जोधपुर हाईकोर्ट में वकीलों का बहिष्कार जारी, एकीकृत हाईकोर्ट मांग पर 48 साल पुरानी परंपरा पर विवाद
जोधपुर हाईकोर्ट में एकीकृत हाईकोर्ट की मांग को लेकर वकीलों का बहिष्कार जारी है। महीने के अंतिम कार्यदिवस पर केस लिस्टिंग को लेकर वकीलों ने परंपरा तोड़ने का आरोप लगाया। प्रदर्शन, नारेबाजी और आंदोलन से जुड़ा पूरा घटनाक्रम पढ़ें।
जोधपुर हाईकोर्ट में वकीलों का प्रदर्शन
राजस्थान हाईकोर्ट में एकीकृत हाईकोर्ट की मांग को लेकर जोधपुर में वकीलों का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। शुक्रवार को माह के अंतिम कार्यदिवस पर राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन और राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के संयुक्त आह्वान पर वकीलों ने स्वेच्छा से न्यायिक कार्यों का बहिष्कार किया।
बहिष्कार के दौरान हाईकोर्ट परिसर में बड़ी संख्या में वकील एकत्रित हुए और नारेबाजी करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। वकीलों का कहना है कि यह आंदोलन पिछले 48 वर्षों से लगातार शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है।

देर रात जारी कॉज लिस्ट पर आपत्ति
वकीलों ने आरोप लगाया कि आंदोलन को कमजोर करने के उद्देश्य से देर रात असामान्य रूप से बड़ी कॉज लिस्ट जारी की गई। इसमें जमानत याचिकाओं सहित बड़ी संख्या में मामलों को सूचीबद्ध किया गया, जबकि इन मामलों की सुनवाई जनवरी माह में पहले से निर्धारित थी।

वकीलों का कहना है कि बिना किसी प्रशासनिक आवश्यकता के मामलों को अंतिम कार्यदिवस पर सूचीबद्ध करना 48 वर्षों से चली आ रही परंपरा के खिलाफ है, जिससे वकील समुदाय में भारी नाराजगी है।
48 साल की परंपरा पर हमला : आनंद पुरोहित
राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद पुरोहित ने कहा कि जोधपुर के वकीलों की दशकों पुरानी परंपरा को खत्म करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने कहा कि एकीकृत हाईकोर्ट की मांग को लेकर माह के अंतिम कार्यदिवस पर न्यायिक कार्य बहिष्कार की परंपरा पिछले 48 वर्षों से चली आ रही है, लेकिन इसे कमजोर करने के लिए बार-बार प्रयास हो रहे हैं। पुरोहित ने आरोप लगाया कि वकीलों की एकजुटता को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।
आंदोलन दबाने की साजिश : दिलीप सिंह उदावत
नवनिर्वाचित अध्यक्ष दिलीप सिंह उदावत ने कहा कि जोधपुर के अधिवक्ता जयपुर पीठ के विरोध और एकीकृत हाईकोर्ट की मांग को लेकर लंबे समय से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि देर रात कॉज लिस्ट जारी कर जमानत मामलों सहित बड़ी संख्या में केस सूचीबद्ध करना गलत परंपरा है। यह स्पष्ट रूप से आंदोलन को कमजोर करने की साजिश है, जिसे जोधपुर का वकील समुदाय कभी स्वीकार नहीं करेगा।
1977 से चल रहा विभाजन के विरोध में आंदोलन
अधिवक्ताओं के अनुसार, राजस्थान हाईकोर्ट की स्थापना के समय जोधपुर को मुख्यपीठ बनाया गया था। 31 जनवरी 1977 को राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत जयपुर में एक बेंच का गठन किया गया था।
बताया गया कि 1958 में जयपुर बेंच को भंग कर दिया गया था, लेकिन आपातकाल के बाद 1977 में पुनः जयपुर में सर्किट बेंच शुरू की गई। तभी से जोधपुर के अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट के विभाजन के विरोध में प्रतीकात्मक आंदोलन शुरू किया।
अंतिम कार्यदिवस पर सीमित लिस्टिंग की परंपरा
अधिवक्ताओं का कहना है कि 1977 के बाद से हर माह के अंतिम कार्यदिवस पर मुकदमों की सूची सीमित रखी जाती है, ताकि वकील शांतिपूर्ण ढंग से अपनी मांगों को प्रशासन के समक्ष रख सकें।
इस परंपरा को तोड़ते हुए बड़ी संख्या में मामलों को सूचीबद्ध करना न केवल असंवेदनशील कदम है, बल्कि वर्षों पुराने आंदोलन की भावना के भी खिलाफ है।
निष्कर्ष
जोधपुर हाईकोर्ट में वकीलों का यह आंदोलन केवल कॉज लिस्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि एकीकृत हाईकोर्ट की वर्षों पुरानी मांग से जुड़ा है। वकील समुदाय का कहना है कि जब तक उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया जाएगा, तब तक शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा।

