Sanjay Leela Bhansali : संजय बंसाली की फिल्मो में क्यों होता हिरोइनों के लिए बड़ा और महंगा सेट ? खुद का क्यों कहा किस्मतवाला होने के साथ-साथ शापित
उन्होंने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया की गुजरे हुए कल को उन्होंने अपनी ताकत बनाया. उन्होंने खुद को सफल होने के साथ-साथ असफल, किस्मतवाला होने के साथ-साथ शापित भी बताया।
संजय लीला भंसाली आज हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के टॉप डायरेक्टर्स में से एक हैं. वह अपनी बेहतरीन फिल्मों से दशकों से दिलों पर राज कर रहे हैं. ‘हीरामंडी’ के साथ उन्होंने एक बार फिर से साबित कर दिया कि वह दूसरे डायरेक्टर्स से अलग क्यों कहे जाते हैं. ‘हीरामंडी’ नेटफ्लिक्स पर सबसे ज्यादा देखे जाने वाले शो में से एक था. उनका बचपन परेशानियों में बीता है, इस पर वह पहले भी कई बार बात कर चुके हैं. हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने खुद को किस्मतवाला कहा और शापित बताया है।
एक रीसेंट इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया कि कैसे उनकी बैरंग जिंदगी ने पर्दे पर उनकी फिल्मों को रंग दिए। संजय ने याद किया कि उनकी मां छोटी सी जगह पर नाचती थीं, अब उनकी हिरोइनों के लिए बड़ा और महंगा सेट होता है।
मैं खुशकिस्मत हूं की
उन्होंने आगे कहा कि मैं खुश किस्मत हूं कि कष्ट में पैदा हुआ. मैं खुशकिस्मत हूं कि 300 स्क्वैयर फीट बेरंग चॉल में पैदा हुआ. मैं खुशकिस्मत हूं कि उस पिता के यहां जन्मा जो पीछे अधूरे सपने छोड़ गए. इससे मुझे इतना धैर्य मिला, जितना किसी फिल्ममेकर को नहीं मिल सकता.
‘विरोधाभास मुझे बनाता है’
भंसाली आगे बातचीत में कहा, ‘आपको समझना पड़ेगा कि मैं बहुत ही शापित और ब्लेस्ड हूं. मुझे बहुत प्यार मिला और नफरत भी. मैं बहुत सफल हूं और असफल भी. यही विरोधाभास है जो मुझे बनाता है. मैं हमेशा ऐसा ही रहूंगा.’
छोटी सी जगह पर परफॉर्म करती थी मां
संजय लीला भंसाली ने आगे कहा, मेरी मां डांसर थीं जो छोटी सी जगह में परफॉर्म करती थीं, क्योंकि हम चॉल में रहते थे. इसके उलट मेरी हीरोइनें महंगी सेटिंग में डांस करती हैं. जो भी ट्रॉमा मैंने झेला उससे मेरी फिल्ममेकिंग रिच हुई. मैं खुद को एक समझदार व्यक्ति के रूप में देखता हूं. मैं अपने आप से पूछता हूं कि मैं इस सारी अव्यवस्था को कैसे व्यवस्थित कर सकता हूं. यह मंचन मेरे बचपन से उत्पन्न हुआ है.
आर्टिस्ट को अपमानित होना जरूरी
द हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया से बातचीत में संजय लीला भंसाली ने कहा, ‘हर आर्टिस्ट को अपमानित होना पड़ता है। अगर मजाक न उड़ाया जाए, या आपके साथ जो सही-गलत हुआ उसे लेकर आपमें गुस्सा न हो तो आपको एक्प्रेस करना नहीं आएगा। आपके पास कहने के लिए कुछ होगा ही नहीं। एक्सप्रेशन आक्रोश से आता है। मैं खुश किस्मत हूं कि कष्ट में पैदा हुआ। मैं खुशकिस्मत हूं कि 300 स्क्वैयर फीट बेरंग चॉल में पैदा हुआ। मैं खुशकिस्मत हूं कि उस पिता के यहां जन्मा जो पीछे अधूरे सपने छोड़ गए। इससे मुझे इतना धैर्य मिला जितना किसी फिल्ममेकर को नहीं मिल सकता।
खुद को क्यों बताते है शापित
कहा की ‘आपको समझना पड़ेगा कि मैं बहुत ही शापित और ब्लेस्ड हूं। मुझे बहुत प्यार मिला और नफरत भी। मैं बहुत सफल हूं और असफल भी। यही विरोधाभास है जो मुझे बनाता है। मैं हमेशा ऐसा ही रहूंगा।