Amarnath Yatra Registration 2025: 3 जुलाई से शुरू होगी अमरनाथ यात्रा: रजिस्ट्रेशन के लिए जम्मू में ऑफलाइन काउंटर शुरू
3 जुलाई से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के लिए सभी इंतजाम लगभग पूरे हो गए है। इस साल अबतक करीब 3.5 लाख श्रद्धालु रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। जिन श्रद्धालुओं ने अभी तक ऑनलाइन पंजीकरण नहीं कराया है, उनके लिए जम्मू में ऑफलाइन पंजीकरण सोमवार से शुरू हो गया है।

प्रशासन की ओर से स्पेशल रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाए गए हैं। तीर्थयात्रियों का पहला जत्था 2 जुलाई को जम्मू के भगवतीनगर बेस कैंप से रवाना होगा। अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई से 9 अगस्त (38 दिन) तक दोनों रूट से होगी। अनंतनाग जिले में पारंपरिक पहलगाम रूट 48 किमी लंबा है, जबकि गांदरबल जिले में बालटाल रूट की लंबाई 14 किमी है।
कैसे करें रजिस्ट्रेशन?
अगर आप श्री अमरनाथ यात्रा पर आना चाहते हैं और पंजीकरण से चूक गए हैं तो चिंता न करें। जम्मू में सोमवार से पंजीकरण शुरू हो जाएगा। पहले आओ पहले पाओ के आधार पर यात्रा के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं। जम्मू शहर में तत्काल पंजीकरण काउंटर लगाए गए हैं। दो जुलाई को भक्तों का पहला जत्था रवाना होगा और तीन तारीख से यात्रा शुरू होगी। यात्रा के दौरान मेडिकल सर्टिफिकेट, 4 पासपोर्ट साइज फोटो, आधार कार्ड, RFID कार्ड, ट्रैवल एप्लिकेशन फॉर्म साथ रखना जरूरी है।
कहां-कहां हैं टोकन सेंटर?
जम्मू रेलवे स्टेशन के पास, सरस्वती धाम: यहां से श्रद्धालुओं को पहले टोकन लेना होता है। टोकन लेने के लिए मेडिकल चेकअप अनिवार्य है, जिसके बाद रजिस्ट्रेशन के लिए टोकन जारी किया जाता है। वैष्णवी धाम, जम्मू सामान्य श्रद्धालुओं के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन का एक प्रमुख केंद्र। टोकन प्राप्त करने के बाद श्रद्धालु यहां रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।
कैसे कराएं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन?
ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन के लिए श्रद्धालुओं को आधार कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो, मेडिकल फिटनेस सर्टिफिकेट (SASB द्वारा अधिकृत डॉक्टर से), और अन्य पहचान पत्र (जैसे वोटर आईडी या पैन कार्ड) साथ ले जाना होगा। जम्मू में टोकन लेने के बाद निर्धारित सेंटर पर मेडिकल सर्टिफिकेट और अन्य दस्तावेज जमा कर रजिस्ट्रेशन पूरा किया जा सकता है। रजिस्ट्रेशन शुल्क भारतीय नागरिकों के लिए ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन शुल्क 120 रुपये प्रति व्यक्ति और ऑनलाइन 220 रुपये प्रति व्यक्ति है।
3888 मीटर की ऊंचाई पर है अमरनाथ गुफा अमरनाथ शिवलिंग एक प्राकृतिक बर्फ से बनी संरचना है, जिसे हिमानी शिवलिंग कहा जाता है। अमरनाथ गुफा समुद्र तल से लगभग 3888 मीटर की ऊंचाई पर है। यह गुफा उत्तरमुखी है, जिससे सूरज की सीधी रोशनी बहुत कम पहुंचती है। यही वजह है कि गुफा के अंदर का तापमान 0°C से नीचे बना रहता है, जिससे बर्फ आसानी से जमती है। आस-पास के ग्लेशियरों से आने वाला पानी लगातार गुफा की छत से टपकता रहता है। इससे धीरे-धीरे शिवलिंग बन जाता है। यह वैज्ञानिक रूप से स्टेलेग्माइट कहलाता है।
श्रद्धालु बोले- आतंकियों का डर नहीं यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में खासा उत्साह नजर आ रहा है। रजिस्ट्रेशन कराने आए एक श्रद्धालु ने कहा, ‘इस बार लोग उत्साहित हैं। पहलगाम हमले के बाद भी अब कोई डर नहीं है। व्यवस्थाएं अच्छी हैं और प्रशासन हमारे साथ है।’ एक अन्य श्रद्धालु ने कहा, ‘मुझे बाबा अमरनाथ पर भरोसा है। आतंकवादी जो चाहें करें, हम पर इसका कोई असर नहीं होगा। मैं सभी से अनुरोध करता हूं कि वे जम्मू-कश्मीर आएं ताकि हमारी सेना और सरकार यह कह सके कि हम पर आतंकियों की हरकतों का कोई असर नहीं हैं।
यात्रा रूट पर 50 हजार से ज्यादा जवान मुस्तैद यात्रा शुरू होने से पहले पूरे केंद्र शासित प्रदेश में सुरक्षा के कड़े इंतजाम है। इसके चलते केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे (NH-44) मल्टी स्टेज सिक्योरिटी तैनात की है। यह हाईवे यात्रा के अहम रास्तों में से एक है।
हाईवे पर CRPF का K-9 दस्ता (डॉग स्क्वॉड) भी तैनात किया गया है। लैंडस्लाइड की प्री प्लानिंग के लिए सेना, CRPF, जम्मू-कश्मीर पुलिस और जम्मू-कश्मीर स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स ने रविवार को हाईवे पर समरोली, तोल्डी नाला में जॉइंट मॉक ड्रिल की।
संवेदनशील और भीड़भाड़ वाले इलाकों में तकनीकी इनपुट और चेहरा पहचानने के सिस्टम (FRS) के जरिए वैरिफिकेशन किया जाएगा। काफिले की सुरक्षा के लिए पहली बार जैमर लगाए जा रहे हैं। सशस्त्र बलों की 581 कंपनियां तैनात की जाएंगी। लगभग 42 हजार से 58 हजार जवान तैनात होंगे।