Pahalgam Attack Update: पहलगाम नरसंहार में बड़ा खुलासा: स्थानीय मददगारों की गिरफ्तारी से एनआईए को बड़ी कामयाबी
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हिन्दू पर्यटकों के नरसंहार मामले की जांच में बड़ा ट्विस्ट आ गया है. इस हमले में आतंकियों की मदद करने वाले दो कश्मीरी लोगों ने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं, जिससे एनआईए की पूरी जांच ही घूम गई है।
फाइल फोटो
पहलगाम आतंकी हमले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को बड़ी कामयाबी मिली है। नरसंहार के ठीक दो महीने बाद एनआईए ने तस्वीर साफ कर दी कि हमले में स्थानीय लोगों का ही सहयोग था। रविवार को एनआईए ने पहलगाम के रहने वाले दो आतंकी मददगारों को गिरफ्तार किया, जिन्होंने हमले से पहले तीन पाकिस्तानी आतंकियों के लिए खाने, रहने की जगह और रैकी में मदद दी थी।
पूछताछ में दोनों आरोपितों ने कुबूला कि पर्यटकों को चुन-चुनकर मारने वाले तीनों पाकिस्तानी आतंकी लश्कर-ए-तैयबा के थे। दोनों से अभी भी पूछताछ जारी है। उनके मोबाइल फोन व अन्य उपकरणें की जांच के बाद एनआईए को कई सुराग मिले हैं। हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने आशंका जाहिर की थी कि हमले में स्थानीय का ही सहयोग है। इस पर कश्मीर केंद्रित दलों ने खूब सियासत भी की थी।
एनआईए के अनुसार, परवेज और बशीर ने जानबूझकर तीनों आतंकियों को हमले से पहले आश्रय, भोजन और रसद सहायता प्रदान की थी। उन्होंने बैसरन घाटी में मौसमी झोपड़ी में आतंकियों को छुपाया और हमले के दिन उनकी गतिविधियों में सहयोग किया। आतंकियों ने धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को चुन-चुन कर मार डाला, जिससे यह हमला और भी ज्यादा बर्बर बन गया।
डेढ़ महीने बाद पहली गिरफ्तारी
इस हमले के डेढ़ महीने बाद एनआईए को पहली बड़ी सफलता इन दोनों की गिरफ्तारी के रूप में मिली है. जांच एजेंसी ने दोनों को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA), 1967 की धारा 19 के तहत गिरफ्तार किया है. अब इनसे पूछताछ कर यह जानने की कोशिश हो रही है कि तीनों पाकिस्तानी आतंकी कहां छिपे हो सकते हैं. एनआईए अदालत में पेशी के बाद इनकी कस्टडी बढ़ाने की मांग करेगी ताकि उनसे और भी जानकारियां निकाली जा सकें
पहलगाम हमले का घटनाक्रम
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की। हमलावरों ने धर्म पूछकर हिंदुओं को निशाना बनाया। जिसमें 26 लोग मारे गए और 17 घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा और द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली। भारत ने तुरंत इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद करार दिया।