Ratan Tata: रतन टाटा की पावर: रतन टाटा ने क्यों नहीं की थी शादी ?
भारत के रतन आज हमारे बीच नहीं रहे है लेकिन लोगो के दिलो में ना रहकर भी वो हमेशा रहेंगे रतन टाटा के साथ कारोबारी जगत में पूरा एक युग ही खत्म हो गया है. उनकी लीडरशिप में टाटा ग्रुप ने नमक से लेकर जहाज बनाने तक के बिजनेस किए हैं. यही नहीं हर घर में टाटा का कोई न कोई प्रोडक्ट भी इस्तेमाल हो रहा है. जिसके चलते टाटा ग्रुप की मार्केट वैल्यू भी बढ़ी और ये देश का सबसे बड़ा ग्रुप बन चुका है ।
आइए जानते हैं कैसे सरताज बन गया टाटा ग्रुप
टाटा ग्रुप की शुरुआत साल 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुआ थी. आज 2024 में 157 साल बाद टाटा ग्रुप में करीब 100 से ज्यादा कंपनियां हैं, जिनकी देश के कुल जीडीपी में दो फीसदी की हिस्सेदारी है. वहीं शेयर बाजार में टाटा ग्रुप की 26 कंपनियां लिस्टेड हैं. इन कंपनियों की मार्केट वैल्यू करीब 33 लाख करोड़ रुपये के करीब है।
टाटा की वेबसाइट के मुताबिक 1868 में एक ट्रेडिंग फर्म से शुरू हुए टाटा ग्रुप ने देश को पहली बड़ी स्टील कंपनी, देश को पहला लग्जरी होटल, पहली देसी कंज्यूमर गुड्स कंपनी दी. टाटा ग्रुप ने ही देश की पहली एविएशन कंपनी टाटा एयरलाइंस भी दी है जो बाद में एयर इंडिया हो गई. यही नहीं देश की आजादी से भी टाटा की पावर का बोलबाला था. देश आजाद होने से पहले ही देश को टाटा मोटर्स द्वारा बने ट्रक मिलने लगे थे।
जाने रतन टाटा के बार के कुछ खास तथ्य
जन्म
28 दिसंबर 1937
कॉलेज डिग्री
1962 में कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बी.आर्क (Bachelor of Architecture)
विदेश में कार्य अनुभव
1962 के अंत में भारत लौटने से पहले लॉस एंजिल्स में जोन्स और इमन्स के साथ काम किया
मैनेजमेंट ट्रेनिंग
1975 में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया
टाटा संस के चेयरमैन बने
मार्च 1991
रिटायर
28 दिसंबर 2012
टाटा समूह की आय
1991 में ₹10,000 करोड़ से बढ़कर 2011-12 में USD 100.09 बिलियन
टाटा के मुख्य अधिग्रहण
– 2000 में टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में टेटली का अधिग्रहण
– 2007 में टाटा स्टील द्वारा 6.2 बिलियन पाउंड में कोरस का अधिग्रहण
– 2008 में टाटा मोटर्स द्वारा 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण
रतन टाटा के सम्मान
2008 में पद्म विभूषण (भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक सम्मान)
निधन
09 अक्टूबर 2024
जब रतन टाटा ने संभाली कमान
रतन टाटा की उल्लेखनीय यात्रा तब शुरू हुई जब उन्होंने साल 1991 में ऑटोमोबाइल से लेकर स्टील तक के विभिन्न उद्योगों में फैले टाटा समूह की बागडोर संभाली. साल 1996 में उन्होंने टाटा टेली-सर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध करवाया, जो कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
रतन टाटा के नेतृत्व में ऐतिहासिक अधिग्रहण
टेटली (2000): टाटा टी द्वारा 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर में ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली का अधिग्रहण किया गया. यह भारतीय कंपनी का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण था।
कोरस (2007): टाटा स्टील ने 6.2 बिलियन पाउंड में यूरोप की दूसरी सबसे बड़ी स्टील निर्माता कंपनी कोरस का अधिग्रहण किया. यह भारतीय स्टील उद्योग का अब तक का सबसे बड़ा सौदा था।
जगुआर लैंड रोवर (2008): टाटा मोटर्स ने 2.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में प्रतिष्ठित ब्रिटिश कार ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण किया। यह सौदा टाटा मोटर्स के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुआ और कंपनी को वैश्विक ऑटोमोबाइल बाजार में मजबूती दी।
टाटा ग्रुप की कमान किसके हाथ?
