WSDS 2025: जलवायु महत्वाकांक्षा: अनुकूलन रूपरेखा और जलवायु न्याय पर वैश्विक नेताओं की चर्चा
नई दिल्ली ऊर्जा और संसाधन संस्थान (TERI) द्वारा नई दिल्ली में चल रहे WSDS 2025 के दूसरे दिन COP30 और COP33 की राह पर बहुपक्षवाद नामक मंत्रिस्तरीय बैठक आयोजित की गई।

प्रमुख जलवायु विशेषज्ञों, विचारकों, रणनीतिकारों, नीति निर्माताओं और दूरदर्शी लोगों ने प्रभावी वैश्विक रणनीतियों को आकार देने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को अद्यतन करने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। प्रतिष्ठित पैनलिस्टों ने वास्तविक प्रभाव देने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्यों और अधिक जवाबदेही – वैश्विक स्टॉकटेक (GST) द्वारा निर्देशित NDC 3.0 सुनिश्चित करने का आह्वान किया। वैश्विक जलवायु कार्रवाई और जवाबदेही ढांचे को मजबूत करने में यूएई-बेलेम कार्य कार्यक्रम की भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया।
जैसे-जैसे देश COP30 के लिए अपने NDC 3.0 प्रतिबद्धताओं को प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे हैं, भारत ने COP33 की मेजबानी के लिए भी अपना दावा प्रस्तुत किया है। TERI के प्रतिष्ठित फेलो, श्री आर. आर. रश्मि द्वारा संचालित इस सत्र का उद्देश्य स्थायी विकास को गति देने, जलवायु न्याय सुनिश्चित करने और भारत को वैश्विक दक्षिण (Global South) के एक प्रमुख प्रतिनिधि के रूप में स्थापित करने हेतु ठोस रणनीतियों और व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करना था।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (IPCC) के अध्यक्ष, प्रो. जिम स्की ने ‘वैज्ञानिक नेतृत्व’विषय पर अपने संबोधन में कहा, “2018 में जब IPCC की 1.5°C तापमान वृद्धि को सीमित करने पर विशेष रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी, तब मैंने कहा था कि यह लक्ष्य भौतिकी और रसायन विज्ञान के नियमों के भीतर संभव है, लेकिन अब यह आकांक्षा बहुत पतले धागे से लटकी हुई प्रतीत होती है। हम तब तक सतत विकास या गरीबी उन्मूलन नहीं कर सकते जब तक कि हम पेरिस समझौते के तीन लक्ष्यों पर प्रगति न करें। और इन तीनों लक्ष्यों में से किसी एक पर भी प्रगति नहीं होगी यदि सभी लक्ष्यों पर समान गति से कार्य न किया जाए।