Rajnath Singh SCO Defence Ministers Meeting 2025: SCO मीटिंग के लिए चीन जा रहे राजनाथ सिंह: भारत-चीन संबंधों में सुधार की उम्मीदें बढ़ीं
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह 24-25 जून को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन के दौरे पर जा रहे हैं।

यह दौरा कई मायनों में अहम माना जा रहा है, क्योंकि हाल के दिनों में भारत और चीन के बीच रिश्तों को सामान्य करने की कोशिशें तेज़ हुई हैं, वहीं LAC (लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल) पर तनाव अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री भी होंगे मौजूद
इस SCO बैठक में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ भी मौजूद रहेंगे। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राजनाथ सिंह और ख्वाजा आसिफ के बीच कोई अनौपचारिक बातचीत होती है या नहीं। यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब मई के पहले सप्ताह में भारत-पाक सीमा पर झड़प की घटनाएं हुई थीं।
चीन के समकक्ष से हो सकती है द्विपक्षीय वार्ता
सूत्रों के मुताबिक, राजनाथ सिंह की अपने चीनी समकक्ष एडमिरल डोंग जून से द्विपक्षीय बातचीत भी हो सकती है। यदि यह बातचीत होती है, तो यह रक्षा मंत्री के रूप में राजनाथ सिंह की चीन यात्रा को और अधिक महत्वपूर्ण बना देगी।
भारत-चीन संबंधों की बहाली की दिशा में पहल
दोनों देशों के बीच सामान्य द्विपक्षीय संबंधों को बहाल करने के प्रयास चल रहे हैं। इनमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को दोबारा शुरू करने, हवाई संपर्क को बहाल करने, जल विज्ञान आंकड़ों का आदान-प्रदान, वीज़ा सुविधाओं में सुधार, और जनसंपर्क बढ़ाने जैसे मुद्दों पर चर्चा की संभावना है।
SCO में चीन को भारत का समर्थन
भारत ने SCO में चीन की अध्यक्षता को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। हाल ही में दिल्ली में हुई एक अहम बैठक में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी उपविदेश मंत्री सुन वेइदोंग के बीच इस पर सहमति बनी थी। ऐसे में यह दौरा यह संकेत भी देगा कि भारत-चीन संबंधों में फिर से सहयोग और संवाद की संभावनाएं बन रही हैं।
भारत ने दोहराया SCO में चीन के नेतृत्व का समर्थन
भारत ने SCO में चीन की अध्यक्षता को समर्थन देने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई है। हाल ही में दिल्ली दिल्ली में भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी उपविदेश मंत्री सुन वेइदोंग के बीच हुई बातचीत में इस समर्थन को विशेष रूप से जोर दिया गया यदि यह दौरा फाइनल होता है तो यह ना सिर्फ एक राजनयिक संकेत होगा। बल्कि यह भी दर्शाएगा कि भारत और चीन सीमा तनाव से आगे बढ़कर फिर से सहयोग की दिशा में बढ।