Pushkar Fair 2024: इंटरनेशनल पुष्कर मेले में आकर्षण का केन्द्र बना 11 करोड़ का घोडा: पुष्कर मेले में देश का सबसे ऊंचा घोड़ा
राजस्थान के प्रसिद्ध पुष्कर मेला में इस बार एक खास घोड़ा चर्चा का विषय बना हुआ है। मोहाली (पंजाब) से आए इस घोड़े की कीमत 11 करोड़ रुपये तक लग चुकी है। यह घोड़ा “कर्मदेव” नाम से पहचाना जाता है।
दावा किया जा रहा है कि यह देश का सबसे ऊंचा घोड़ा है। “कर्मदेव” की ऊंचाई 72 इंच और उम्र 4 साल 3 महीने है। इसके पिता का नाम “द्रोणा” और दादा का नाम “शानदार” है। जबकि परदादा का नाम “आलीशान” है।
सैंड आर्ट की आकर्षक कलाकृतियां
इस मेले में सैलानियों का ध्यान आकर्षित कर रही हैं बड़ी-बड़ी सैंड आर्ट्स बालू की कलाकृतियां। इन कलाकृतियों में राम मंदिर और देवमाली गांव की अद्भुत तस्वीरें बनाई गई हैं। जो बालू के धोरों पर उकेरी गई हैं। यह कलाकृतियां पुष्कर के ग्रामीण इलाके के अजय रावत द्वारा बनाई गई हैं। और दर्शकों को हैरान कर रही हैं।
मारवाड़ी नस्ल के घोड़े की लोकप्रियता
पुष्कर मेला घोड़े के कारोबार के लिए भी जाना जाता है। खासकर मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों के लिए। इन घोड़ों की ताकत, रफ्तार, सुंदरता और कद-काठी की लोग विशेष रूप से सराहना करते हैं। इन घोड़ों में सबसे महंगा और चर्चित “कर्मदेव” बन चुका है।
11 करोड़ की बोली
मोहाली के घोड़ा विक्रेता गुरु प्रताप सिंह गिल ने बताया कि उनके वीर स्टड फार्म में कुल 82 घोड़े हैं। जिनमें से 30 घोड़े वे पुष्कर मेले में लाए हैं। “कर्मदेव” के अलावा पिछले साल ब्रह्मदेव नामक घोड़े को भी 11 करोड़ की बोली लगी थी। ब्रह्मदेव की ऊंचाई 70 इंच है और वह पंचकल्याणक है। “कर्मदेव” और “ब्रह्मदेव” दोनों की कीमत 11 करोड़ रुपये तक लग चुकी है। लेकिन विक्रेता इन्हें बेचना नहीं चाहते। इन दोनों घोड़ों ने जोधपुर के रंसी शो में भी जीत हासिल की थी जब वे ढाई साल के थे।
कर्मदेव की विशेषताएँ
गिल ने बताया कि “कर्मदेव” की ऊंचाई 72 इंच है और उसकी उम्र 4 साल 3 महीने है। उनका कहना है कि घोड़े के अभी डेढ़ साल और बढ़ने की संभावना है। और इस दौरान उसकी ऊंचाई और भी बढ़ सकती है। इसके पिता “द्रोणा” दादा “शानदार” और परदादा “आलीशान” भी प्रसिद्ध घोड़े रहे हैं।
मारवाड़ी नस्ल के घोड़ों की विशेषताएँ
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक और घोड़ा विशेषज्ञ डॉ. नवीन परिहार ने बताया कि मारवाड़ी नस्ल के घोड़े मूल रूप से “मालानी” नामक क्षेत्र से आते हैं। जो राजस्थान के बाड़मेर, जालोर, पाली और सिरोही जिलों को कवर करता है। यह क्षेत्र अरब देशों की मिट्टी से मिलती-जुलती है। जिससे इन घोड़ों की खासियतें विकसित हुई हैं। मारवाड़ी घोड़े आमतौर पर 60 से 62 इंच ऊंचे होते हैं। लेकिन “कर्मदेव” जैसे घोड़े इससे कहीं अधिक ऊंचे होते हैं। इन घोड़ों की विशेषताएं यह हैं कि वे न केवल सुंदर होते हैं। बल्कि ताकत रफ्तार और रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी उत्तम होते हैं। ये घोड़े माइनस 8 डिग्री से लेकर 48 डिग्री तापमान तक के विभिन्न वातावरण में सफर कर सकते हैं और मौसम परिवर्तन से ज्यादा प्रभावित नहीं होते।
इन घोड़ों की यह खासियत उन्हें कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहने और अच्छे प्रदर्शन करने की क्षमता देती है। यही वजह है कि मारवाड़ी नस्ल के घोड़े हमेशा से शाही परिवारों और सैन्य उद्देश्यों के लिए पसंद किए गए हैं।