Caste Census Schedule Dates Update: 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगी जनगणना और जातीय जनगणना: गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना
लंबे वक्त से जनगणना को लेकर हो रहा इंतजार, आखिरकार खत्म हो गया है। गृह मंत्रालय ने आज यानी सोमवार को जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जनगणना और जातीय जनगणना से संबंधित आधिकारिक गैजेट अधिसूचना जारी कर दी है।

जनगणना का पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जिसमें चार पहाड़ी राज्य – हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख शामिल होंगे। यह पहला चरण मुख्य रूप से कठिन भौगोलिक इलाकों को ध्यान में रखते हुए पहले शुरू किया जा रहा है।
21 महीने में पूरी होगी जनगणना प्रक्रिया
गृह मंत्रालय के अनुसार, जनगणना की पूरी प्रक्रिया 21 महीनों में पूरी की जाएगी, जिसका समापन 1 मार्च 2027 को होगा। उसी दिन से दूसरे चरण की शुरुआत की जाएगी, जिसमें देश के बाकी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में जनगणना कराई जाएगी। जनगणना का प्राथमिक डेटा मार्च 2027 तक जारी कर दिया जाएगा। जबकि विस्तृत आंकड़ों के लिए वर्ष 2027 के अंत तक इंतजार करना पड़ सकता है।
देखें नोटिफिकेशन…
आजादी के बाद पहली बार होगी जातीय जनगणना
30 अप्रैल 2025 को केंद्र सरकार ने जातीय जनगणना कराने का फैसला लिया था। यह भारत की स्वतंत्रता के बाद पहली बार होगा जब जातीय आधार पर जनसंख्या की गणना की जाएगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि जातीय जनगणना को मुख्य जनगणना के साथ ही जोड़ा जाएगा।
2011 में हुई थी सामाजिक-आर्थिक और जातिगत गणना
साल 2011 में मनमोहन सिंह सरकार के समय सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना (SECC) करवाई गई थी। यह सर्वे गृह मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय की अगुवाई में किया गया था।
हालांकि, इसके पूरे आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। केवल SC-ST हाउसहोल्ड से जुड़े आंकड़े ही ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर जारी किए गए थे।
जनगणना एक्ट 1948 में SC-ST की गणना का प्रावधान है। ओबीसी की गणना के लिए इसमें संशोधन करना होगा। इससे ओबीसी की 2,650 जातियों के आंकड़े सामने आएंगे। 2011 की जनगणना के अनुसार, 1,270 SC, 748 एसटी जातियां हैं। 2011 में SC आबादी 16.6% और एसटी 8.6% थी।
विपक्ष की भी बड़ी मांग रही है जातीय जनगणना
कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग की है। वे इसे सामाजिक न्याय और संसाधनों के समान बंटवारे की दिशा में महत्वपूर्ण कदम मानते हैं। जनगणना आम तौर पर हर 10 वर्षों में होती है। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी और अगली जनगणना 2021 में प्रस्तावित थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया।
जाति जनगणना का इतिहास
जाति जनगणना के इतिहास की बात करें तो जब देश ब्रिटिश शासन के अधीन था उसी समय 1871-72 में पहली बार भारत में व्यवस्थित जनगणना शुरू हुई। इसमें जाति, धर्म, और अन्य सामाजिक विशेषताओं को दर्ज किया गया। इस जनगणना का उद्देश्य प्रशासनिक सुविधा के साथ सामाजिक संरचना को समझाना था और टैक्स वसूली के लिए भी जाति का डेटा जमा करना जरूरी था। डेटा शासकीय नीतियों जैसे भर्ती और भूमि प्रबंधन में भी उपयोगी था। देश में आखिरी जाति जनगणना 1931 में हुई थी। इस जनगणना में जाति से जुड़े विस्तृत आंकड़े जमा किए गए। आजादी के बाद 1951 की जनगणना में केवल अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के आंकड़े लिए गए। बाद में एक नीतिगत बदलाव करते हुए सरकार ने जाति जनगणना को बंद कर दिया। इसे सामाजिक विभाजन के लिए खतरा बताया गया था।