Jaipur Foundation Day 2024: आज जयपुर बना रहा अपना 297वें स्थापना दिवस दिवस: आखिरकार जयपुर को क्यों बसाया गया: जाने जयपुर के बार में कुछ खास बाते……..
करीब तीन सदी से दुनिया के सबसे सुरक्षित शहरों में शुमार जयपुर का आज स्थापना दिवस है।
आज जयपुर को बने 297 साल पुरे हो चुके है यानीकि आज जयपुर अपना 297 वा जन्म दिवस बना रहा है इसी के चलते आज से जयपुर स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ कर रहा है जो पुरे 1 महीने तक तक आयोजित किये जायगे। गुलाबी नगरी के नाम प्रसिद्ध जयपुर में आज से सांस्कृतिक कार्यक्रम की शुरुवात भी हो गयी है। वैसे तो जयपुर को इस की खूबसूरती के लिए भी जाना जाता है। और सुंदर भवनों के आकर्षक स्थापत्य वाले, दो सौ वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्रफल में फैले जयपुर में जलमहल, जंतर-मंतर, आमेर महल, नाहरगढ़ का किला, हवामहल और आमेर का किला राजपूतों के वास्तुशिल्प के बेजोड़ नमूने हैं।
गणपति पूजन से होगा आगाज
जयपुर नगर निगम हैरिटेज की महापौर मुनेश गुर्जर शहर के प्रवेशद्वार गंगापोल दरवाजे पर विराजमान गणेशजी की पूजा अर्चना करेंगी। वहीं नगर निगम ग्रेटर जयपुर की महापौर शील धाभाई मोती डूंगरी गणेश मन्दिर में करेंगी पूजा अर्चन करने पहुंचेंगी। जयपुर स्थापना दिवस समारोह में होंगे कई कार्यक्रम। सुबह 8 बजे गंगापोल दरवाजे पर भगवान गणेश की पूजा की जायेगी। अतिरिक्त आयुक्त बृजेष कुमार चांदोलिया ने बताया कि गुरुवार शाम 4 बजे गोविन्द देवजी मन्दिर में पूजा-अर्चना कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।
आइए जानें जयपुर की कुछ खास बाते सबसे पहले जयपुर की स्थापना की बात करते है……………
जयपुर की स्थापना
जयपुर राजस्थान की राजधानी है जिसकी स्थापना महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने 18 नवंबर, 1727 को की थी। महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय एक कछवाहा राजपूत थे जिन्होंने 1699-1743 तक जयपुर पर शासन किया था। जयपुर अपनी समृद्ध भवन निर्माण-परंपरा, सरस-संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है. इसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है।
जयपुर में बोली जाने वाली भाषा
जयपुर की आधिकारिक भाषा हिंदी है और शहर की मूल और मुख्य बोली धुंदरी है. मारवाड़ी और मानक हिंदी बोलियां भी बोली जाती हैं।
जयपुर गुलाबी शहर के नाम से क्यों है मशहूर ?
जयपुर को गुलाबी रंग से रंगने की परंपरा 1876 में शुरू हुआ। उस समय, इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट जयपुर आने वाले थे। महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने अपने मेहमानों के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंगने का आदेश दिया। तब से जयपुर को गुलाबी शहर के रूप में जाना जाता है।
जयपुर क्यों बसाया गया?
कहा जाता है कि महाराज सवाई जय सिंह द्वितीय नाहरगढ़ पहाड़ी के नीचे सौ एकड़ से भरे जंगल काफी प्रिय थे। वे अक्सर शिकार करने जाया करते थे। तब उन्होंने तय किया कि राजधानी आमेर के पास एक ऐसा शहर बसाया जाए, जिसकी प्रत्येक इमारत व सड़क करीने से बनी हो। उनकी इसी सोच का नतीजा था जयपुर का निर्माण।
जयपुर को भारत का पेरिस क्यों कहा जाता है?
जयपुर शहर तीन तरफ से अरावली पर्वतमाला से घिरा हुआ है। साल 1876 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ वेल्स युवराज अल्बर्ट ने जयपुर का दौरा किया था। तब उनके स्वागत में महाराजा ने जयपुर शहर को गुलाबी रंग से पुतवा दिया था। इसके बाद से ही जयपुर को पिंक सिटी व भारत का पेरिस कहा जाने लगा।
जयपुर की खूबसूरती बढ़ाते है बाजार
जयपुर प्रेमी कहते हैं कि जयपुर के सौन्दर्य को को देखने के लिये कुछ खास नजर चाहिये, बाजारों से गुजरते हुए, जयपुर की बनावट की कल्पना को आत्मसात कर इसे निहारें तो पल भर में इसका सौन्दर्य आंखों के सामने प्रकट होने लगता है।जयपुर के रौनक भरे बाजारों में दुकानें रंग बिरंगे सामानों से भरी हैं, जिनमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, हस्तकला से युक्त वनस्पति रंगों से बने वस्त्र, मीनाकारी आभूषण, पीतल का सजावटी सामान, राजस्थानी चित्रकला के नमूने, नागरा-मोजरी जूतियाँ, ब्लू पॉटरी, हाथीदांत के हस्तशिल्प और सफ़ेद संगमरमर की मूर्तियां आदि शामिल हैं। प्रसिद्ध बाजारों में जौहरी बाजार, बापू बाजार, नेहरू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार और एम.आई. रोड़ के साथ लगे बाजार हैं।
ये सुविधाएं बना रही शहर को महानगर
शहर में कई बड़ी योजनाएं और प्रोजेक्ट भी आए, जिससे शहर की बसावट अपनी सुंदरता के साथ बढ़ती गई। आज जयपुर महानगरों की श्रेणी में खड़ा हो गया है। कई ऐसे बड़े प्रोजेक्ट हैं, जो शहर के साथ प्रदेश के विकास में भी बढ़ोतरी कर रहे हैं। मेट्रो से यातायात सुगम हो रहा है। मानसरोवर से चांदपोल तक और वहां से बड़ी चोपड़ तक मेट्रो पहुंच चुकी है। शहर के पूर्वी भाग को जोड़ने के लिए घाट की गुणी में सुरंग बनाई गई। टनल के बनने से आगरा रोड के लिए शहर आने के लिए सुविधा मिली।
जयपुर, जिसे “गुलाबी शहर” के नाम से भी जाना जाता है, अपनी अद्भुत वास्तुकला, रंग-बिरंगे बाजारों और समृद्ध संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। यहां के ऐतिहासिक महल, जैसे कि आमेर किला, सिटी पैलेस और हवा महल, पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
शहर की संस्कृति में राजस्थानी संगीत, नृत्य और स्थानीय व्यंजन भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। साथ ही, जयपुर के बाजार, जैसे कि चोखी ढाणी और जोहरी बाजार, हस्तशिल्प और परंपरागत वस्त्रों के लिए जाने जाते हैं।
जयपुर की खूबसूरती और उसकी विविधता वास्तव में इसे एक अद्वितीय गंतव्य बनाती है।