डिजिटल अरेस्ट ठगी से सावधान रहें : राजस्थान पुलिस ने जारी की चेतावनी

फर्जी अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर लोगों से वसूली कर रहे साइबर ठग, पुलिस ने बताए बचाव के उपाय
राजस्थान पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट नामक साइबर ठगी को लेकर चेतावनी जारी की है। ठग अधिकारी बनकर वीडियो कॉल पर लोगों से पैसे मांगते हैं। शिकायत करें cybercrime.gov.in या हेल्पलाइन 1930 पर।
राजस्थान पुलिस ने जारी की एडवाइजरी — कोई भी एजेंसी नहीं करती डिजिटल अरेस्ट, जागरूकता है ज़रूरी

जयपुर : राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा ने आम नागरिकों को डिजिटल अरेस्ट नामक नई साइबर ठगी से सचेत रहने की सलाह दी है। यह एक ऐसा अपराध है, जिसमें ठग खुद को सरकारी अधिकारी या एजेंसी का प्रतिनिधि बताकर पीड़ित को वीडियो कॉल पर “डिजिटल अरेस्ट” कर लेते हैं और डराकर धनराशि ठग लेते हैं।
कैसे करते हैं साइबर अपराधी धोखाधड़ी?


उपमहानिरीक्षक पुलिस (साइबर क्राइम) विकास शर्मा ने बताया कि ठग खुद को CBI, पुलिस, कस्टम, ED या इनकम टैक्स अधिकारी बताकर कॉल करते हैं और झूठे आरोप लगाते हैं। वे पीड़ित को यह कहकर डराते हैं कि—
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आपके बैंक खाते में मनी लॉन्ड्रिंग या देश विरोधी गतिविधियों का पैसा जमा है।
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आपके परिवार द्वारा अपराध किया गया है, गिरफ्तारी हो सकती है।
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आपके आधार से जारी SIM नंबर अपराध में इस्तेमाल हुआ है।
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आपके खाते, FD या इन्वेस्टमेंट का वेरिफिकेशन जरूरी है।
इन झूठी धमकियों से व्यक्ति भयभीत होकर उनकी बातों में आ जाता है और वीडियो कॉल पर बने रहने के लिए मजबूर हो जाता है, जिसे ही “डिजिटल अरेस्ट” कहा जाता है।
धोखाधड़ी का अंतिम चरण: पैसे जमा करने का झांसा
DIG शर्मा ने बताया कि ठग अंत में किसी फर्जी “वरिष्ठ अधिकारी” का वीडियो कॉल कराते हैं, जो यह कहता है कि आपके खाते में अवैध धन है और उसे “सरकारी जांच खाते” में जमा करना होगा।
वास्तव में वह खाता साइबर ठगों का होता है। पीड़ित से कहा जाता है कि जांच पूरी होने तक वीडियो कॉल पर रहें और किसी को जानकारी न दें। इसी दौरान अपराधी पीड़ित के पैसे ठग लेते हैं।
ट्राई और डॉट ने धोखाधड़ी रोकने के लिए नया नियम लागू किया है।
अब मोबाइल पर आने वाली कॉल में कॉलर का नाम अपने आप दिखेगा।
यह नाम सिम खरीदते समय दी गई आईडी के अनुसार होगा।
पुलिस का स्पष्ट संदेश — कोई भी डिजिटल अरेस्ट नहीं करता
राजस्थान पुलिस ने स्पष्ट किया है कि—
“कोई भी पुलिस विभाग, CBI या सरकारी एजेंसी किसी व्यक्ति को न तो वीडियो कॉल पर गिरफ्तार कर सकती है और न ही फोन पर पैसे जमा कराने के आदेश दे सकती है।”
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे इस तरह के कॉल्स से तुरंत सावधान हो जाएं और किसी भी स्थिति में अपने बैंक या व्यक्तिगत विवरण साझा न करें।
डिजिटल अरेस्ट से बचाव के लिए सुझाव:
राजस्थान पुलिस ने नागरिकों को साइबर अपराध से बचाव के लिए ये महत्वपूर्ण कदम बताए—
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कभी भी वीडियो कॉल पर पैसे न दें। सरकारी एजेंसी फोन पर पैसे नहीं मांगती।
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कॉल का कंट्री कोड चेक करें – अगर नंबर भारतीय (+91) नहीं है, तो सतर्क रहें।
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वीडियो कॉल पर किसी अजनबी से बातचीत न करें, खासकर जब वह खुद को अधिकारी बताएं।
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यदि इस तरह की कोई घटना हो, तो तुरंत निकटतम पुलिस स्टेशन या साइबर थाने में रिपोर्ट करें।
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राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल https://cybercrime.gov.in या हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज करें।
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राजस्थान पुलिस मुख्यालय हेल्प डेस्क नंबर – 925600-1930, 92575-10100 पर भी सहायता प्राप्त की जा सकती है।
पुलिस की अपील: जागरूक रहें, सुरक्षित रहें
DIG विकास शर्मा ने कहा कि “डिजिटल अरेस्ट” जैसे साइबर अपराधों से बचने का सबसे प्रभावी उपाय जागरूकता है।
उन्होंने आमजन से अनुरोध किया कि किसी भी संदिग्ध कॉल पर तुरंत पुलिस को सूचित करें और डर या दबाव में आकर पैसे ट्रांसफर न करें।
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