पॉलीहाउस उत्पादकों को सशक्त बनाने हेतु जोबनेर में नाबार्ड-एसकेएनएयू का दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम
श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय, जोबनेर और नाबार्ड जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में पॉलीहाउस उत्पादकों के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आयोजित हुआ। इसमें संरक्षित खेती, पादप संरक्षण, मूल्य शृंखला, योजनाओं और आधुनिक तकनीकों पर विशेषज्ञों ने विस्तृत मार्गदर्शन दिया।
पॉलीहाउस उत्पादकों को सशक्त बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
राजस्थान में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने और पॉलीहाउस उत्पादकों की क्षमता निर्माण के उद्देश्य से श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय (एसकेएनएयू), जोबनेर के अनुसंधान निदेशालय एवं राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में एक व्यापक दो दिवसीय प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम “पॉलीहाउस उत्पादकों को सशक्त बनाना : पादप संरक्षण, मूल्य शृंखला एवं योजनाएँ” विषय पर आधारित था, जिसका आयोजन कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर, जोबनेर के प्रसार शिक्षा हॉल में किया गया।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम न केवल तकनीकी ज्ञान प्रदान करने का माध्यम बना, बल्कि किसानों को आधुनिक कृषि पद्धतियों, सरकारी योजनाओं और व्यावहारिक अनुभवों से जोड़ने का भी सशक्त मंच सिद्ध हुआ।
मुख्य अतिथि का मार्गदर्शन: वैज्ञानिक खेती से बढ़ेगा उत्पादन
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय कुलगुरु प्रोफेसर डॉ. पुष्पेंद्र सिंह चौहान रहे। उन्होंने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि आज के दौर में खेती को लाभकारी बनाने के लिए वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में आधुनिक तकनीकों को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मृदा परीक्षण आधारित खेती, उपयुक्त किस्मों के चयन, गुणवत्तायुक्त बीजों के उपयोग और ग्राफ्टिंग जैसी उन्नत तकनीकों पर विशेष जोर दिया।
कुलगुरु ने यह भी जानकारी दी कि विश्वविद्यालय भविष्य में किसानों को टिश्यू कल्चर आधारित पौधे उपलब्ध कराने की दिशा में कार्य कर रहा है, जिससे रोगमुक्त और उच्च गुणवत्ता वाले पौधों के माध्यम से उत्पादन एवं आय में उल्लेखनीय वृद्धि संभव हो सकेगी।
स्वागत उद्बोधन और संरक्षित खेती की चुनौतियाँ
कार्यक्रम का शुभारंभ अनुसंधान निदेशक डॉ. उम्मेद सिंह के स्वागत उद्बोधन से हुआ। उन्होंने पॉलीहाउस खेती से जुड़ी वर्तमान चुनौतियों, जैसे रोग-कीट प्रबंधन, लागत, तकनीकी जानकारी की कमी और विपणन समस्याओं पर प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को किसानों के लिए अत्यंत उपयोगी बताया।
इसके पश्चात प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर.एन. शर्मा ने अपने विचार रखते हुए किसानों को वैज्ञानिक परामर्श, नवीन तकनीकों और विश्वविद्यालय द्वारा उपलब्ध कराई जा रही सेवाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया।
संरक्षित खेती की उन्नत तकनीकों पर विशेषज्ञ व्याख्यान
उद्यान विभाग के विशेषज्ञ डॉ. ओ.पी. गढ़वाल ने संरक्षित खेती की विभिन्न तकनीकों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने पॉलीहाउस में टमाटर, खीरा एवं अन्य सब्जियों की उन्नत उत्पादन विधियों, पौध प्रबंधन, तापमान एवं आर्द्रता नियंत्रण तथा मिट्टी सोलराइजेशन के महत्व को सरल भाषा में समझाया।
इसके अतिरिक्त, डॉ. शैलेष गोदिका, डॉ. डी.आर. बाज्या, डॉ. बी.एस. चंद्रावत एवं श्रीमती पिंकी शर्मा ने पॉलीहाउस में होने वाली रोग, कीट एवं नेमाटोड जनित समस्याओं की पहचान, उनके कारण तथा प्रभावी नियंत्रण उपायों पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। इन सत्रों में किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान भी किया गया, जिससे प्रशिक्षण और अधिक व्यावहारिक बन सका।
नाबार्ड द्वारा योजनाओं और फर्टिगेशन पर जानकारी
नाबार्ड, जयपुर के विकास प्रबंधक श्री पी.सी. वर्मा ने किसानों को फर्टिगेशन तकनीक के लाभों एवं पोषक तत्व प्रबंधन की आधुनिक विधियों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि सही समय पर सही मात्रा में पोषक तत्वों की आपूर्ति से न केवल फसल की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि लागत में कमी और उत्पादन में वृद्धि भी होती है। साथ ही नाबार्ड द्वारा उपलब्ध विभिन्न कृषि एवं उद्यमिता संबंधी योजनाओं की जानकारी देकर किसानों को वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरित किया गया।
प्रगतिशील किसान के अनुभव: प्रेरणा का स्रोत
प्रगतिशील किसान गंगाराम सेपट (बस्सी झाझड़ा) ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि मृदा परीक्षण, अनुशंसित उर्वरक मात्रा और जैव संसाधनों को अपनाकर किस प्रकार पॉलीहाउस खेती को अधिक लाभकारी बनाया जा सकता है। उनके अनुभव किसानों के लिए प्रेरणास्रोत बने और यह सिद्ध किया कि वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाकर खेती में सफलता प्राप्त की जा सकती है।
व्यावहारिक भ्रमण से मिला प्रत्यक्ष अनुभव
प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान किसानों ने बस्सी झाझड़ा गांव का भ्रमण भी किया, जहां उन्हें पॉलीहाउस खेती की व्यावहारिक जानकारी प्राप्त हुई। इस फील्ड विजिट के माध्यम से किसानों ने तकनीकों को प्रत्यक्ष रूप से देखा और समझा, जिससे उनके ज्ञान में और अधिक वृद्धि हुई।
समापन एवं आभार
कार्यक्रम का कुशल संचालन उपनिदेशक अनुसंधान डॉ. रोशन चौधरी द्वारा किया गया। समापन सत्र में डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी अतिथियों, विशेषज्ञों, आयोजकों और प्रतिभागी किसानों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर आयोजन समिति के डॉ. बी.एल. दूदवाल, डॉ. संतोष सामोता, श्री रामस्वरूप चौधरी सहित कुल 71 प्रगतिशील किसान उपस्थित रहे और प्रशिक्षण से लाभान्वित हुए।


