Story of Russia-Ukraine War: रूस-यूक्रेन युद्ध, 1000 दिन का संघर्ष और भविष्य की अनिश्चितता
रूस-यूक्रेन युद्ध की कहानी एक फिल्मी सस्पेंस से भरपूर है। जिसमें राजनैतिक दबाव अंतरराष्ट्रीय संघर्ष और मानवीय त्रासदी की पूरी दास्तान है। यूक्रेन और रूस के बीच तनातनी तो काफी दिन से चल रही थी।
लेकिन कभी भी दोनों ही देशों के लोगों ने ये नहीं सोचा होगा की उन्हें आने वाले समय उस त्रासदी का सामना करना पड़ेगा जो कभी पहले और दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान पूरी दुनिया झेला था। यह युद्ध 24 फरवरी, 2022 को रूस के यूक्रेन पर हमले के साथ शुरू हुआ। लेकिन इस संघर्ष की जड़ें बहुत पहले से तैयार कर ली गई थी।
आज रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे दर्दनाक संघर्ष को एक हजार दिन हो गए हैं। और यह युद्ध यूरोप का सबसे घातक संघर्ष बन चुका है। 21वीं सदी का यह सबसे बड़ा संकट आज भी दुनिया भर में सुर्खियों में बना हुआ है। शुरु से लेकर आज तक की कैसे आज यूक्रेन के शहरों, कस्बों और गांवों की जो स्थिति थी। वह कल्पनाओं से परे थी—लाशों का ढेर खंडहर में तब्दील हो चुकीं इमारतें, और रोज़मर्रा की जिंदगी की रफ्तार रुक चुकी थी। कैसे आज युक्रेन के लोग इस दर्दनाक दंश को झेल रहे है।
साल 2014 एक एतिहासिक मोड़ जब इस युद्ध के शुरु होने के संकेत मिले थे। यूक्रेन के क्रीमिया क्षेत्र पर रूस का कब्जा और रूस समर्थित विद्रोहियों का यूक्रेन के पूर्वी हिस्सों में संघर्ष युद्ध के पूर्व संकेत थे। रूस ने क्रीमिया को अपने में मिला लिया और यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र में रूस समर्थित विद्रोही गुटों को भेजा। यूक्रेन में सत्ता परिवर्तन के बाद रूस की सरकार ने यूक्रेन की दिशा और उसकी पश्चिमी झुकाव को लेकर चिंता जताई जो इस युद्ध के बीज थे।
साल 2021 – जब दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता है रूस यूक्रेन की सीमा पर अपनी सेना को जमा करने लगता है। जिससे तनाव और बढ़ जाता है। पश्चिमी देशों के साथ यूक्रेन के रिश्ते और मजबूत होते जा रहे थे। खासकर नाटो (NATO) में शामिल होने की संभावनाएं बढ़ रही थीं। रूस इस पर नाराज था क्योंकि उसे नाटो का विस्तार अपनी सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में दिखाई दे रहा था।
अब बात करेंगे उस काले दिन की जब युक्रेन और रूस के बीच इस युद्ध की शुरुआत होती है दिन था 24 फरवरी साल 2022 विशेष सैन्य अभियान”(Special Military Operations”) का ऐलान होता है और फिर शुरु होती है इस सदी के दंश की शुरुआत रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ एक सैन्य आक्रमण का आदेश दिया। इसे “विशेष सैन्य अभियान” (Special Military Operations”) कहा गया। रूस ने यूक्रेन की राजधानी कीव पर हमले की योजना बनाई और तेजी से यूक्रेन के कई हिस्सों में हमले शुरू कर दिए। पुतिन का दावा था कि यह अभियान यूक्रेन को “नाजीकरण” और “नाटो से बचाने” के लिए है। रूस की सेना ने कीव, खार्किव, ओडेसा और दक्षिणी यूक्रेन में बड़े हमले किए।
एक तरफ रूस लगातार यूक्रेन पर हमले कर रहा था औऱ दूसरी तरफ यूक्रेन भी पूरी दुनिया के सबसे ताकतवर देश का जवाब देश देने के लिए उठ खड़ा होता है और इस यूक्रेन की ओर से जवाबी कार्रवाई शुरु होती है औऱ वो – नायक की तरह उठ खड़ा होता है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर ज़ेलेंस्की ने अपने देश की रक्षा की अपील की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की गुहार लगाई। यूक्रेनी सेना और नागरिकों ने रूस के खिलाफ शानदार प्रतिरोध दिखाया। कीव पर हमला करने के बावजूद रूस की सेना उसे नहीं कब्जा सकी और कीव में भारी तबाही मचाने के बावजूद रूसी सेना पीछे नहीं हटी। यूक्रेनी सेना ने भी रूस के खिलाफ कई महत्वपूर्ण मोर्चों पर संघर्ष किया। जैसे कि खार्किव और कीव की तरफ रूस के आक्रमण को नाकाम करना। यूक्रेनी नागरिकों ने भी बंदूकें उठाईं और देश की रक्षा में शामिल हुए। राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का साहसिक नेतृत्व और देशवासियों का हौंसला बढ़ा।
