Dussehra 2024: बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा: रावण का चरित्र क्यों है तारीफ के काबिल: रावण को नहीं बलात्कारियों को जलाओ
हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को दशहरा का पर्व मनाया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल 12 अक्तूबर को विजयादशमी मनाई जाएगी। इसी दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई का अंत किया था। इसलिए इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। धर्म शास्त्रों में इस दिन को बहुत ही शुभ माना गया है।
दशहरा का महत्व
दशहरे के दिन ही भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी. इसी दिन नवरात्रि की समाप्ति भी होती है , और इसी दिन देवी की प्रतिमा का विसर्जन भी होता है. इस दिन अस्त्र शस्त्रों की पूजा की जाती है और विजय पर्व मनाया जाता है. इस दिन अगर कुछ विशेष प्रयोग किये जाएं तो अपार धन की प्राप्ति हो सकती है।
इस वर्ष को क्यों कहते ह ‘विजयादशमी’ ?
इस पर्व को भगवती के ‘विजया’ नाम पर भी ‘विजयादशमी’ कहते हैं। इस दिन भगवान रामचंद्र चौदह वर्ष का वनवास भोगकर तथा रावण का वध कर अयोध्या पहुँचे थे। इसलिए भी इस पर्व को ‘विजयादशमी’ कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजय’ नामक मुहूर्त होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धिदायक होता है। इसलिए भी इसे विजयादशमी कहते हैं।
रावण का चरित्र क्यों है तारीफ के काबिल
रावण का चरित्र भी तारीफ के काबिल है। उसने सीताजी का अपहरण किया परंतु कभी भी उनके साथ दुर्व्यवहार नहीं किया, जबकि आज गली-मोहल्लों में बलात्कार हो रहे हैं। ऐसे में पुतला रावण का नहीं बल्कि ऐसे अपराधियों का फूंकना चाहिए। आतंकवाद का पुतला जलाया जाना चाहिए जिसके कारण बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतारा जा रहा है। भ्रष्टाचार का पुतला जलाना चाहिए जो हमारी जड़ों को खोखला कर रहा है।
सचमुच में रावण एक असामाजिक प्रवृत्ति है, अहंकार और अज्ञानता का प्रतीक है, राक्षसी विचारधारा है। अगर अहंकार, असामाजिकता और आतंक जैसी रावणी प्रवृत्ति का पुतला जलाना है तो क्यों नहीं पहले हम अपने अंदर इस प्रवृत्ति कॊ जलाया करें। अपने अंदर के असली रावण को जलाएं, जिससे हम तो सुखी होंगे ही, साथ ही समाज व राष्ट्र भी सुख व राहत की सांस ले सकेगा। पहले अंदर के रावण को जलाये और फिर पुतला जलाएं तो अच्छा होगा, न कि बाहर तो रावण को भस्म किया और हमारे अंदर का रावण अभी जिंदा हैं… दक्षिण भारतीयों का विरोध जायज है कि क्यों जलाते हैं रावण का पुतला? बात जलाने या न जलाने की नहीं है, बल्कि सचाई को समझने की है कि यदि रावण का पुतला जला रहे हैं तो सर्वप्रथम अज्ञानता, आतंकवाद, अहंकार का पुतला जलाना होगा और सत्य की, ज्ञान की, निर्भयता की और सुखमय जीवन की विजय करनी होगी।
“अगर हम बलात्कारियों को बीच चौराहे
पर जला नहीं सकते तो फिर रावण को
जलाने वाला ढोंग क्यों करते है बन्द करो …
एक रावण ने मां जानकी को छुआ और लंका लेकर गया। आज तक दशहरे पर पूरे भारत में रावण का पुतला जलाया जाता है। अब रावण को छोड़ो और जिस मोहल्ले, नगर, गांव में छोटी बेटियों के साथ गलत काम करने वालों को चौराहे पर लाकर जला दिया जाए।