Kota News Update: संकट में घड़ियाल: फिर भी चंबल में उम्मीद की किरण

चंबल घड़ियाल सेंचुरी में अंडे देती हैं मादा
राजस्थान की चंबल नदी में इन दिनों नन्हे घड़ियालों की अठखेलियां नजर आ रही हैं। चंबल घड़ियाल सेंचुरी में नए मेहमानों का आना शुरू हो गया है। इस बार 15 से ज्यादा मादा घड़ियालों ने 25 घरौंदे बनाकर अंडे दिए थे। 40 से 45 अंडों में से बच्चे बाहर आ चुके हैं और नदी में तैरने लगे हैं। बता दें कि एक मादा घड़ियाल 30 से 50 के करीब अंडे दे सकती है।
मादा घड़ियाल के प्रजनन का समय मार्च महीना होता है। इससे पहले मिट्टी में घरौंदा बनाती है। अंडे देने के बाद 2 महीने तक घरौंदे में ही अंडे को रखती है। इसके बाद अंडे से बच्चे निकलकर पानी में जाते हैं।
वन विभाग की टीम नए मेहमानों की मॉनिटरिंग कर रही
वही चंबल के नए मेहमानों की सुरक्षा के लिए फॉरेस्ट विभाग की टीम ने तार फेंसिंग की है और लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। बागली के नाका प्रभारी बुधराम जाट उनकी देखरेख करते हैं। नए घड़ियाल की मॉनिटरिंग के लिए सवाई माधोपुर पाली घाट का स्टाफ भी मदद लेता हैं।
घड़ियाल सिर्फ राजस्थान में चंबल नदी में पाए जाते हैं
वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट आदिल सैफ ने बताया- घड़ियाल सिर्फ राजस्थान में चंबल नदी में पाए जाते हैं। चंबल नदी ही ब्रीडिंग हब बना हुआ है। यहीं पर सबसे ज्यादा घड़ियाल ब्रीड करते है। इस जीव का एक समय पर विलुप्त हो जाना अवैध खनन भी माना जाता है। डैम के बन जाने से भी इस जीव का हैबिटेट कोटा रावतभाटा, गांधी सागर के बीच का जो एरिया था उसमें बांध बन जाने के कारण यह डूब क्षेत्र में आ गया था।
भारत और नेपाल में ही बचे घड़ियाल
प्रकृति और दुर्लभ जंतुओं के संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (ICUN) ने घड़ियाल को रेड लिस्ट में रखा है। इस लिस्ट में वो जीव रखे जाते हैं जो विलुप्त होने की कगार पर हैं।