Maharana Pratap Jayanti 2025: शौर्य, बलिदान और स्वाभिमान की अमर गाथा: मातृभूमि की स्वतंत्रता के लिए जीवनभर किया संघर्ष
आज मेवाड़ के वीर योद्धा महाराणा प्रताप की की जयंती है। राजस्थान के कुंभलगढ़ दुर्ग में जन्मे महाराणा और मुगलों के बीच हमेशा ठनी रही। इनमें सबसे चर्चित है

महाराणा प्रताप का नाम भारतीय इतिहास में स्वाभिमान, वीरता और मातृभूमि की रक्षा के लिए किए गए अनथक संघर्ष के प्रतीक के रूप में अमर है। उनका जीवन एक ऐसा नज़ारा है जहाँ राजसी ठाठ-बाट की बजाय जंगलों की खाक, सोने-चाँदी के थालों की बजाय जौ की रोटियाँ और राजमहलों की बजाय गुफाएँ उनकी जीवनशैली बनीं
हल्दीघाटी का युद्ध लगभग 30 वर्ष की कोशिशों के बावजूद महाराणा प्रताप अकबर के हाथ नहीं लगे। यह उनका युद्ध कौशल ही था कि युद्ध में सामने आई अनेक विषम हालातों में भी वे झुके नहीं। महाराणा प्रताप अपनी भूमि को मुगलों से वापस पाने के लिए जंगल तक में भटके और शक्ति जुटाते रहे। उन्होंने मुगलों के सामने हार नहीं मानी और आजीवन मुगलों के खिलाफ लड़ते रहे।

अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक आज यानी 9 मई को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है। हर साल दो बार महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाती है। पहली अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक 9 मई को और दूसरी हिंदू पंचांग के अनुसार। हिंदू पंचांग के मुताबिक, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को महान वीर योद्धा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। महाराणा प्रताप ने मुगलों के खिलाफ युद्ध लड़े। मुगल सम्राट अकबर को रणभूमि में कई बार टक्कर दी। महाराणा प्रताप ने अकबर के सामने कभी घुटने नहीं टेके, इसके एवज में वह परिवार संग जंगलों में भटके। उनके शौर्य और वीरता की कहानी इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।
जानें कौन थे वीर महाराणा प्रताप
आपको बता दें कि महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 में राजस्थान के मेवाड़ में हुआ था। पिता का नाम राणा उदय सिंह और माता जयवंता बाई था। जो राजपरिवार से ताल्लु रखते थे। राणा प्रताप का विवाह अजबदे पुनवार से हुआ था इनकी दो संतान भी थी। हिन्दु ह्रदय सम्राट महाराणा प्रताप के बेटे अमर सिंह और भगवान दास थे। महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था जो उनकी तरह ही वीर योद्धा था।
भारत के सम्राट महाराणा प्रताप बचपन से ही वीर और साहसी थे। इसलिए उन्हें युद्ध कला सीखने में किसी तरह की दिक्कत नहीं हुई। महाराणा प्रताप ईश्वर में विश्वास रखने वाले थे। अपनी प्रजा की सहायता करने में हमेशा आगे रहने वाले महाराणा प्रताप को मानवता का पुजारी भी कहा जाता था।

महाभारत युद्ध से होती है इस युद्ध की तुलना
महाराणा प्रताप और मुगलों के बीच कई युद्ध हुए और उन्होंने हमेशा मेवाड़ की रक्षा की लेकिन 1576 में महाराणा प्रताप और अकबर के बीच हुआ हल्दी घाटी युद्ध बहुत ही भयावह था। इस युद्ध की तुलना महाभारत युद्ध से की जाती है। कहा जाता है कि हल्दी घाटी युद्ध में अकबर के 85 हजार वाली विशाल सेना का सामना महाराणा प्रताप ने अपने 20 हजार सैनिकों से किया। बुरी तरह से जख्मी होने के बाद भी महाराणा प्रताप अकबर के हाथ नहीं आए। इस तरह से महाराणा प्रताप ने अपने कौशल और युद्ध कला का परिचय दिया।