Self Study Success Story: 71 की उम्र में हौसले की उड़ान: पत्नी के निधन के बाद अकेलेपन से लड़ते हुए बने चार्टर्ड अकाउंटेंट
जयपुर के 71 साल के ताराचंद अग्रवाल चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बने हैं। ताराचंद 2014 में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया) में असिस्टेंट जनरल मैनेजर के पद से रिटायर्ड हुए थे। नवंबर 2020 में कोविड के दौरान पत्नी दर्शना अग्रवाल का निधन हो गया। इसके बाद अकेलेपन को दूर करने के लिए पढ़ना शुरू किया।

पीएचडी करने की सोची तो बच्चों ने सुझाव दिया कि देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक CA की तैयारी की जाए। पोती ने कहा- जब आप मुझे गाइड कर सकते हैं तो खुद क्यों नहीं कर सकते? इसी विश्वास के साथ ताराचंद ने सीए की राह पकड़ी।
2021 में लिया फैसला, 2025 में बन गए CA ताराचंद ने जुलाई 2021 में CA के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। मई 2022 में फाउंडेशन क्लियर किया। जनवरी 2023 में इंटरमीडिएट पास किया। मई 2024 में उन्होंने फाइनल का अटेम्प्ट दिया। सफल नहीं हुए। इसके बाद मई 2025 में दोबारा फाइनल परीक्षा दी। इस बार सफलता हासिल कर ली।
बैंक से रिटायर, लेकिन जोश आज भी जवान
एसबीआई से सेवानिवृत्त होने के बाद अधिकतर लोग आराम का जीवन चुनते हैं। लेकिन ताराचंद अग्रवाल ने खुद के लिए एक नया सफर तय करने का फैसला लिया। उन्होंने न केवल सीए बनने का सपना देखा, बल्कि उसे पूरा भी कर दिखाया। उनका कहना है उम्र सिर्फ एक संख्या है। अगर मन में लगन हो और राह सही हो, तो सफलता ज़रूर मिलती है।
उम्र की बाधाओं को पीछे छोड़, आगे बढ़े
ताराचंद अग्रवाल ने बताया कि शुरुआत में ओरियंटेशन और आईटी कोर्स उन्होंने देहरादून से पूरे किए। फिर 9 महीने की आर्टिकलशिप और इंटरमीडिएट की दो बार की कोशिशों के बाद सफलता मिली। फाइनल की तैयारी के समय स्वास्थ्य ने चुनौती दी, फ्रोजन शोल्डर, बच्चे की तबीयत और उम्र की थकान… लेकिन वो रुके नहीं। 10 से 12 घंटे की पढ़ाई, रोज़ 4 घंटे की लिखने की प्रैक्टिस और नई ऊर्जा के साथ तैयारी ने उन्हें जीत दिलाई।
किताब को गुरु मानकर की सेल्फ स्टडी : ताराचंद अग्रवाल ने बताया कि उन्होंने 1980 में बीकॉम कर लिया था। इसके साथ ही बैंक का इंटरनल क्वालिफिकेशन सीआईआई भी किया था। 1988 के बाद केवल एक प्रमोशन का एग्जाम दिया था। उसके बाद करीब 30 साल तक कोई एग्जाम नहीं दिया। आलम ये था कि जब कोर्स देखा तो सब्जेक्टिव पूरा चेंज हो चुका था. टैक्सेशन भी बदल चुका था। उस वक्त सेल टैक्स हुआ करता था। आज जीएसटी आ चुका है। इनकम टैक्स में बहुत सारे बदलाव हो चुके हैं। लेकिन सेल्फ स्टडी करते हुए किताब को गुरु मानकर उन्होंने पढ़ना शुरू किया
आगे भी जारी रखेंगे पढ़ाई : आखिर में उन्होंने कहा कि फिलहाल वो अपने बेटे के ऑफिस का काम संभाल रहे हैं. आगे दोबारा स्टडी में लगने के लिए प्लान कर रहे हैं। इंस्टिट्यूट के पीएचडी और दूसरे सर्टिफिकेशन कोर्स के लिए वो अप्लाई करेंगे, और आगे जब तक शरीर चल रहा है निरंतर पढ़ाई जारी रखेंगे। बहरहाल, ताराचंद अग्रवाल की यात्रा बताती है कि उम्र थका सकती है। लेकिन जज़्बा जगा भी सकता है. उन्होंने साबित कर दिया कि जब सीखने की ललक हो, तो सफलता खुद चलकर दस्तक देती है।