क्योंकि महिलाएं अब अपने परिवार पर बोझ नहीं हैं।