रतन टाटा की सेवानिवृत्ति के बाद, टाटा ग्रुप की कमान एन चंद्रशेखरन (Natarajan Chandrasekaran) के हाथों में है. उन्होंने 2017 में टाटा संस के चेयरमैन का पदभार संभाला था. एन चंद्रशेखरन इससे पहले टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के सीईओ और मैनेजिंग डायरेक्टर रह चुके हैं।
रतन टाटा ने बताया क्यों नहीं की थी शादी ?
सिमी ग्रेवाल ने रतन टाटा से पूछा था कि उन्होंने कभी शादी क्यों नहीं की? जवाब में रतन टाटा ने कहा था, ‘बहुत सारी चीजें हुईं, जिन्होंने मुझे शादी करने से रोक दिया। टाइमिंग सही नहीं रही और फिर काम में इतना मशगूल हो गया कि टाइम ही नहीं रहा। मैं कई बार शादी करने के नजदीक पहुंचा, पर बात नहीं बनी
Ratan Tata ने कभी सिमी ग्रेवाल को डेट किया था। दोनों रिलेशनशिप में थे, और यह खुलासा खुद सिमी ने साल 2011 में ईटाइम्स को दिए इंटरव्यू में किया था। पर कुछ वक्त बाद उनका रिश्ता टूट गया। हालांकि, रतन टाटा और सिमी ग्रेवाल ब्रेकअप के बाद भी अच्छे दोस्त रहे। रतन टाटा जब सिमी ग्रेवाल के शो Rendezvous with Simi Garewal में आए थे, तो उन्होंने कई खुलासे किए थे।
‘पत्नी और परिवार के लिए तरसता हूं, अकेलापन लगता है’
रतन टाटा ने यह भी बताया कि उन्हें चार बार प्यार और बात शादी तक भी पहुंची थी, पर किसी न किसी वजह से बात बिगड़ गई। वह बोले थे, ‘कई बार ऐसा होता है कि मुझे पत्नी या परिवार न होने के कारण अकेलापन महसूस होता है। कभी-कभी मैं इसके लिए तरसता हूं। हालांकि, मैं कभी-कभी इस बात की आजादी का आनंद लेता हूं कि मुझे किसी और की भावनाओं या किसी और की चिंताओं के बारे में चिंता न करने की जरूरत नहीं है।’
रतन टाटा का पहला प्यार
वहीं, रतन टाटा ने ‘ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे’ को दिए इंटरव्यू में एक बार अपने पहले प्यार के बारे में बात की थी। उन्होंने बताया था, ‘मैं लॉस एंजेलिस में था। मुझे प्यार हुआ और मेरी लगभग शादी होने वाली थी। लेकिन उसी समय, मैंने वापस जाने का निर्णय ले लिया था, क्योंकि मैं लगभग सात साल से अपनी दादी से दूर था।’
लॉस एंजेलिस में होने वाली थी शादी, लड़की के मां-बाप नहीं माने
रतन टाटा ने आगे कहा था, ‘दादी की तबीयत ठीक नहीं थी। इसलिए मैं उनसे मिलने वापस आया और सोचा कि जिससे मैं शादी करना चाहता हूं, वह मेरे साथ भारत आएगी। लेकिन साल 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण, उसके माता-पिता उसके इस कदम से सहमत नहीं थे और रिश्ता टूट गया।’