Rajasthan News: राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार पर विराम: भाजपा के लिए ‘घर संभालना’ बड़ी चुनौती
राजस्थान की राजनीति में इन दिनों सबसे गर्म चर्चा मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दिल्ली दौरे के बाद तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि भाजपा आलाकमान ने मंत्रिमंडल पर मंथन कर लिया है।

लेकिन विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि यह सब महज़ अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं। असलियत यह है कि इस समय भाजपा के लिए मंत्रिमंडल विस्तार से ज्यादा जरूरी है अपने घर को संभालना। वजह साफ है—एक तरफ संसद का मानसून सत्र जारी है और दूसरी ओर राजस्थान विधानसभा का सत्र 1 सितंबर से बुलाए जाने की चर्चाएं तेज हैं। इधर, 2-3 महीनों में नगरीय निकाय चुनाव होने की संभावना है।
ऐसे में भाजपा आलाकमान और मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा खुद नहीं चाहेंगे कि किसी विधायक को नाखुश किया जाए। राजनीतिक हलकों में माना जा रहा है कि यदि अभी किसी मंत्री से पद छीना गया या किसी नए चेहरे को शामिल किया गया तो इसका सीधा असर भाजपा के भीतर असंतोष के रूप में देखने को मिलेगा। जिनका नंबर नहीं आया, वे भी नाराज होंगे और जिनकी विदाई होगी, वे भी चुप नहीं बैठेंगे। यही कारण है कि फिलहाल आलाकमान और प्रदेश नेतृत्व किसी जोखिम में नहीं पड़ना चाहते।
सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने दिल्ली दरबार में आलाकमान से मुलाकात जरूर की है, लेकिन उसमें कोई फाइनल फैसला नहीं हुआ। असल में राजस्थान में फिलहाल कई बड़े मुद्दे लंबित हैं, जिन पर सरकार को पहले फोकस करना होगा। सबसे अहम बात यह है कि विपक्ष विधानसभा सत्र में सरकार को घेरने के लिए बड़ी रणनीति तैयार कर चुका है। ऐसे में अगर भाजपा के पास मजबूत मंत्रिमंडल होते हुए भी रणनीतिक जवाब नहीं रहा तो यह सरकार की छवि पर बुरा असर डाल सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का साफ कहना है कि “भाजपा को फिलहाल विस्तार नहीं, बल्कि संगठन और सरकार को एकजुट करने की सबसे ज्यादा जरूरत है।

