Shibu Soren Funeral: दिशोम गुरु’ शिबू सोरेन पंचतत्व में विलीन: राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का आज उनके पैतृक गांव नेमरा में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम दर्शन और विदाई में देशभर से बड़े नेता और हजारों लोग शामिल हुए।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और JMM के संस्थापक शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार आज मंगलवार (5 अगस्त) को उनके पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। 81 वर्षीय ‘दिशोम गुरु’ का 4 अगस्त को सुबह दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में निधन हो गया था। वे लंबे समय से किडनी की बीमारी और हाल ही में आए स्ट्रोक से पीड़ित थे।
उनके पार्थिव शरीर को सोमवार (4 अगस्त) शाम दिल्ली से रांची लाया गया। जहां देर रात तक आमजन और नेताओं ने श्रद्धांजलि अर्पित की। आज सुबह 9 बजे उनका पार्थिव शरीर रांची स्थित विधानसभा परिसर में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। वहीं दोपहर 3 बजे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
81 वर्षीय शिबू लंबे समय से अस्पताल में नियमित रूप से इलाज करा रहे थे। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 24 जून को अपने पिता के अस्पताल में भर्ती होने पर कहा था। ‘उन्हें हाल ही में यहां भर्ती कराया गया था। इसलिए हम उनसे मिलने आए थे। उनकी स्वास्थ्य समस्याओं की जांच की जा रही है।’ शिबू सोरेन पिछले 38 वर्षों से झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता थे और उन्हें पार्टी के संस्थापक संरक्षक के रूप में जाना जाता है।
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को रामगढ़ के नेमरा गांव में हुआ था। बचपन से ही उन्होंने आदिवासी समुदाय की समस्याओं, शोषण और अन्याय को करीब से देखा। 1960 के दशक में उन्होंने आदिवासी अधिकारों और जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष शुरू किया। 1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की।
1980 में शिबू सोरेन पहली बार लोकसभा सदस्य बने। इसके बाद उन्होंने कई बार संसद में आदिवासी मुद्दों को उठाया और झारखंड राज्य गठन की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाई थी । उनके प्रयासों और लंबे संघर्ष के परिणामस्वरूप 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन हुआ। राज्य गठन के बाद शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने- 2005, 2008 और 2009 में। हालांकि, राजनीतिक अस्थिरता और गठबंधन की खींचतान के कारण उनका कार्यकाल लंबा नहीं चल सका। इसके बावजूद उन्होंने आदिवासी कल्याण, रोजगार और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कई पहल की।

