Jaipur News: जयपुर में सामाजिक जागरूकता की नई लहर: IRS से सामाजिक नेतृत्व तक डॉ. अनुप कुमार श्रीवास्तव का सफर
जयपुर की ऐतिहासिक धरती पर आज एक नई सामाजिक चेतना की बयार चल रही है और इसका श्रेय जाता है एक ऐसे शख्स को जिन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा में अपनी साख कायम करने के बाद अब सामाजिक नेतृत्व का बीड़ा उठाया है।

हम बात कर रहे हैं अखिल भारतीय कायस्थ महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अनुप कुमार श्रीवास्तव की, जो पूर्व में प्रधान आयुक्त (IRS) और दो बार कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ सिविल सर्विस एसोसिएशन (COCSA) के अध्यक्ष रह चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ से आने वाले डॉ. श्रीवास्तव ने IRS सेवा में रहते हुए देश को ईमानदारी से टैक्स दिलाने, जीएसटी प्रणाली को पारदर्शी बनाने और टैक्स चोरी रोकने जैसे कार्यों में अग्रणी भूमिका निभाई। उन्होंने बताया कि जीएसटी के आरंभिक वर्षों में उन्होंने केंद्र और राज्यों के बीच लगातार समन्वय स्थापित किया लेकिन आज भी कई जगहों पर फर्जी इनवॉइसिंग, शेल कंपनियों और जटिलताओं की वजह से टैक्स चोरी बढ़ रही है, जिसे रोकने के लिए अब भी ईमानदारी और इच्छाशक्ति की जरूरत है। रिटायरमेंट के बाद जब उन्होंने कायस्थ समाज की स्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया तो उन्हें यह स्पष्ट रूप से महसूस हुआ कि एक ऐसा समाज जो कभी प्रशासन, न्यायपालिका, साहित्य और नेतृत्व में अग्रणी था, वह आज बेरोजगारी, विवाह असंतुलन और असुरक्षा जैसी समस्याओं से जूझ रहा है।
स्वामी विवेकानंद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सुभाष चंद्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, महादेवी वर्मा और मुंशी प्रेमचंद जैसे गौरवशाली व्यक्तित्वों को जन्म देने वाला कायस्थ समाज आज इस स्थिति में क्यों है, इसका कारण डॉ. श्रीवास्तव दो मुख्य बिंदुओं में बताते हैं। पहला यह कि आरक्षण व्यवस्था का सीधा प्रभाव उस समाज पर पड़ा जो परंपरागत रूप से प्रशासनिक सेवाओं पर निर्भर था और दूसरा यह कि जब अन्य समुदायों ने व्यापार, स्टार्टअप, उद्यमिता और शिक्षा के वैकल्पिक रास्ते अपनाए, कायस्थ समाज ने वैसी मानसिकता नहीं अपनाई।
इस संकट की घड़ी में समाज को एक नई दिशा देने के लिए डॉ. श्रीवास्तव ने ‘के-कार्ड’ जैसी डिजिटल योजना की शुरुआत की है जो न केवल एक पहचान पत्र है, बल्कि चिकित्सा, ब्लड डोनेशन, स्टार्टअप सपोर्ट, कोचिंग गाइडेंस, और रोजगार के क्षेत्र में सहायता प्रदान करने का माध्यम भी है। महज तीन महीनों में 27,000 से अधिक के-कार्ड जारी किए जा चुके हैं और लक्ष्य है कि इसे दस लाख और फिर एक करोड़ तक पहुंचाया जाए ताकि कायस्थ समाज को एकजुट किया जा सके। उन्होंने बताया कि लाल पैथलैब्स ने 40%, बत्रा हॉस्पिटल ने 20% और अन्य प्रतिष्ठानों ने 50% तक की छूट देने की सहमति दी है, जिससे समाज के सामान्य और जरूरतमंद वर्ग को भी उच्च स्तरीय सेवाएं सुलभ हो सकें।
डॉ. श्रीवास्तव इस बात को लेकर भी प्रतिबद्ध हैं कि जब तक समाज का राजनीतिक प्रतिनिधित्व नहीं होगा, तब तक सामाजिक न्याय अधूरा रहेगा। इसलिए वे दिल्ली और बिहार जैसे चुनावों में पहले ही सीट की मांग रख चुके हैं और अब राजस्थान, मध्यप्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में समाज के प्रतिनिधियों को मैदान में उतारने की दिशा में प्रयासरत हैं। उनका मानना है कि जब तक कायस्थ समाज संगठित होकर अपनी संख्या और सामर्थ्य का परिचय नहीं देगा, तब तक वह अपनी राजनीतिक उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाएगा।
डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि कई कायस्थ परिवार आज ऐसे भी हैं जो न सिर्फ आर्थिक रूप से कमजोर हैं बल्कि उनके घरों पर अवैध कब्जे, झूठे मुकदमे और सामाजिक उत्पीड़न जैसी समस्याएं भी सामने आ रही हैं। इसके समाधान के लिए अखिल भारतीय कायस्थ महासभा ने ‘क्विक रिस्पॉन्स टीम’ का गठन किया है जो देशभर में सक्रिय है और किसी भी संकट में फंसे व्यक्ति की सहायता के लिए तत्पर रहती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में हमने समाज के छात्रों और बाहर से आने वाले नौकरीपेशा लोगों के लिए आवास योजना की शुरुआत कर दी है और अब इसे जयपुर, लखनऊ, पटना, भोपाल जैसे शहरों में भी लागू किया जाएगा ताकि समाज के युवाओं को सहारा और सम्मान दोनों मिल सके।
इसके साथ ही मेडिकल, इंजीनियरिंग, लॉ और सिविल सेवा जैसे क्षेत्रों में जाने के इच्छुक छात्रों को कोचिंग और मार्गदर्शन के लिए भी योजनाएं बनाई जा रही हैं। बातचीत के अंत में उन्होंने कहा कि मीना समाज जैसा संगठनात्मक ढांचा और पारस्परिक सहयोग कायस्थ समाज को भी अपनाना चाहिए और उन्होंने इस दिशा में पहल शुरू कर दी है। चाहे छात्रावास हों, अस्थायी आवास हो, हेल्पलाइन हो या आपसी आर्थिक सहयोग की व्यवस्था, समाज को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाना ही उनकी प्राथमिकता है। उनका मानना है कि राष्ट प्रथम है, समाज समर्थ है तो विकास स्वतः ही होगा। हमें पहले देश की सेवा करनी है, फिर समाज की। यही राष्ट्रवाद है, यही समाजवाद है और यही विकास की असली परिभाषा है। डॉ. श्रीवास्तव के नेतृत्व में कायस्थ समाज केवल संगठन नहीं बना रहा, बल्कि एक नए सामाजिक पुनर्जागरण की ओर अग्रसर है जहां गौरव, गरिमा और अवसर तीनों एक साथ लौटने वाले हैं।

