Mahakumbh 2025: महाकुंभ में क्यों किया जाता हैं स्नान? क्या हैं इसके पीछे का राज: पवित्र स्नान से मिलेगी आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति
कुंभ मेला 2025 अपने आप में बहुत ही आध्यात्मिक पर्व है, जिसमें स्नान करने वाले को जन्मों जन्म के पाप से मुक्ति मिल जाती है। लोगों का आध्यात्मिक रूप से शुद्धिकरण होता है लेकिन महाकुम्भ जबतक चलेगा। उस बीच कई और महत्वपूर्ण स्नान पर्व और धार्मिक त्योहार मनाए जाएंगे।

मान्यता है कि महाकुंभ में विशेष तिथियों पर पवित्र नदियों (त्रिवेणी, यानी गंगा, यमुना और सरस्वती, जो दृश्य हैं) में स्नान करने से आध्यात्मिक शुद्धि, पापों का प्रायश्चित, पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए महाकुंभ में इन तिथियों पर होने वाले स्नान को अमृत स्नान कहा जाता है।
महाकुंभ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है और इसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ की भव्य शुरुआत हो चुकी है। 13 जनवरी को इस महाकुंभ का पहला अमृत स्नान था। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम है। यह हर 12 साल पर आयोजित किया जाता है। मान्यता है कि महाकुंभ में विशेष तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान करने से आध्यात्मिक शुद्धि, पापों का प्रायश्चित, पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए महाकुंभ में इन तिथियों पर होने वाले स्नान को अमृत स्नान कहा जाता है।
महाकुंभ में दूसरा अमृत स्नान कब है?
महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या पर किया जाएगा। ये महाकुंभ का सबसे बड़ा अमृत स्नान माना जा रहा है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 जनवरी की शाम 7 बजकर 35 मिनट पर हो रही है। ये अमावस्या तिथि 29 जनवरी की शाम 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार महाकुंभ में मौनी अमावस्या का अमृत स्नान 29 जनवरी को किया जाएगा। इस दिन त्रिवेणी संगम पर भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे।
महाकुंभ 2025 शाही स्नान तिथियां
- पौष पूर्णिमा 13 जनवरी 2025 के दिन पहला शाही स्नान होगा।
- मकर संक्रांति 14 जनवरी 2025 के दिन दूसरा अमृत स्नान होगा।
- मौनी अमावस्या 29 जनवरी 2025 के दिन तीसरा अमृत स्नान होगा।
- बसंत पंचमी 3 फरवरी 2025 के दिन चौथा अमृत स्नान होगा।
- माघ पूर्णिमा 12 फरवरी 2025 के दिन पांचवा शाही स्नान होगा।
- महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 के दिन आखिरी शाही स्नान होगा।