Nepal Protest Update: सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हिंसा: सेना ने संभाला मोर्चा, PM ओली का इस्तीफा
नेपाल में सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जारी आंदोलन ने उग्र रूप ले लिया है। आज तीसरे दिन भी हिंसक प्रदर्शन जारी हैं। हालात बिगड़ने के बाद नेपाली सेना ने मंगलवार रात 10 बजे से देशभर में नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया है।

सेना ने कहा है कि कुछ उपद्रवी हालात का फायदा उठाकर सरकारी संपत्ति और आम नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। लूटपाट और आगजनी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिन्हें रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे।
प्रदर्शनकारियों के गुस्से के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा देकर काठमांडू छोड़ दिया है। प्रदर्शनकारियों ने उनके निजी आवास, राष्ट्रपति भवन और सुप्रीम कोर्ट में आगजनी की। राजधानी और आस-पास के इलाकों में 22 लोगों की मौत और 400 से ज्यादा लोगों के घायल होने की पुष्टि हुई है। सरकार की ओर से अभी तक सोशल मीडिया बैन हटाने को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई है। आंदोलन में सबसे आगे देश के युवा और छात्र वर्ग हैं, जो इसे “जनता बनाम सरकार” की लड़ाई बता रहे हैं।
आज मिलेंगे GEN-Z नेता
इस बीच आज बुधवार को GEN-Z प्रदर्शनकारी नेता सुदान गुरुंग और अन्य आगे की रणनीति पर चर्चा करने के लिए मिलने वाले हैं। राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सभी पक्षों से संयम बरतने और नुकसान न होने देने की अपील की थी। मंगलवार को राष्ट्रपति कार्यालय को भी आग लगा दी गई थी। सेना प्रमुख सिगडेल ने कहा, ‘लोकतंत्र में नागरिकों की उठाई मांगों का समाधान जेन-जेड के प्रतिनिधियों समेत बातचीत और चर्चा के माध्यम से किया जा सकता है, इसलिए मैं सभी पक्षों से संयम बरतने, देश को और नुकसान न पहुंचाने और बातचीत की मेज पर आने की अपील करता हूं।
3 पूर्व प्रधानमंत्रियों के घर जलाए
आंदोलनकारियों ने कल नेपाल के 3 प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा, झालानाथ खलान और पुष्प कमल दहल प्रचंड के घर में आग लगा दी। पूर्व पीएम झालानाथ खनाल के घर में आग लगाने से उनकी पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार गंभीर रूप से जल गईं। उन्हें तुरंत कीर्तिपुर बर्न अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
नेपाल में आज रात 10 बजे के बाद कर्फ्यू रहेगा
नेपाली सेना ने बुधवार को कहा कि देशभर में प्रोहिबिटेड ऑर्डर शाम 5 बजे तक रहेगी। इसके बाद रात 10 बजे से गुरुवार सुबह 6 बजे तक पूरे देश में कर्फ्यू लागू होगा। सेना ने सार्वजनिक सुरक्षा का हवाला दिया है। सेना के मुताबिक कुछ उपद्रवी समूहों ने प्रदर्शनों में घुसपैठ, तोड़फोड़, आगजनी, लूटपाट, लोगों और संपत्ति पर हमले और यौन उत्पीड़न की कोशिश की।

नेपाल में लोकतंत्र की लड़ाई: 250 साल की राजशाही से आज की उथल-पुथल तक
काठमांडू — नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ चल रहे हिंसक प्रदर्शनों और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे ने एक बार फिर देश के राजनीतिक इतिहास को सुर्खियों में ला दिया है। यह संकट अचानक नहीं आया, इसकी जड़ें उस लंबे संघर्ष में हैं, जो नेपाल ने लोकतंत्र हासिल करने के लिए लड़ा।
2008 तक 250 साल रही राजशाही
नेपाल में लगभग 250 साल तक राजशाही कायम रही। 1951 में पहली बार लोकतंत्र की कोशिश की गई, लेकिन हर बार इसे दबा दिया गया। 1996 से 2006 के बीच माओवादी विद्रोह और राजशाही के बीच चले 10 साल लंबे गृहयुद्ध में 17 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई।
2008 में बना लोकतांत्रिक गणराज्य
गृहयुद्ध के बाद 2007 में राजशाही खत्म करने का फैसला हुआ और 2008 में नेपाल को लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। हालांकि, करीब 3 करोड़ की आबादी वाले इस देश में 100 से ज्यादा जातीय समूह और भाषाएं होने के कारण राजनीतिक स्थिरता कभी नहीं आ सकी।
भ्रष्टाचार और बार-बार सरकार बदलना बनी समस्या
2008 के बाद से नेपाल में लगातार सरकारें बदलीं और भ्रष्टाचार की शिकायतें भी बढ़ती गईं। इस अस्थिरता ने जनता में गहरी नाराजगी पैदा की, जो अब विरोध प्रदर्शन के रूप में सामने आ रही है।
ओली का राजनीतिक सफर और ताजा इस्तीफा
सीपीएन-यूएमएल नेता केपी शर्मा ओली पहली बार 2015 में प्रधानमंत्री बने थे। 2024 में उन्होंने नेपाली कांग्रेस के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई। योजना यह थी कि 2027 तक दोनों पार्टियां बारी-बारी से सरकार चलाएंगी। लेकिन सोशल मीडिया बैन और भ्रष्टाचार के खिलाफ उभरे जन आंदोलन के दबाव में ओली को मंगलवार को इस्तीफा देना पड़ा।
नेपाल हिंसा की फुटेज..

