Jharkhand Assembly Election 2024: हेमंत सोरेन की पार्टी जीत की ओर बढ़ रही है: झारखंड में 24 साल का सियासी रिकॉर्ड टूटता नजर आया
झारखंड में पहली बार कोई पार्टी मजबूती के साथ सत्ता में वापसी करती दिख रही है। अब तक के रूझानों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिख रहा है।
झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से करीब 50 सीटों पर हेमंत सोरेन के गठबंधन को बढ़त मिल रही है। और इनमें से 10 सीटों पर तो बढ़त का मार्जिन 10,000 से ज्यादा वोटों का है। यह झारखंड के 24 साल पुराने सियासी इतिहास को बदलने की ओर इशारा कर रहा है।
सीएम फेस की कमी और बीजेपी की स्थिति
भारतीय जनता पार्टी के पास राज्य में कोई मजबूत लोकल सीएम चेहरा नहीं था। पार्टी के पास जिन दो प्रमुख नेताओं को सीएम का चेहरा माना जा रहा था। वे दोनों ही दलबदलू थे। बाबू लाल मरांडी और चंपई सोरेन। दिलचस्प यह है कि चंपई सोरेन तो विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। जो उनकी सियासी विश्वसनीयता को प्रभावित करता है।
हेमंत सोरेन की हैट्रिक की ओर बढ़ते कदम
हेमंत सोरेन पिछले चुनावों में अपनी परंपरागत सीट बरहेट से 25,740 वोटों से जीत चुके थे। इस बार भी भाजपा ने उन्हें चुनौती देने के लिए गमालियल हेंब्रम को मैदान में उतारा है। हालांकि अभी तक के रुझानों में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) बरहेट सीट पर 8,000 से ज्यादा वोटों से आगे चल रहे हैं। और वह इस बार जीत की हैट्रिक लगाने के करीब हैं।
राजनितिक लाभ और जेल जाने का असर
हेमंत सोरेन का जेल जाना उनके लिए राजनीतिक रूप से फायदेमंद साबित हुआ। कथित ज़मीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। लेकिन झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद उनकी छवि मजबूत हुई। कोर्ट ने कहा था कि प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। इसने हेमंत को लोगों की सहानुभूति दिलाई खासकर आदिवासी समाज में उनकी अपील मजबूत हुई।
महिलाओं को जोड़ने की रणनीति
हेमंत सोरेन ने जुलाई 2024 में सत्ता संभालने के बाद महिला वोटबैंक पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने “मैयां सम्मान योजना” शुरू की जिसके तहत हर महिला के बैंक खाते में 1,000 रुपये प्रति माह डाले गए। इस योजना को बीजेपी ने चुनौती नहीं दी और इसका लाभ हेमंत को मिला। इसके अलावा हेमंत सोरेन (Hemant Soren) ने अपनी पत्नी कल्पना को भी चुनावी मैदान में उतारा जिन्होंने 100 से अधिक रैलियों में भाग लिया। इन रैलियों में भारी संख्या में महिलाएं शामिल हुईं। और महिलाओं का मतदान प्रतिशत इस बार 4% बढ़ा।
आदिवासी मुद्दे और बीजेपी के खिलाफ रणनीति
हेमंत सोरेन आदिवासी अस्मिता को लेकर लगातार सक्रिय रहे। उन्होंने यह मुद्दा उठाया कि उनके कार्यकाल के बावजूद राज्यपाल ने उनके द्वारा पास किए गए खतियानी और आरक्षण प्रस्तावों पर मुहर नहीं लगाई। राज्य में आदिवासी क्षेत्रों में हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को एकतरफा जीत मिलती नजर आ रही है। क्योंकि उनकी पार्टी आदिवासी हितों की रक्षा के लिए मजबूत कदम उठा रही है।
कुड़मी वोटर्स और बीजेपी का नुकसान
इस चुनाव में कुड़मी वोटर्स जो पहले आजसू के साथ थे। इस बार बीजेपी से अलग हो गए। जयराम महतो के चुनावी मैदान में उतरने से यह वोटबैंक बीजेपी (BJP) से छिटक गया। बीजेपी (BJP) ने सुदेश महतो के साथ गठबंधन किया था। लेकिन उनकी पार्टी को केवल 2-3 सीटों पर ही बढ़त मिलती दिख रही है। जो बीजेपी (BJP) के लिए बड़ा झटका है।
इस प्रकार हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड में एक ऐतिहासिक जीत की ओर अग्रसर है। और इस चुनाव में कई पुराने सियासी रिकॉर्ड टूटते हुए नजर आ रहे हैं।