Rajasthan News: शिक्षा का शोक: नाले ने रोका रास्ता, श्मशान में पढ़ाई को मजबूर बच्चे
Rajasthan News राजस्थान के राजसमंद जिले के मोरचा गांव में नाले पर पुलिया नहीं होने से बारिश के दिनों में स्कूल तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई श्मशान घाट के बरामदे में हो रही है।

Rajasthan राजसमंद के राजसमंद जिले के कुंभलगढ़ क्षेत्र के मोरचा गांव में बारिश के दौरान स्कूल जाने वाला रास्ता नाले के कारण अवरुद्ध हो जाता है। इस कारण गांव के बच्चे श्मशान घाट के बरामदे में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। यह स्थिति न केवल शिक्षा व्यवस्था की पोल खोलती है, बल्कि शासन-प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है।
नाले ने रोक दी राह, श्मशान बना सहारा
फराट का भीलवाड़ा गांव के सरकारी स्कूल और मोरचा गांव के बीच एक बड़ा नाला बहता है, जिसमें बारिश के मौसम में तेज बहाव रहता है। पूरे कुंभलगढ़ का बारिश का पानी इसी नाले से होकर गुजरता है। नाले पर पुलिया नहीं होने के कारण बच्चों और ग्रामीणों का आना-जाना नामुमकिन हो जाता है।
हर साल तीन महीने बच्चों की पढ़ाई बाधित होती थी। लेकिन इस बार, स्कूल के शिक्षकों ने स्थानीय लोगों से बातचीत कर श्मशान घाट के बरामदे को अस्थायी स्कूल के रूप में उपयोग करना शुरू किया।
कच्चे घर और पेड़ के नीचे पढ़ाई नहीं थी संभव
गांव के सभी मकान कच्चे हैं और बारिश के दिनों में पेड़ के नीचे पढ़ाना भी मुमकिन नहीं था। ऐसे में गांव के पास एकमात्र पक्का निर्माण श्मशान घाट का बरामदा ही था। ग्रामीणों ने बच्चों की पढ़ाई को प्राथमिकता देते हुए सहमति दी और अब वहीं पढ़ाई हो रही है।
38 में से 15 बच्चे श्मशान घाट में पढ़ रहे हैं
फराट का भीलवाड़ा स्कूल के टीचर दिनेश बैरवा ने बताया- पहले से पांचवीं तक के हमारे स्कूल में 38 बच्चों का नामांकन है। इनमें से 15 बच्चे मोरचा गांव के बड़े नाले के इधर और 23 बच्चे स्कूल की तरफ रहते हैं। स्कूल में मेरे अलावा नाथू सिंह बच्चों को पढ़ाते हैं। नाथू सिंह का घर मोरचा गांव और मेरा घर 5 किलोमीटर दूर धोरण गांव में है। मैं यहां साल 2018 से पोस्टेड हूं। तब से दोनों बारिश के तीन महीने में नाला पार कर स्कूल पहुंचते थे।
टीचर कर रहे हैं अतिरिक्त मेहनत
टीचर दिनेश बैरवा रोज सुबह साढ़े 7 बजे श्मशान घाट पहुंचते हैं और दोपहर 1 बजे तक पढ़ाते हैं। इसके बाद वह नाला पार कर आधा किलोमीटर दूर स्थित स्कूल जाते हैं और अपनी व बच्चों की उपस्थिति दर्ज कराते हैं। 30 अगस्त को एसीबीईओ शंकर लाल नागदा ने निरीक्षण किया था। उन्होंने नाले के तेज बहाव को देखकर स्पष्ट निर्देश दिए कि जब तक बहाव कम नहीं होता, तब तक किसी को नाला पार नहीं करना है। इसके कारण स्कूल को तीन दिन बंद भी करना पड़ा।
पिछले एक महीने से स्कूल में पोषाहार की आपूर्ति बंद है। ऐसे में गांव की मीरा बाई वैष्णव रोज सुबह बच्चों के लिए दूध लेकर आती हैं। तेज बारिश के दौरान एक ग्रामीण के घर में पोषाहार बनवाया गया।
CBEO ने कहा- पुलिया या सड़क ठीक बन जाए तो असुविधा नहीं होगी स्कूल को लेकर सीबीईओ नूतन प्रकाश जोशी ने कहा- मामला हमारे संज्ञान में आया है। अगर पुलिया और रोड का काम सही पूरा हो जाता है तो बच्चों को आने-जाने में असुविधा नहीं होगी। मामले में उच्च अधिकारियों से भी बात करूंगा
चार साल से लंबित शिकायत
इस समस्या को लेकर चार साल पहले संपर्क पोर्टल पर शिकायत दर्ज की गई थी। पंचायत ने संबंधित विभाग को सूचित भी किया, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

