Uniara Bunetha News: बनेठा के राधेश्याम मीणा का कमाल: स्क्रैप से तैयार किया विशाल फाइटर जेट मॉडल
उनियारा बनेठा उनियारा उपखंड के.बनेठा कस्बे के शिक्षक राधेश्याम मीणा ने आंध्रप्रदेश प् के श्री सत्य साई जिले में स्थित भारतीय इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी इनोवेशन यूनिवर्सिटी में स्क्रैप से दुनिया का सबसे बड़ा फाइटर जेट मॉडल तैयार किया है।

यह मॉडल यूनिवर्सिटी कैम्पस में पड़ी अनुपयोगी सामग्री से बनाया जा रहा है। इसको लंबाई 42 फोट, चौड़ाई 28 फीट और ऊंचाई 24 फीट है। इस स्क्रैप एयरक्राफ्ट की यूनिवर्सिटी की ‘स्क्रैप एनोवेशन वर्कशॉप में तैयार किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी प्रबंधन का दावा है कि गूगल और विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह दुनिया का सबसे बड़ा स्क्रैप फाइटर जेट गॉडल है। इसमें 90 प्रतिशत सामग्री यूनिवर्सिटी कैम्पस का कबाड़ और अनुपयोगी सामान है।

इस मॉडल के मास्टरमाइंड शिक्षक राधेश्याम मीणा है। वे किशनगंज, बनेठा के निवासी है। तथा पीएम की जवाहर नवोदय विद्यालय धौलपुर में कला प्राध्यापक के पद पर कार्यरत है। यूनिवर्सिटी के चेयरमैन भरत लाल मीणा, जो पूर्व आईएएस अधिकारी है, ने नवोदय विद्यालय समिति के क्षेत्रीय कार्यालय को पत्र लिखकर राधेश्याम मीणा को रिसोर्स पर्सन के रूप में आमंत्रित किया था। विभाग की सहमति के बाद ग्रीष्मकालीन अवकाश में राधेश्याम मीणा यूनिवर्सिटी पहुंचे और स्क्रैप से यह मॉडल बनाना शुरू किया। इस मॉडल का उद्देश्य विद्यार्थियों में तकनीकी शिक्षा, नवाचार, कला कौशल, आर्ट एंड क्राफ्ट स्किल,
वेस्ट से बेस्ट बनाने की सोच और सेना के प्रति लगाव को बढ़ाना है। मई माह से चल रही इस कार्यशाला में विद्यार्थी संरचना, विषय-वस्तु और प्रक्रिया के नए तरीके सीख रहे हैं। इससे उनकी कल्पना शक्ति, सर्जनात्मकता और सीखने को प्रक्रिया में सुधार से रख है।
राधेश्याम मीणा ने बताया कि इस प्रकार की कार्यशाला को ‘एयरो मॉडलिंग’ कहा जाता है। इसमें विद्यार्थी मॉडल विमान का डिजाइन, निर्माण और उड़ान की तकनीक सीखते हैं। एयरो मॉडलिंग में मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और कंप्यूटर साइंस जैसे इंजीनियरिंग क्षेत्र शामिल होते हैं।

इसका उपयोग कृषि, वीडियो शूट हवाई निगरानी और ड्रोन जैसे क्षेत्रों में होता है। स्क्रैप विमान बनाने में पुराना कबाड़, पादप, वाहन के पहिए, तार, टापर, चादर, कूलर मोटर, पंधे, कागज, प्लास्टिक, धातु, सिंथेटिक रेजिन, लकड़ी, रवर, फोम और फाइबरग्लास जैसी सामग्री का उपयोग किया गया है। राधेश्याम मीणा ने बताया कि शिक्षा में नवाचार से विद्यार्थियों का सीखने का अनुभव बेहतर होता है। इससे कक्षा का कतावरण सुगम बनता है। शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच मधुर संबंध बनते हैं। बच्चों में नई खोज करने की भावना विकसित होती है।