Rajasthan News Update: राजस्थान में स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए समिति का गठन: शिक्षा मंत्री ने की घोषणा
राजस्थान में स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा के लिए समिति का गठन किया गया है। शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने बीते दिनों सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि पाठ्यक्रम में पढ़ाए जा रहे कुछ अवांछनीय प्रसंगों और विषयों को हटाया जाएगा। कांग्रेस ने इसे शिक्षा का भगवाकरण करार दिया है।
इसके बाद अब शिक्षा विभाग ने इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए पाठ्यक्रम समीक्षा की पहल कर समिति का गठन किया है। वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति प्रो. कैलाश सोढाणी को इस समिति का अध्यक्ष बनाया है। शिक्षाविद् हनुमान सिंह राठौड़ समिति के उपाध्यक्ष होंगे। समिति में शिक्षाविद् डी. रामाकृष्ण राव को सलाहकार सदस्य बनाया है।
इन शिक्षाविदों को बनाया गया है सदस्य
इनके अलावा RPSC के पूर्व सदस्य प्रोफेसर प्रमेंद्र कुमार दशोरा, माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर भारत राम कुमार, सेवानिवृत शिक्षाविद् श्याम सुंदर बिस्सा, सेवानिवृत्ति आईपीएस कन्हैया लाल बेरीवाल समेत जयंतीलाल खंडेलवाल को समिति का सदस्य बनाया गया है। यह समिति स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा करेगी और उसके बाद उसमें क्या बदलाव किए जाएं इसके सुझाव देगी।
प्रारंभिक शिक्षा (आयोजना) विभाग की ओर से जारी आदेश के अनुसार यह समीक्षा समिति राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के प्रावधानों एवं राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा एवं राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए संपूर्ण स्कूली पाठ्यक्रम की विषय वस्तु, छायाचित्र, रेखाचित्र, सामग्री संकलन व्याख्या का अध्ययन एवं समीक्षा कर 30 दिवस में अपने सुझाव राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद उदयपुर को प्रस्तुत करेगी।
पाठ्यक्रम में सुधार के लिए मुख्य बिंदु
- अवांछनीय विषयों को हटाना: राज्य सरकार ने उन विषयों को हटाने का निर्णय लिया है जो विद्यार्थियों के मानसिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं यह निर्णय राज्य के शिक्षाविदों और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। जो पाठ्यक्रम में सुधार की आवश्यकता महसूस कर रहे थे।
- समाज की जरूरतों के अनुसार पाठ्यक्रम को अद्यतन करना: यह सुधार ऐसे समय में किया जा रहा है जब समाज में लगातार बदलाव आ रहे हैं पाठ्यक्रम को वर्तमान समय की आवश्यकताओं और राष्ट्रीय दृष्टिकोण से मेल खाना चाहिए।
- नवाचार और तकनीकी शिक्षा पर जोर: एक ओर पहल यह है कि नई तकनीक और नवाचारों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा ताकि विद्यार्थियों को भविष्य के लिए तैयार किया जा सके शिक्षा में तकनीकी उन्नति को ध्यान में रखते हुए पाठ्यक्रम में डिजिटल शिक्षा, कंप्यूटर विज्ञान, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे विषयों का समावेश किया जा सकता है।
- शिक्षकों की प्रशिक्षण प्रक्रिया में सुधार: इसके साथ-साथ शिक्षकों के प्रशिक्षण और उनके विकास के लिए भी विशेष योजनाएं बनाई जाएंगी ताकि वे नवीनतम शैक्षिक पद्धतियों को अपनाकर छात्रों को सर्वोत्तम शिक्षा दे सकें।
राजस्थान के स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम को लेकर हो रही इस कवायद के बाद सूबे में इस पर सियासत गरमाने के आसार बन गए हैं। पहले से ही विपक्ष के निशाने पर चल रहे शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को लेकर विपक्ष और हमलावर हो सकता हैं। शिक्षा मंत्री दिलावर ने हाल ही में प्रदेशभर की स्कूलों में सरप्लस चल रहे टीचर्स को खाली पदों वाली स्कूलों में भेजने के आदेश भी दिए हैं। शिक्षा मंत्री इससे पहले स्कूल ड्रेस कोड लेकर भी चर्चा छेड़ चुके हैं। शिक्षा मंत्री के ये फैसले विपक्ष को पच नहीं रहे हैं। लिहाजा उनके हर फैसले पर प्रदेश में सियासत गरमा जाती हैं।