अमेरिका के बायकॉट के बावजूद G20 घोषणापत्र मंजूर, साउथ अफ्रीका ने ट्रम्प की मांग नहीं मानी

G20 समिट में अमेरिका के बायकॉट के बावजूद घोषणा पत्र सर्वसम्मति से मंजूर हुआ। साउथ अफ्रीकी राष्ट्रपति रामफोसा ने ट्रम्प की मेजबानी लेने की मांग न मानकर अध्यक्षता ‘खाली कुर्सी’ को सौंप दी। पीएम मोदी ने विकास मॉडल और तीन नई पहल प्रस्तुत कीं, महिला सशक्तिकरण पर जोर दिया।
अमेरिका के बायकॉट के बावजूद G20 घोषणापत्र मंजूर :

जोहान्सबर्ग :
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बायकॉट के बावजूद, G20 समिट के पहले दिन सदस्य देशों ने साउथ अफ्रीका के बनाए घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया। साउथ अफ्रीकी राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा ने कहा कि सभी देशों का अंतिम बयान पर सहमति जरूरी था, भले ही अमेरिका इसमें शामिल न हो।
ट्रम्प की मेजबानी मांग को नकारा गया :
अमेरिका ने आखिरी सेशन में समिट की मेजबानी के लिए एक अमेरिकी अधिकारी भेजने का प्रस्ताव रखा था। रॉयटर्स के अनुसार, दक्षिण अफ्रीकी अध्यक्षता ने इसे नकार दिया।
आज राष्ट्रपति रामफोसा G20 की अगली अध्यक्षता ‘खाली कुर्सी’ को सौंपेंगे। 2026 में G20 की मेजबानी अमेरिका को मिलनी है, लेकिन ट्रम्प के बायकॉट के कारण अमेरिका का कोई प्रतिनिधि समिट में शामिल नहीं हुआ।
पीएम मोदी ने वैश्विक विकास मॉडल बदलने की अपील की :

G20 समिट के पहले दो सत्रों में पीएम नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक चुनौतियों पर भारत का दृष्टिकोण साझा किया। उन्होंने कहा कि पुराने विकास मॉडल ने प्राकृतिक संसाधनों की हानि की, इसलिए इसे बदलना आवश्यक है।
मोदी ने तीन प्रमुख पहलें पेश कीं
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वैश्विक पारंपरिक ज्ञान भंडार:
यह पहल दुनिया के लोक ज्ञान, पारंपरिक चिकित्सा और सामुदायिक प्रथाओं को जोड़ने का प्रयास है। -
अफ्रीका स्किल इनिशिएटिव:
अफ्रीकी युवाओं के लिए कौशल विकास, ट्रेनिंग और रोजगार के नए अवसर बढ़ाने की योजना। -
ड्रग–टेरर नेक्सस के खिलाफ पहल:
पीएम मोदी ने इसे महत्वपूर्ण बताया। यह पहल ड्रग तस्करी, अवैध धन और आतंकवाद की फंडिंग को रोकने के लिए सदस्य देशों के वित्तीय, सुरक्षा और शासन तंत्र को एकजुट करेगी।
दिल्ली घोषणा-पत्र की सराहना :
इस G20 समिट में दिल्ली में 2023 के 18वें G20 घोषणा-पत्र को भी सराहा गया। इसमें महिला सशक्तिकरण, जलवायु परिवर्तन फंड और डिजिटल लिटरेसी को बढ़ावा देने के बिंदु शामिल हैं।
साथ ही, UN सुरक्षा परिषद का विस्तार कर भारत को सदस्य बनाने का प्रस्ताव पारित किया गया।
G20 का इतिहास और महत्व :
G20 को G7 का विस्तार माना जाता है। G7 में अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान और कनाडा शामिल हैं।
1997-98 के एशियाई आर्थिक संकट के बाद, विकासशील देशों जैसे भारत, चीन और ब्राजील को शामिल करने के लिए 1999 में G20 बनाया गया।
शुरू में यह केवल वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों का फोरम था।
2008 में फैसला लिया गया कि देशों के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी इसमें शामिल होंगे। पहली लीडर्स समिट नवंबर 2008 में वॉशिंगटन में आयोजित हुई।
साउथ अफ्रीका में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार राष्ट्रीय आपदा घोषित :
समिट से पहले दक्षिण अफ्रीका में महिलाओं पर बढ़ती हिंसा के विरोध में महिलाओं ने प्रदर्शन किया।
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15 शहरों में महिलाएं काले कपड़े पहनकर सड़क पर उतरीं।
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15 मिनट तक चुपचाप जमीन पर लेटकर उन्होंने विरोध जताया।
यह आंदोलन G20 वीमेन शटडाउन के नाम से हुआ, जिसे वूमेन फॉर चेंज ने आयोजित किया। महिलाओं और LGBTQ+ समुदाय को एक दिन काम न करने और खर्च न करने का संदेश दिया गया।
अन्य विरोध प्रदर्शन :
महिलाओं के खिलाफ हिंसा के अलावा, जलवायु और असमानता पर काम करने वाले एक्टिविस्ट्स ने G20 के खिलाफ अलग समिट शुरू किया।
साथ ही, व्हाइट अल्पसंख्यक कम्युनिटी और एंटी-इमिग्रेशन ग्रुप्स बेरोजगारी और भेदभाव के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
निष्कर्ष :
G20 समिट में अमेरिका के बायकॉट के बावजूद सर्वसम्मति से घोषणापत्र मंजूर होना वैश्विक सहयोग की मिसाल है।
पीएम मोदी की तीन पहलें और महिलाओं के अधिकारों पर जोर, वैश्विक दृष्टिकोण में भारत की सक्रिय भूमिका को दर्शाती हैं।
साउथ अफ्रीका की अध्यक्षता में G20 ने वैश्विक चुनौतियों और विकास मॉडल में बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाए।
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