मस्तिष्क में लड़े जा रहे आज के युद्ध, एबीवीपी कार्यकर्ता डिजिटल वॉरियर बनें : शेखावत
एबीवीपी के 61वें प्रांतीय अधिवेशन में केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि आज युद्ध सीमाओं पर नहीं, बल्कि विचारों और मस्तिष्क में लड़े जा रहे हैं। युवाओं से डिजिटल वॉरियर बनकर सत्य, तथ्य और राष्ट्रहित के पक्ष में खड़े होने का आह्वान किया।
आज युद्ध सीमाओं पर नहीं, मस्तिष्क में लड़े जा रहे हैं : शेखावत
एबीवीपी के 61वें प्रांतीय अधिवेशन में केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री का उद्बोधन
बीकानेर : केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि वर्तमान समय में युद्ध की परिभाषा बदल चुकी है। आज युद्ध सीमाओं पर नहीं, बल्कि मस्तिष्क और विचारों में लड़े जा रहे हैं। उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे “डिजिटल वॉरियर” बनकर सत्य, तथ्य और राष्ट्रहित के पक्ष में मजबूती से खड़े हों।
एबीवीपी के 61वें प्रांतीय अधिवेशन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि डिजिटल युग में एक झूठा संदेश भी पूरे समाज को भ्रमित कर सकता है। ऐसे समय में वैचारिक सजगता और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता पहले से कहीं अधिक आवश्यक हो गई है।
अपनी जड़ों से जुड़ने जैसा अनुभव
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि यह कार्यक्रम उनके लिए किसी औपचारिक उद्घाटन से अधिक अपनी जड़ों से जुड़ने जैसा है। उन्होंने कहा कि उनका सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के एक सामान्य कार्यकर्ता के रूप में प्रारंभ हुआ। आज जो भी दायित्व उन्हें राष्ट्र ने सौंपा है, उसका बीज विद्यार्थी परिषद में ही पड़ा।
उन्होंने कहा कि एबीवीपी केवल आंदोलनों का मंच नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की एक सशक्त प्रयोगशाला है, जहां से निकले कार्यकर्ता समाज और देश के विभिन्न क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं।
बदले हैं संदर्भ, पर समाप्त नहीं हुई चुनौतियां
शेखावत ने कहा कि पिछले 30 से 35 वर्षों में देश की परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं। कभी जिन मुद्दों को लेकर विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता आंदोलन करते थे—जैसे अनुच्छेद 370, राम मंदिर या सीमाओं की सुरक्षा—आज वे सभी राष्ट्रीय संकल्प के रूप में पूरे हो चुके हैं।
उन्होंने कहा कि आज भारत की सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हैं, लेकिन चुनौतियां समाप्त नहीं हुई हैं। अब देश को झूठे नैरेटिव्स, सांस्कृतिक प्रदूषण और इतिहास के विकृतीकरण से खतरा है। डिजिटल माध्यमों के जरिए समाज को भ्रमित करने और राष्ट्र गौरव को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।
डिजिटल माध्यम बना नया युद्धक्षेत्र
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज की लड़ाई तलवार या हथियार से नहीं, बल्कि विचारों और सूचनाओं के माध्यम से लड़ी जा रही है। सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर फैलने वाला भ्रम समाज की सोच को प्रभावित करता है। ऐसे में एबीवीपी कार्यकर्ताओं की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता डिजिटल वॉरियर बनकर झूठ का खंडन करें, तथ्य सामने रखें और राष्ट्रहित के पक्ष में वैचारिक संघर्ष का नेतृत्व करें।
आज की युवा पीढ़ी सबसे सौभाग्यशाली
अपने संबोधन में शेखावत ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी भारत के इतिहास की सबसे सौभाग्यशाली पीढ़ी है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम की पीढ़ी ने देश को आजाद कराया, आने वाली पीढ़ियां विकसित भारत में जन्म लेंगी, लेकिन वर्तमान पीढ़ी वह पीढ़ी है जो यह गर्व से कह सकेगी कि “हमने भारत को विकसित बनाया।”
उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की प्रक्रिया में भागीदार बनने और विकसित भारत में जीवन जीने, दोनों का अवसर एक साथ मिला है।
राष्ट्र निर्माण से जुड़ा हो हर लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने युवाओं से आह्वान किया कि वे जिस भी क्षेत्र में जाएं—चाहे वह शिक्षा हो, तकनीक, प्रशासन, चिकित्सा या उद्यमिता—अपने लक्ष्य को राष्ट्र निर्माण से जोड़ें।
उन्होंने शिक्षकों से विशेष रूप से आग्रह किया कि वे केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने तक सीमित न रहें, बल्कि विकसित भारत की पीढ़ी गढ़ने का दायित्व भी समझें। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल ज्ञान का आदान-प्रदान नहीं, बल्कि चरित्र और राष्ट्रबोध के निर्माण का माध्यम है।
अधिवेशन केवल चर्चा नहीं, संकल्प का स्थल
शेखावत ने कहा कि यह प्रांतीय अधिवेशन केवल विचार-विमर्श का मंच नहीं है, बल्कि यह संकल्प का स्थल है। यहां से निकले विचार केवल सभागार तक सीमित न रहें, बल्कि हर शैक्षणिक परिसर, हर गांव और हर नगर तक पहुंचने चाहिए।
उन्होंने कहा कि विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को राष्ट्रवादी चेतना का वाहक बनकर समाज में वैचारिक नेतृत्व प्रदान करना होगा।
युवा शक्ति की भूमिका सबसे अधिक निर्णायक
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत इस समय केवल आर्थिक या राजनीतिक परिवर्तन के दौर से नहीं गुजर रहा, बल्कि यह सांस्कृतिक, वैचारिक और मानसिक पुनर्जागरण का ऐतिहासिक कालखंड है। ऐसे समय में देश की युवा शक्ति की भूमिका सबसे अधिक निर्णायक है।
उन्होंने कहा कि आज की चुनौतियां तलवारों से नहीं, बल्कि विचारों के माध्यम से सामने आ रही हैं। इनका प्रतिकार केवल वही युवा कर सकते हैं जो वैचारिक रूप से जागरूक, राष्ट्रवादी और सशक्त हों।
संगठन से जुड़ना गौरव के साथ जिम्मेदारी
शेखावत ने कहा कि एबीवीपी जैसे राष्ट्रवादी संगठन से जुड़ना जितना गौरव का विषय है, उतनी ही बड़ी जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे संगठन की वैचारिक विरासत को समझें, उसे अपने जीवन में उतारें और आगे बढ़ाएं।
उन्होंने विश्वास जताया कि भारत का यह संक्रमण काल सफलतापूर्वक पूरा होगा और इसमें युवा शक्ति की भूमिका निर्णायक सिद्ध होगी।
निष्कर्ष
केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत का यह उद्बोधन केवल एक भाषण नहीं, बल्कि युवाओं के लिए वैचारिक दिशा और राष्ट्र निर्माण का आह्वान था। बदलते समय में जब युद्ध की परिभाषा बदल रही है, तब एबीवीपी जैसे संगठनों और जागरूक युवाओं की भूमिका राष्ट्र के भविष्य को तय करने में निर्णायक साबित होगी।




