Amendment 1 In Classification Of MSMEs Implemented: एमएसएमई वर्गीकरण संशोधन 1 अप्रैल से लागू: फोर्टी ने किया स्वागत, भुगतान सीमा बढ़ाने की मांग
मोदी सरकार ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के विकास के लिए बड़ा फैसला किया है। सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योग मंत्रालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर एमएसएमई के वर्गीकरण मानदंड 2006 में में संशोधन किया गया है ।

इसके तहत अब एमएसएमई के लिए निवेश और टर्नओवर की सीमा में 150 प्रतिशत तक का इजाफा किया गया है। यानी अब सूक्ष्म उद्योगों की श्रेणी के लिए 1 करोड़ के निवेश की जगह ढाई करोड़ रुपए और 5 करोड़ की जगह 10 करोड़ रुपए की सीमा तय की गई है। इसी तरह लघु उद्योगों के लिए निवेश सीमा 10 करोड़ से बढ़ाकर 25 करोड़ रुपए और टर्नओवर 50 करोड़ से बढ़ाकर 100 करोड़ रुपए किया गया है।
मध्यम उद्योगों के लिए निवेश सीमा 50 करोड़ से बढ़ाकर 125 करोड़ रुपये और टर्नओवर 250 करोड़ से बढ़ाकर 5 सौ करोड़ रुपए कर दिया गया है। नया वर्गीकरण पूरे देश में एक अप्रैल से लागू हो जाएगा। फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड एंड इंडस्ट्री (फोर्टी ) ने सुरेश अग्रवाल की अध्यक्षता में एमएसएमई के नए वर्गीकरण पर समीक्षा बैठक का आयोजन किया।
इसमें यूथ विंग अध्यक्ष सुनील अग्रवाल, महासचिव गौरव मोदी, सचिव प्रशांत शर्मा, ब्रांच चेयरमैन प्रवीण सुथार,उपाध्यक्ष डॉ अभिषेक शर्मा, संयुक्त सचिव विनय गोधा, सलाहकार विजय गोयल, सदस्य सीए निर्मल जैन, सीए विष्णु अग्रवाल, प्रवेश गोयल, सीए अमित अग्रवाल ने भाग लिया। सुरेश अग्रवाल ने एमएसएमई के दायरे में वृद्धि का स्वागत किया है ।
अग्रवाल का कहना है कि इससे केंद्र और राज्य सरकार की एमएसएमई प्रोत्साहन योजनाओं का लाभ ज्यादा उद्योगों तक पहुंचेगा। इससे देश के औद्योगिक विकास में एमएसएमई की भागीदारी बढ़ेगी। यूथ विंग अध्यक्ष सुनील अग्रवाल का कहना है कि एमएसएसई का दायरा बढाना स्वागत योग्य है लेकिन आयकर की धारा 43 एच बी के तहत एमएसएमई को भुगतान की समय सीमा में भी वृद्धि की जानी चाहिए, क्योंकि यदि 15 और 45 दिन की सीमा को नहीं बढ़ाया गया तो अब ज्यादा उद्योग इसके दायरे में आएंगे, खासतौर से टेक्सटाइल और गारमेंट इंडस्ट्री को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।