Madhya Pradesh News: संजय दत्त पहुंचे महाकाल के दरबार: बोले – “अब बाबा का बुलावा आया, तो दौड़ा चला आया”
Ujjain News: पहली बार बाबा महाकाल के दर्शन के लिए आए दत्त ने पूजा अर्चना करने के बाद कहा कि मेरा सौभाग्य की बाबा महाकाल ने मुझे बुलाया

उज्जैन बॉलीवुड अभिनेता संजय दत्त गुरुवार सुबह महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचे। इस दौरान उन्होंने धोती-कुर्ता पहनकर भस्म आरती में भाग लिया और सादगी से बाबा महाकाल के दर्शन किए। भक्ति में लीन संजय दत्त ने कहा, “कई सालों से बाबा के दर्शन की कोशिश कर रहा था, अब जब बुलावा आया तो दौड़ा चला आया।”
नंदी हॉल में बैठकर देखी भस्म आरती
सुबह महाकाल मंदिर पहुंचने के बाद संजय दत्त ने नंदी हॉल में बैठकर भस्म आरती का दर्शन किया। इस दौरान वे कभी हाथ जोड़कर बाबा का ध्यान करते नजर आए, तो कभी तालियां बजाकर भक्ति में झूमते दिखाई दिए। उन्होंने मंदिर की परंपरा के अनुसार माथे पर ‘जय श्री महाकाल’ का तिलक भी लगवाया।
मंदिर प्रशासन के अनुसार, अभिनेता ने किसी प्रकार की विशेष व्यवस्था नहीं मांगी और पूर्ण सादगी से दर्शन किए। उन्होंने भगवा रंग का धोती-कुर्ता पहन रखा था।

“भस्म आरती का अनुभव शब्दों से परे है”
दर्शन के बाद मीडिया से बातचीत में संजय दत्त ने कहा: “महाकाल मंदिर आकर लगता है जैसे यहां एक बहुत बड़ी शक्ति है। कई सालों से यहां आने की कोशिश कर रहा था, लेकिन जब बाबा का बुलावा आता है तभी आना होता है। आज बुलाया और मैं दौड़ा चला आया। भस्म आरती का अनुभव मेरे लिए अविस्मरणीय है, इसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। जब अगली बार बाबा बुलाएंगे, तब फिर आऊंगा।”
मंदिर के रीति-रिवाजों की ली जानकारी
आरती के दौरान संजय दत्त ने मंदिर के पुजारी पंडित यश गुरु से भस्म आरती और महाकाल के श्रृंगार से जुड़ी परंपराओं की जानकारी ली। पंडित जी ने उन्हें बताया कि हर सुबह भगवान शिव को ताजे भस्म से अभिषेक किया जाता है, जो मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र को दर्शाता है।
सादगी और श्रद्धा का संगम
मंदिर पहुंचते ही संजय दत्त ने परिसर में मौजूद एक छोटी बच्ची से तिलक लगवाया, और कुछ देर उससे बातचीत भी की। मंदिर में उन्होंने बिना किसी दिखावे के पूरे श्रद्धा भाव से दर्शन किए। उनकी भक्ति और सादगी को देख मंदिर में मौजूद अन्य श्रद्धालु भी भावविभोर हो उठे।
ऐसे होती है भस्म आरती
विश्वप्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में गुरूवार तड़के मंदिर के कपाट खुलते ही पुजारियों ने सबसे पहले वीरभद्र जी का स्वस्तिवाचन कर और उनकी आज्ञा से चांदी द्वार खोला। इसके बाद गर्भगृह के पट खोल भगवान का श्रृंगार उतार कर पंचामृत पूजन कर कर्पूर आरती की गई। इसके बाद भगवान महाकाल का जल से अभिषेक किया गया। फ़िर बाबा को भांग, चंदन, सिंदूर और आभूषणों से दिव्य स्वरूप में श्रृंगारित कर ड्रायफ्रूट, फल और मिठाई का भोग अर्पित कर भगवान को भस्म चढ़ाई गई। इस दौरान नंदी बाबा की भी पूजा की गई।

