नई दिल्ली (Vishaka Guidelines). हर दिन महिलाओं से छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न जैसे मामले आना आम बात हो चुकी है. 9 अगस्त 2024 को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए दर्दनाक यौन उत्पीड़न ने कार्यस्थल पर महिलाओं की सुरक्षा को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. घर, स्कूल-कॉलेज, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, हॉस्पिटल, पार्क, ऑफिस, मॉल, थिएटर आदि में महिलाओं को अक्सर ही घूरती नजरों और अनचाहे स्पर्श का सामना करना पड़ता है.
दिन का अहम हिस्सा वर्कप्लेस पर बिताने वाली महिलाएं अक्सर वहां होने वाली घटनाओं का जिक्र करती हैं. कभी कोई सहकर्मी डर्टी जोक सुनाकर खुद ही हंस लेता है तो कभी कोई डबल मीनिंग बातों से परेशान करता है. लेकिन शर्म या डर की वजह से वह उसकी शिकायत करने में झिझकती हैं. कई महिलाओं को पता ही नहीं है कि वर्कप्लेस पर यौन शोषण होने पर वह कहां शिकायत करें. वर्कप्लेस पर महिलाओं के साथ होने वाली इन घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने ‘विशाखा गाइडलाइंस’ जारी की थीं.
‘विशाखा गाइडलाइंस’ क्या हैं?
साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ होने वाले यौन उत्पीड़न के खिलाफ कुछ दिशा-निर्देश जारी किए थे. इन्हीं को ‘विशाखा गाइडलाइंस’ के नाम से जाना जाता है. विशाखा गाइडलाइंस के तहत महिलाएं अपने साथ हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत तुरंत दर्ज करवा सकती हैं. बता दें कि इस गाइडलाइन को विशाखा और अन्य बनाम राजस्थान सरकार और भारत सरकार मामले के तौर पर भी जाना जाता है.
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कामकाजी महिलाओं का हक हैं ‘विशाखा गाइडलाइंस’
विशाखा गाइडलाइंस के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि महिलाओं के खिलाफ होने वाली छेड़छाड़ पर लगाम कसी जाए. इन दिशा-निर्देशों में किसी महिला को गलत तरीके से छूना, छूने की कोशिश करना, गलत तरीके से देखना या घूरना, यौन संबंध बनाने के लिए कहना, अश्लील टिप्पणी या गंदे इशारे करना, अश्लील चुटकुले भेजना या सुनाना, एडल्ट फिल्में दिखाना जैसी उन सभी हरकतों को यौन उत्पीड़न के दायरे में रखा गया है, जिनसे कोई महिला असहज महसूस कर सकती है.
1- विशाखा गाइडलाइन के तहत 10 या उससे ज्यादा एंप्लॉइज वाली हर कंपनी में इंटरनल कंप्लेंट्स कमिटी (आईसीसी) बनाना अनिवार्य है.
2- गाइडलाइन में निर्देशित किया कि इस कमेटी की अध्यक्ष महिला होंगी और कमेटी में आधी से ज्यादा सदस्य भी महिलाएं ही होंगी.
3- यौन शोषण के मुद्दों पर काम कर रहे किसी एनजीओ की एक महिला प्रतिनिधि का भी इस कमेटी का हिस्सा होना जरूरी है.
4- यौन उत्पीड़न के मामले में जांच के दौरान अगर कमेटी किसी व्यक्ति को आरोपी पाती है तो उसके तहत आईपीसी की धाराओं के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी.
5- विशाखा गाइडलाइंस में यह भी साफ किया गया कि संस्थान शिकायत करने वाली महिला या कमेटी के किसी सदस्य पर दबाव नहीं बना सकता है.
6- अगर कोई महिला कमेटी के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो वह पुलिस में भी शिकायत दर्ज करवा सकती है.
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एनटीए ने फिर याद दिलाए सभी जरूरी नियम
एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने अपनी ऑफिशियल वेबसाइट nta.ac.in के नोटिस सेक्शन में Vishaka Guideline against Sexual Harassment in the Workplace का लिंक शेयर किया है. उसमें कई कामकाजी महिलाओं के अधिकारों से संबंधित एक पीडीएफ है. जानिए उसमें क्या जानकारी दी गई है-
1. यौन उत्पीड़न
1.1 ‘यौन उत्पीड़न’ में निम्नलिखित में से एक या अधिक अशोभनीय कार्य या आचरण (चाहे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष) शामिल हैं, जैसे:
(क) शारीरिक संपर्क और छेड़छाड़
(ख) यौन संबंधों की मांग या आग्रह
(ग) अश्लील टिप्पणी करना
(घ) अश्लील चित्र/साहित्य दिखाना
(ई) अश्लील यौन प्रकृति का कोई अन्य अशिष्ट शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक आचरण.
