Chittorgarh Hazareshwar Mahadev Temple: सूर्य की पहली किरणों से होता है भोलेनाथ का अभिषेक: हजारेश्वर महादेव मंदिर में सूर्य किरणाभिषेक होता है
चित्तौड़गढ़ के हजारेश्वर महादेव मंदिर में साल में दो बार, सूर्य की पहली किरणें सीधे शिवलिंग तक पहुँचती हैं, जिससे भगवान शिव का सूर्य किरणाभिषेक होता है………..

आज सूर्य की किरण गर्भ गृह तक पहुंचने का तीसरा दिन है। सनातन धर्म में इसे बहुत शुभ माना जाता है। मंदिर में वास्तु शास्त्र का अनूठा उदाहरण देखने को मिलता है। खास बात है कि एक शिवलिंग पर एक हजार शिवलिंग बने हुए हैं।
महंत चंद्र भारती महाराज ने बताया कि वर्ष में दो बार ऐसे योग बनते हैं जिसमे की सूर्य की पहली किरण भगवान भोलेनाथ का अभिषेक करती है उन्होंने बताया कि सूर्य की पहली किरण से मंदिर का अभिषेक होना बहुत शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में सूर्य को ऊर्जा का स्रोत और ग्रहों का राजा माना जाता है। ऐसे में जब सूर्य देवता अपनी पहली किरण से भगवान का अभिषेक करते हैं।
तो उसे आराधना में और देवत्व का भाव जाग जाता है, सूर्य किरणाभिषेक होता है, सूरज की पहली किरण मंदिर के गर्भ गृह में स्थित शिवलिंग पर पड़ती है. मंदिर का वास्तु कुछ इस प्रकार है कि भोर की पहली किरण वेधशाला मंडप और गर्भगृह के छोटे से द्वार को चीरती हुई भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग पर पड़ती है. जैसे सूर्य देव को देखकर साथ ही भोलेनाथ को प्रणाम कर जग में उजियारा फैलाने की इजाजत मांगते हों।
इन दस दिनों को छोड़ दिया जाए तो ऐसा बाकी दिनों में कभी नहीं होता। हजारेश्वर महादेव मंदिर आस्था और शिल्प के बेजोड़ संगम के लिए प्रसिद्ध है। हजारेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित है।
इस मंदिर का निर्माण 1100 साल पहले हुआ था। वास्तुकला के बेजोड़ नमूने को निर्मित करने वाले की आकृति भी मंदिर के गुंबज के पास नजर आती है। मंदिर और मंदिर का शिखर श्रीयंत्र जैसा बना हुआ है। शिवलिंग भी चंद्राकार का है। भगवान शिव का यह मंदिर विख्यात होकर पावटा चौक के पास स्थित है।