Haji Mastan Story: मुंबई का अंडरवर्ल्ड डॉन जिसने अपराध की दुनिया में कमाया नाम: लेकिन कभी नहीं उठाई बंदूक
हाजी मस्तान मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन का जन्म 26 मार्च 1926 को तमिलनाडु के कुड्डालोर में एक गरीब परिवार में हुआ था। मस्तान का सपना मुंबई जाकर पैसा कमाने का था। उनके पिता हैदर मिर्जा(Haider Mirza) 1934 में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ मुंबई आए और यहीं हाजी मस्तान का पहला कदम पड़ा। उस समय किसी ने भी नहीं सोचा था कि यह बच्चा आगे चलकर मुंबई का सबसे बड़ा अंडरवर्ल्ड डॉन (Underworld D0n) बनेगा।
1944 में मस्तान ने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए गोदी यार्ड(Godi Yarda) में कुली का काम करना शुरू किया। इसी दौरान उनकी मुलाकात ग़ालिब शेख (Ghalib Shaikh) से हुई ।जो छोटे पैमाने पर तस्करी करता था। ग़ालिब को एक स्मार्ट लड़के की जरूरत थी। और उसने मस्तान को अपने साथ तस्करी में शामिल कर लिया। मस्तान ने धीरे-धीरे तस्करी के कारोबार में नाम कमाना शुरू किया और जल्द ही मुंबई के अंडरवर्ल्ड में अपनी पहचान बना ली।
मस्तान का उभार
मस्तान से पहले मुंबई में वरदराजन मुदलियार उर्फ वरदा का दबदबा था। लेकिन वह मस्तान जैसा माफिया डॉन नहीं बन सका। इसके बाद वरदराजन चेन्नई लौट गया। और मस्तान की शक्ति और प्रभाव में और इजाफा हो गया। 1970 के दशक तक मस्तान का मुंबई अंडरवर्ल्ड में दबदबा था। और समंदर पर उसका राज चलता था।
बॉलीवुड से जुड़ाव और VIP दर्जा
हाजी मस्तान का बॉलीवुड से भी गहरा रिश्ता था। वह बॉलीवुड एक्ट्रेस मधुबाला के बहुत बड़े फैन थे और उनसे शादी करना चाहते थे। लेकिन यह संभव नहीं हो सका। इसके बाद उन्होंने सोना नाम की अभिनेत्री से शादी की जो मधुबाला से काफी हद तक मिलती-जुलती थीं। हाजी मस्तान का बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता जैसे दिलीप कुमार, अमिताभ बच्चन, राज कपूर, धर्मेंद्र और फिरोज खान से भी करीबी संबंध था। 1974 में जब पुलिस ने मस्तान को गिरफ्तार किया। तो उसे वीआईपी का दर्जा दिया गया और उसे एक बंगले में नजरबंद रखा गया। मस्तान को पुलिस सलाम करती थी। क्योंकि वह समय-समय पर पुलिस की मदद भी करता था।
इंदिरा गांधी का आदेश और जेल यात्रा
मस्तान की बढ़ती गतिविधियों को देखते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के आदेश पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे। आपातकाल लागू होने के बाद 1975 में मस्तान को गिरफ्तार किया गया और 18 महीने तक जेल में रहना पड़ा। इस दौरान उसकी मुलाकात समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण से हुई। जो उसके जीवन पर गहरा प्रभाव डाल गए। जेल से बाहर आने के बाद मस्तान ने आपराधिक दुनिया छोड़ने का फैसला किया।
राजनीति में कदम और फिल्मों का प्रभाव
1980 में मस्तान ने आपराधिक दुनिया से संन्यास लेकर राजनीति में कदम रखा और 1984 में दलित-मुस्लिम सुरक्षा महासंघ पार्टी की शुरुआत की। हालांकि, यह पार्टी राजनीतिक सफलता नहीं प्राप्त कर पाई। इसके बावजूद मस्तान की जिंदगी से प्रेरित कई बॉलीवुड फिल्में बनीं। जैसे कि अमिताभ बच्चन की दीवार (Deevaar) अजय देवगन की कंपनी और विनोद खन्ना की दयावान जिनमें मस्तान की कहानी को पेश किया गया था।
हाजी मस्तान का प्रभाव
हाजी मस्तान ने अपनी जिंदगी में कभी किसी की जान नहीं ली और न ही किसी पर हमला किया। वह मुंबई के अंडरवर्ल्ड (Underworld) में सबसे ताकतवर डॉन थे। लेकिन उन्होंने कभी किसी को गोली नहीं मारी। एक बार मस्तान के आदेश पर दो अपराधियों ने अपने एक समय के साथी यूसुफ पटेल पर गोली चलाने की कोशिश की लेकिन यूसुफ बच गया। मस्तान ने अपराध की दुनिया से बाहर निकलने के बाद शांति से अपनी जिंदगी बिताई और अपने अंतिम दिन पत्नी और दत्तक पुत्र के साथ बिताए।
मस्तान की मौत
हाजी मस्तान का निधन 1994 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ। उसके बाद भी मुंबई की अंडरवर्ल्ड (Underworld) दुनिया में उसका नाम बरकरार रहा। मस्तान का जीवन आज भी मुंबई में एक बड़ा चर्चित विषय है। और उसकी कहानी से प्रेरित फिल्में आज भी दर्शकों को आकर्षित करती हैं।
हाजी मस्तान का जीवन न केवल एक अंडरवर्ल्ड डॉन (Underworld Don)के रूप में बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी याद किया जाता है जिसने अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में अपराध से बाहर निकलकर समाज की सेवा करने की कोशिश की। उनका प्रभाव मुंबई और बॉलीवुड पर आज भी बना हुआ है।
आगे हम आपको उस महिला डॉन की कहानी बताएंगे जिसने न केवल अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अपना नाम कमाया, बल्कि दाउद इब्राहिम जैसे कुख्यात अपराधियों को भी डराया। तो बने रहिए हमारे साथ।