1.2 यहां यह ध्यान रखना चाहिए कि ‘यौन उत्पीड़न’ की उचित परिभाषा व्यापक नहीं है. संदर्भ और परिस्थितियों के आधार पर, कोई भी अन्य कार्य यौन उत्पीड़न के अंतर्गत आ सकता है.
1.3 निम्नलिखित में से कोई भी परिस्थिति, अन्य के साथ, संदर्भ और परिस्थितियों के आधार पर यौन उत्पीड़न का गठन कर सकती है. यदि निम्नलिखित में से कोई भी कार्य या व्यवहार यौन आचरण से जुड़ा हुआ है या उससे संबंधित है:
(क) रोजगार या कार्य के दौरान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अनुकूल व्यवहार का वादा करना.
(ख) रोजगार या कार्य के दौरान प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हानिकारक व्यवहार का वादा करना.
(ग) रोजगार या कार्य की वर्तमान या भविष्य की स्थितियों के संबंध में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धमकी देना.
(घ) महिलाओं के रोजगार या कार्य में हस्तक्षेप करना या उन्हें धमकाना या अपमानजनक या शत्रुतापूर्ण कार्य वातावरण बनाना.
(ई) महिलाओं के स्वास्थ्य या सुरक्षा को प्रभावित करने वाला गैरकानूनी आचरण.
Internal Complaints Committee: NTA में आंतरिक शिकायत समिति के सदस्य कौन हैं?
एनटीए मुख्यालय में आंतरिक शिकायत समिति के सदस्यों में अध्यक्ष के रूप में साधना पराशर, सदस्य के रूप में शुचि रॉय, मौसमी सरकार, सुनीता कौंडल, सदस्य सचिव के रूप में मोहित शमो तथा एनजीओ के सदस्य शामिल हैं.
आईसीसी के प्रावधान क्या हैं?
1- यौन उत्पीड़न की शिकार कोई भी महिला घटना की तारीख से 3 महीने की अवधि के अंदर आंतरिक शिकायत समिति को लिखित शिकायत कर सकती है.
2- पीड़ित महिला की शारीरिक या मानसिक विकलांगता या मृत्यु जैसी विशेष परिस्थितियों में उसके कानूनी उत्तराधिकारी या किसी अन्य अधिकृत व्यक्ति को पीड़ित महिला की ओर से शिकायत दर्ज करवाने की अनुमति दी जाती है.
3- पीड़ित महिला के अनुरोध पर शिकायत समिति आपसी सहमति से मामले को निपटाने के लिए कदम उठा सकती है. ऐसे मामले में आगे की जांच शुरू की जा सकती है.
4- जिन मामलों में प्रतिवादी द्वारा निपटान की शर्तों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है, वहां जांच कार्यवाही शुरू की जा सकती है.
5- आंतरिक शिकायत समिति उन मामलों में भी जांच करवा सकती है, जिनमें प्रतिवादी द्वारा सुलह के माध्यम से निपटान की शर्तों का अनुपालन नहीं किया गया है.
Workplace Harassment: ऑफिस में छेड़खानी की शिकायत कहां करें?
ऑफिस में छेड़खानी होने की स्थिति में अपने सहकर्मियों से चर्चा कर सकते हैं. अगर किसी सहकर्मी की गलत हरकतों से परेशान हैं तो बॉस से शिकायत करें. फिर भी बात न बने तो उनसे ऊंचे पदों पर बैठे लोगों से या एचआर से बात करें. इसके लिए आप लिखित में भी शिकायत दर्ज करवा सकती हैं. आप अपनी किसी सहकर्मी की तरफ से भी ICC में इसकी शिकायत कर सकती हैं. अगर ऑफिस की तरफ से कोई कार्यवाही न की जाए तो पुलिस में रिपोर्ट करें.
Tags: Sexual Harassment, Vishakha guidelines
FIRST PUBLISHED : August 18, 2024, 09:21 IST