Mahashivaratri 2025: इस दुर्लभ त्रिवेणी योग में शिव पूजन से मिलेगा अद्भुत लाभ
राजनीति सहित कई क्षेत्रों पर पड़ेगा प्रभाव, जानें शिव पूजन का शुभ मुहूर्त
जालोर। इस वर्ष महाशिवरात्रि पर अद्भुत त्रिवेणी योग बन रहा है। शास्त्री महेंद्र वेदव्यास के अनुसार, 26 फरवरी को सूर्य, बुध और शनि का कुंभ राशि में त्रिवेणी योग बनेगा, जिसका विश्व राजनीति और विभिन्न क्षेत्रों पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
महाशिवरात्रि का व्रत चतुर्दशी तिथि में रखा जाता है, जो बुधवार को प्रातः 11:10 बजे प्रारंभ होकर गुरुवार 08:56 बजे तक रहेगी। इस दिन श्रवण, धनिष्ठा नक्षत्र, परिघ और शिव योग रहेगा। गरुड़ पुराण के अनुसार, व्रत का संकल्प एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि को लेना चाहिए और चतुर्दशी को निराहार रहकर रात्रि के चारों प्रहर में भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।

शिव पूजन के नियम और अभिषेक के लाभ
भगवान शिव को पंचामृत से स्नान कराकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र से पूजन करना चाहिए। अभिषेक के विभिन्न द्रव्यों से अलग-अलग फल प्राप्त होते हैं:
- जल से वर्षा का आशीर्वाद
- कुशोदक से व्याधि शांति
- इक्षुरस से समृद्धि
- दूध से पुत्र प्राप्ति
- सरसों के तेल से शत्रु नाश
- मधु से राज्य लाभ
शिव परिवार का तत्वों से संबंध
शास्त्रों के अनुसार, शिव पंचतत्वों से निर्मित हैं और उनके परिवार के वाहन भी पंचतत्वों से जुड़े हैं। शिव स्वयं जल तत्व प्रधान हैं, उनका वाहन नंदी आकाश तत्व से जुड़ा है, माता गौरी अग्नि तत्व की प्रतीक हैं, जबकि गणेश पृथ्वी तत्व और स्वामी कार्तिकेय वायु तत्व से संबंधित हैं।
शिवरात्रि का विशेष पूजन मुहूर्त
शास्त्री वेदव्यास के अनुसार, इस वर्ष शिवपूजन का निशीथकाल मुहूर्त अर्धरात्रि 12:26 से 01:08 बजे तक रहेगा।
शिव को प्रिय चीजें और वर्जित वस्तुएं
भगवान शिव को आक, बिल्वपत्र, देशी घी, भांग, चीनी, दूध, दही, इत्र और केसर विशेष प्रिय हैं। शिव को शंख से जल, केतकी का पुष्प और कंकु चढ़ाना वर्जित है, हालांकि शिवरात्रि की अर्धरात्रि में सूखा कंकु चढ़ाया जा सकता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।”