मत्स्य उत्सव 2025 : पूर्वी राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत उजागर करेगा, अलवर में चार दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन

मत्स्य उत्सव 2025 अलवर में 23-26 नवम्बर तक आयोजित, पूर्वी राजस्थान की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन धरोहर को राष्ट्रीय मंच पर पेश करेगा। चार दिवसीय उत्सव में लोक नृत्य, संगीत, हस्तशिल्प, व्यंजन और हेरिटेज संवर्धन शामिल होंगे, जो स्थानीय कलाकारों और पर्यटन को नई ऊँचाइयाँ देंगे।
पूर्वी राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय परिदृश्य पर उभारेगा मत्स्य उत्सव 2025 :
अलवर : राजस्थान सरकार इस वर्ष मत्स्य उत्सव 2025 को अभूतपूर्व रूप से विस्तारित कर रही है, जिसका उद्देश्य पूर्वी राजस्थान की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर नई ऊर्जा देना है। अलवर में 23 से 26 नवम्बर तक आयोजित होने वाला यह चार दिवसीय उत्सव न केवल ऐतिहासिक धरोहरों और प्राकृतिक सुंदरता का जश्न होगा, बल्कि यह क्षेत्रीय संस्कृति, लोक कला, हस्तशिल्प और पारंपरिक व्यंजनों को भी समर्पित है।
अलवर का सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व :

अलवर और इसके आसपास का क्षेत्र पौराणिक, ऐतिहासिक और औद्योगिक दृष्टि से अद्वितीय है। महाभारत काल की कथाओं का स्थल पाण्डुपोल और भर्तृहरिजी की तपोभूमि अलवर की सांस्कृतिक पहचान को विशिष्ट बनाती हैं। जिले में स्थित बाला किला, सरिस्का, सिलीसेढ़ झील, भानगढ़ और अन्य प्राचीन स्मारक इसकी गौरवमयी विरासत का जीवंत प्रमाण हैं।
अलवर के संग्रहालय और मूसीरानी की छतरी – सागर में प्राचीन कला, संगीत, स्थापत्य और युद्धकला की झलक स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। इसके अलावा, जिले के पांच प्रमुख पर्यटन स्थल और सरिस्का टाइगर रिज़र्व पर्यटकों के लिए प्रमुख आकर्षण हैं।
अलवर का औद्योगिक और आर्थिक विकास :
वर्तमान समय में अलवर राजस्थान के तेजी से विकसित होने वाले औद्योगिक क्षेत्रों में शामिल है। यहाँ ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल-फार्मा, इंजीनियरिंग और स्टील सेक्टर की बड़ी कंपनियों का निवेश हो रहा है। दिल्ली–मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (DMIC) के महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय उद्योग और लॉजिस्टिक्स का केंद्र बनता जा रहा है।
ऐतिहासिक विरासत, सांस्कृतिक धरोहर और औद्योगिक ताकत—तीनों का संगम अलवर को आधुनिक राजस्थान की अनूठी पहचान देता है।
मत्स्य उत्सव 2025: परंपरा और पर्यटन का संगम :
राजस्थान पर्यटन विभाग इस बहुआयामी पहचान को मत्स्य उत्सव 2025 के माध्यम से देश के सामने प्रस्तुत कर रहा है। चार दिनों तक शहर के प्रमुख पर्यटन स्थलों पर लोक वाद्ययंत्र, पारंपरिक नृत्य और सांस्कृतिक झांकियों के साथ भव्य शोभायात्रा निकलेगी।
उत्सव में प्रमुख आकर्षण:
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हस्तशिल्प एवं फूड प्रदर्शनी: स्थानीय शिल्प, मिट्टी और कागजी पॉटरी कला, वस्त्र-कला, पारंपरिक व्यंजन और अलवर की मिठाइयाँ।
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योग सत्र और सांस्कृतिक कार्यशालाएँ: स्थानीय और राष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुतियाँ।
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फोटोग्राफी प्रदर्शनी और पतंग महोत्सव: सरिस्का और अन्य पर्यटन स्थलों की सुंदरता को प्रदर्शित।
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बच्चों की पारंपरिक प्रतियोगिताएँ: समूह-गान, लोक-नृत्य और संध्याओं में लोक-संगीत।
शहर के ऐतिहासिक स्थल, हवेलियाँ, संग्रहालय और मंदिर नाइट टूरिज्म आधारित विशेष हेरिटेज संवर्धन में सम्मिलित होंगे, जिससे पर्यटन को नई दिशा मिलेगी।
पूर्वी राजस्थान का राष्ट्रीय मंच पर आगमन :
पश्चिमी राजस्थान के मरु महोत्सव, पुष्कर मेला और डेजर्ट फेस्टिवल की तरह अब पूर्वी राजस्थान भी अपनी सांस्कृतिक ऊर्जा को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से पेश कर रहा है। मत्स्य उत्सव 2025 इस परिवर्तन की प्रतीकात्मक शुरुआत है, जहाँ परंपरा, पर्यटन, कला और आधुनिकता का संगम नजर आएगा।
जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग के प्रयासों से यह चार दिवसीय आयोजन न सिर्फ अलवर की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करेगा, बल्कि स्थानीय सहभागिता और पर्यटन विकास को भी नई ऊँचाइयाँ देगा।
स्थानीय सहभागिता और आर्थिक अवसर :
उत्सव से न केवल सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय कारीगरों, कलाकारों और खाद्य व्यवसायियों को अपने हुनर और उत्पाद राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत करने का अवसर मिलेगा। यह आयोजन पर्यटन, संस्कृति और व्यवसाय का अद्वितीय संगम बनकर पूर्वी राजस्थान की नई पहचान स्थापित करेगा।
निष्कर्ष :
मत्स्य उत्सव 2025 केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि यह पूर्वी राजस्थान की विरासत, पर्यटन और आर्थिक विकास का समेकित रूप है। चार दिनों तक चलने वाले इस आयोजन से अलवर और आसपास के क्षेत्रों की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और आधुनिक पहचान को राष्ट्रीय मंच पर उजागर किया जाएगा।
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