Shubhanshu Shukla Earth Return Update: शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पूर्ण: धरती पर सकुशल वापसी
भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला अपने क्रू मेंबर के साथ धरती पर लौट आए हैं। 10 दिन के आइसोलेशन के बाद उनका सामान्य जीवन शुरू होगा।

भारत का नाम रोशन कर रहे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के बाद वापस लौट आए हैं। अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर 18 दिनों तक रहने के बाद शुभांशु एक्सिओम-4 मिशन के अपने तीन सहयोगी अंतरिक्षयात्रियों के साथ आज दोपहर 3:01 बजे प्रशांत महासागर में कैलिफोर्निया तट पर उतरे।
सभी अंतरिक्ष यात्री 22.5 घंटे की यात्रा करके पृथ्वी पर लौटे। उनके कैप्सूल की लैंडिन कैलिफोर्निया के सैन डिएगो तट पर पानी में हुई. इससे पहले, ड्रैगन अंतरिक्ष यान से पृथ्वी के वायुमंडल में इसके फिर प्रवेश करने के बाद कम्युनिकेशन दोबारा स्थापित हो गया। थोड़ी देर बाद कैलिफोर्निया अपतटीय क्षेत्र में उतरने से पहले ड्रैगन अंतरिक्ष यान के पैराशूट खोले गए। पैराशूट के सहारे कैप्सूल को समंदर में उतार दिया गया। जिसके कुछ देर बाद शुभांशु शुक्ला सहित सभी चार अंतरिक्ष यात्री उससे सकुशल बाहर निकले।
17 अगस्त तक भारत लौट सकते हैं शुभांशु
शुभांशु 17 अगस्त तक भारत लौट सकते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को लैंडिंग के बाद मेडिकल जांच और रिहैबिलिटेशन के लिए आमतौर पर सात दिन लग सकते हैं, ताकि वे पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में फिर से ढल सकें। इसके बाद वे भारत लौटेंगे।
ड्रैगन कैप्सूल का डी-ऑर्बिट बर्न खत्म
ड्रैगन कैप्सूल का डी-ऑर्बिट बर्न खत्म हो चुका है। जब कोई स्पेसक्राफ्ट पृथ्वी का चक्कर काट रहा होता है और उसे वापस धरती पर लाना होता है, तो उसकी गति को कम करना आवश्यक होता है ताकि वह कक्षा से बाहर निकलकर पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर सके। इसी गति को कम करने के लिए अंतरिक्ष यान के थ्रस्टर्स को एक निश्चित समय और दिशा में दागा जाता है। इस प्रक्रिया को ही ‘डी-ऑर्बिट बर्न’ कहते हैं।
शुभांशु की वापसी पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- मैं पूरे देश के साथ ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का उनकी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा से पृथ्वी पर वापसी के लिए स्वागत करता हूं।
शुभांशु ने अपने समर्पण, साहस से अरबों सपनों को प्रेरित किया है। यह हमारे अपनी मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन – गगनयान की दिशा में एक और मील का पत्थर है।
41 साल बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में गया
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा और भारतीय एजेंसी इसरो के बीच हुए एग्रीमेंट के तहत भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को इस मिशन के लिए चुना गया था। शुभांशु इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर जाने वाले पहले और स्पेस में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं। इससे 41 साल पहले राकेश शर्मा ने 1984 में सोवियत यूनियन के स्पेसक्राफ्ट से अंतरिक्ष यात्रा की थी।
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन क्या है?
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पृथ्वी के चारों ओर घूमने वाला एक बड़ा अंतरिक्ष यान है। इसमें एस्ट्रोनॉट रहते हैं और माइक्रो ग्रेविटी में एक्सपेरिमेंट करते हैं। यह 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ट्रैवल करता है। यह हर 90 मिनट में पृथ्वी की परिक्रमा पूरी कर लेता है। 5 स्पेस एजेंसीज ने मिलकर इसे बनाया है। स्टेशन का पहला पीस नवंबर 1998 में लॉन्च किया गया था।