NCPCR News Update: ‘मदरसों में नहीं मिल रही बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन: (NCPCR)ने किया विरोद्ध
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को पत्र लिख मदरसों और मदरसा बोर्डों को दी जाने वाली सरकारी फंडिंग बंद करने की सिफारिश की है सुप्रीम कोर्ट आज (बुधवार) इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा यूपी के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के फैसले के खिलाफ दायर अर्जी पर अहम सुनवाई करेगा NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी दलील में कहा कि मदरसों में बच्चों को औपचारिक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पा रही है।
एनसीपीसीआर के अनुसार, पूरे भारत में 11.4 लाख से अधिक असुरक्षित बच्चों की पहचान की गई, तथा परिवार परामर्श, स्कूल पुनः एकीकरण प्रयासों और कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय के माध्यम से बाल विवाह को रोकने के लिए कदम उठाए गए ।
एनसीपीसीआर यानी राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग भारत सरकार का एक वैधानिक निकाय है. यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के अधीन काम करता है. इसकी स्थापना मार्च 2007 में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के तहत हुई थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है ।
मदरसों में नहीं मिल रही है शिक्षा
NCPCR ने ये भी सिफारिश की है कि सभी गैर-मुस्लिम बच्चों को मदरसों से निकालकर आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार बुनियादी शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्कूलों में भर्ती कराया जाए. साथ ही, मुस्लिम समुदाय के बच्चे जो मदरसा में पढ़ रहे हैं, चाहे वे मान्यता प्राप्त हों या गैर-मान्यता प्राप्त, उन्हें औपचारिक स्कूलों में दाखिला दिलाया जाए और आरटीई अधिनियम, 2009 के अनुसार निर्धारित समय और पाठ्यक्रम की शिक्षा दी जाए. NCPCR की ये रिपोर्ट इस उद्देश्य से तैयार की गई है कि हम एक व्यापक रोडमैप बनाने की दिशा में मार्गदर्शन करें जो यह सुनिश्चित करे कि देश भर के सभी बच्चे सुरक्षित, स्वस्थ वातावरण में बड़े हों. ऐसा करने से वे अधिक समग्र और प्रभावशाली तरीके से राष्ट्र निर्माण प्रक्रिया में सार्थक योगदान देने के लिए सशक्त होंगे ।
NCPCR ने की NIOS की भूमिका की जांच की मांग
वर्ष 2021 में आयोग ने अल्पसंख्यक समुदायों के बच्चों की शिक्षा पर भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के संबंध में अनुच्छेद 15(5) के तहत छूट के प्रभाव पर एक रिपोर्ट जारी की. रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि किस तरह मदरसा जैसे धार्मिक शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले बच्चों को भारत के संविधान द्वारा दिए गए शिक्षा के उनके मौलिक अधिकार का लाभ नहीं मिल रहा है ।
इसके बाद वर्ष 2022 में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने प्राथमिक स्तर पर बच्चों को औपचारिक स्कूलों से दूर रखने के कृत्य को उचित ठहराने के लिए NIOS के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. इस समझौता ज्ञापन के तहत मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों को ओपन स्कूल से परीक्षा देने की अनुमति दी गई. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए के अनुसार निःशुल्क और अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा सभी बच्चों का मौलिक अधिकार है।
एनसीपीसीआर का काम है
- यह सुनिश्चित करना कि सभी कानून, नीतियां, कार्यक्रम और प्रशासनिक तंत्र, भारत के संविधान और बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अनुरूप हों
- देश में बाल अधिकारों की रक्षा, संवर्धन, और बचाव करना.
- समुदायों और परिवारों में गहरी पैठ बनाना.
- राज्य, जिला, और ब्लॉक स्तर पर प्रतिक्रियाओं को परिभाषित करना
- बच्चों और उनकी भलाई सुनिश्चित करना.
- मज़बूत संस्था-निर्माण प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करना
- स्थानीय निकायों और समुदाय स्तर पर विकेंद्रीकरण को बढ़ावा देना