Nimisha Priya Case: यमन में मौत की सजा पर फिलहाल रोक: निमिषा प्रिया को मिली राहत
यमन में मौत की सजा पाने वाली केरल की नर्स निमिषा प्रिया की मौत की सजा फिलहाल टाल दी गई है। उसे 16 जुलाई को सजा-ए-मौत दी जानी थी। न्यूज एजेंसी ANI ने मंगलवार को सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक्टिविस्ट ग्रुप और प्रभावशाली धार्मिक नेताओं ने इस मामले में दखल दिया, जिसके बाद निमिषा प्रिया की मौत की सजा स्थगित कर दी गई है।
भारत और यमन के धर्मगुरुओं की बातचीत जारी
रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कंथापुरम के ग्रैंड मुफ्ती एपी अबूबकर मुसलियार और यमन के चर्चित सूफी विद्वान शेख हबीब उमर बिन हाफिज इस मसले पर बातचीत कर रहे हैं। इसमें यमन के सुप्रीम कोर्ट के एक जज और मृतक के भाई भी शामिल हैं। यमन के शेख हबीब को बातचीत के लिए मुफ्ती मुसलियार ने मनाया। ऐसा भी पहली बार हुआ है जब पीड़ित परिवार का कोई करीबी सदस्य बातचीत को तैयार हुआ है। यह बातचीत शरिया कानून के तहत हो रही है, जो पीड़ित परिवार को दोषी को बिना किसी शर्त के या फिर ब्लड मनी के बदले में माफ करने का कानूनी अधिकार देता है।
क्या है निमिषा की कहानी?
केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली 38 वर्षीय निमिषा प्रिया, साल 2008 में नर्स की नौकरी के लिए यमन गई थीं। वहां निमिषा ने एक क्लिनिक खोला। लेकिन यमन के कानून के तहत, विदेशी को स्थानीय साझेदार रखना अनिवार्य है। इसलिए निमिषा ने एक यमन के नागरिक तलाल अब्दो मेहदी को अपना साझेदार बनाया। आरोपों के मुताबिक मेहदी ने उसके साथ धोखाधड़ी की, पैसे हड़पे और यहां तक कि उस पर शादी का झूठा दावा भी किया। परिवार की याचिका बताती है कि मेहदी ने निमिषा को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। नतीजतन साल 2017 में, निमिषा ने मेहदी को बेहोश कर पासपोर्ट वापस लेने की योजना बनाई लेकिन ड्रग की ओवरडोज से मेहदी की मौत हो गई।
निमिषा की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई थी
भारत सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वो निमिषा के मामले में ज्यादा कुछ नहीं कर सकती है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कोर्ट को बताया था- हम एक हद तक ही जा सकते हैं और हम वहां तक पहुंच चुके हैं। इस मामले में ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के वकील ने कोर्ट को बताया था कि उसे बचाने का एकमात्र रास्ता यह है कि मृतक का परिवार ‘ब्लड मनी’ (मुआवजा) स्वीकार कर ले।
पीड़ित के परिवार को 10 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 8.5 करोड़ रुपए) की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। परिवार ने कहा था कि यह मामला उनकी इज्जत से जुड़ा हुआ है।
यमन में गृह युद्ध की वजह से भारत ने अपने नागरिकों को वहां से निकालने के लिए ‘ऑपरेशन राहत’ शुरू किया। यह ऑपरेशन अप्रैल-मई 2015 तक चला, जिसमें 4,600 भारतीयों और करीब एक हजार विदेशी नागरिकों को यमन से निकाला, लेकिन इनमें सिर्फ निमिषा ही भारत नहीं लौट पाईं।
2016 में महदी ने निमिषा के साथ शारीरिक उत्पीड़न करना शुरू कर दिया। उसने निमिषा के क्लिनिक का प्रॉफिट भी हड़प लिया। जब निमिषा ने इस बारे में सवाल किया तो दोनों के रिश्ते खराब हो गए। महदी निमिषा को यमन से बाहर नहीं जाने देना चाहता था, इसलिए उसने निमिषा का पासपोर्ट अपने पास रख लिया।