पश्चिमी देशों का समर्थन – आर्थिक, सैन्य और मानवीय मदद
युद्ध के शुरुआती दिनों में रूस ने सोचा था कि यूक्रेन जल्दी हार जाएगा। लेकिन पश्चिमी देशों ने यूक्रेन को व्यापक सहायता प्रदान की। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने सैन्य सहायता, हथियार, आर्थिक मदद और मानवीय सहायता प्रदान की। इसके साथ ही रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए गए। जिससे उसकी अर्थव्यवस्था पर भारी असर पड़ा। यूक्रेन को सैन्य सहायता के रूप में हथियारों, शॉर्ट रेंज मिसाइलों(weapons short range missiles) और ड्रोन्स (Drones) का समर्थन मिला। नाटो देशों ने भी यूक्रेन को सैन्य प्रशिक्षण और गुप्त जानकारी दी।
रूस की कड़ी प्रतिक्रिया और युद्ध का विस्तार
2022 के बीच में – संघर्ष बढ़ता है। रूस ने पूर्वी यूक्रेन के दो शहर (डोनेट्स्क और लुहांस्क) में अपनी पकड़ मजबूत की और उसे “लक्ष्य”(“Target”) के रूप में पेश किया। यूक्रेनी सेना ने इस क्षेत्र में रूसी आक्रमण को वापस किया। लेकिन युद्ध की जटिलता बढ़ती चली गई। रूस ने संघर्ष को लंबे समय तक खींचने की योजना बनाई। लेकिन यूक्रेन की जवाबी कार्रवाई ने उसकी गति को धीमा कर दिया।रूस ने बाद में खुद को और सशक्त बनाने के लिए “सैन्य उन्नयन”(“Military Upgrade”) की घोषणा की और कई लाख सैनिकों को युद्ध में शामिल किया।
बर्फीले युद्ध और मानवीय संकट
2023 बर्फबारी और ठंड में संघर्ष सर्दियों के दौरान युद्ध का मैदान और भी मुश्किल हो गया। बर्फ, सर्दी और ठंड ने दोनों पक्षों को भारी परेशानियों में डाल दिया। संघर्ष में भारी तबाही मची और लाखों लोग अपने घरों से बेघर हो गए।
यूक्रेन में मानवीय संकट गहरा गया। लाखों लोग शरणार्थी बन गए। अस्पताल, स्कूल, और अन्य नागरिक सुविधाएं तबाह हो गईं। रूस और यूक्रेन दोनों ही आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे थे कि एक-दूसरे के नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
रूस की स्थिति और अंतरराष्ट्रीय दबाव
2023 – आर्थिक संकट और रूस का विरोध रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों (international sanctions) के कारण उसकी अर्थव्यवस्था दवाब में आई। रूसी नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन किए और पुतिन के खिलाफ आवाज उठाई। इसके साथ ही रूस में सैन्य बलों की हानि भी हो रही थी। रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी कि अगर उनका समर्थन यूक्रेन को जारी रहा तो यह संघर्ष और भी बढ़ सकता है।
युद्ध का वर्तमान और भविष्य
2024 – युद्ध जारी है वर्तमान समय में युद्ध खत्म होने के कोई संकेत नहीं हैं। यूक्रेन ने अपनी शक्ति को और मजबूत किया है और रूस भी अपनी आक्रमकता को जारी रखे हुए है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय युद्ध (international community war) को समाप्त करने के प्रयास कर रहा है। लेकिन पुतिन(Putin) और ज़ेलेंस्की (Zelensky) के बीच की खाई बहुत गहरी हो गई है।
दोनों देशों के बीच शांति की कोई स्थायी संभावना फिलहाल दिखाई नहीं देती। और युद्ध के परिणाम स्वरूप लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं। दुनिया भर में यह युद्ध एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। जिसमें हर दिन नई परिस्थितियां सामने आती हैं।
कहानी का अंत – क्या शांति संभव है?
रूस-यूक्रेन युद्ध की फिल्मी कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। यह संघर्ष अब भी जारी है और इस संघर्ष के परिणाम पूरे यूरोप एशिया(Europe Asia) और वैश्विक स्तर पर महसूस किए जा रहे हैं। क्या यह युद्ध अंत में शांति और समझौते के साथ खत्म होगा। या फिर यह और भी रक्तपात और दुख का कारण बनेगा। यह आने वाले समय में ही तय होगा। ये थी रसिया युक्रेन के 1000 दिनों की कहानी जिसमें यूक्रेन आज भी वो दंश लगातार झेल रहा है जो 3 साल पहले शुरु हुआ था और यूक्रेन के लोग लगातार जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहें है।
ऐसे हुई थी कहानी की शुरवात देखें पूरी कहानी यहाँ