Film Policy Meeting: राजस्थान में नई फिल्म और पर्यटन नीति पर मंथन: विशेषज्ञों ने सरकार को दिए अहम सुझाव
जयपुर देशभर में विभिन्न राज्य अपनी-अपनी फिल्म और पर्यटन नीतियाँ बना रहे हैं। इसी कड़ी में राजस्थान सरकार भी नई फिल्म और पर्यटन नीति तैयार करने की प्रक्रिया में है।

इस विषय पर चर्चा के लिए जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (JIFF) ने शनिवार को राजस्थान एडल्ट एजुकेशन एसोसिएशन में विशेषज्ञों और फिल्म उद्योग से जुड़े पेशेवरों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की।
राजस्थान के सिनेमा और संगीत उद्योग की प्रमुख हस्तियों ने इसमें भाग लिया और राजस्थानी सिनेमा की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं पर खुलकर चर्चा की।
JIFF के संस्थापक हनु रोज़ की पहल पर आयोजित इस बैठक में फिल्म उद्योग से जुड़े करीब दो दर्जन प्रमुख व्यक्तियों ने भाग लिया। उन्होंने राजस्थानी फिल्मों के निर्माण में आ रही चुनौतियों को उजागर किया। हनु रोज़ ने कहा कि इस चर्चा से निकले महत्वपूर्ण सुझावों को सरकार तक पहुँचाया जाएगा ताकि उन्हें नई नीति में शामिल किया जा सके।
राजस्थानी सिनेमा के लिए स्वतंत्र फेडरेशन बनेगा
बैठक में एक महत्वपूर्ण घोषणा की गई कि राजस्थानी सिनेमा से जुड़े पेशेवरों के लिए एक स्वतंत्र फेडरेशन का गठन किया जाएगा। यह फेडरेशन सरकार और फिल्म उद्योग से जुड़े हितधारकों के बीच सकारात्मक संवाद और सहयोग को बढ़ावा देगा।
बैठक में उठे 9 प्रमुख मुद्दे:
- पुरानी नीतियों की पुनरावृत्ति न हो
सरकार को 2022 की फिल्म पर्यटन प्रोत्साहन नीति और राजस्थानी भाषा की फिल्मों के लिए अनुदान नीति की पुनरावृत्ति नहीं करनी चाहिए। ये नीतियाँ जटिल और अप्रभावी साबित हुई हैं। जिससे न पर्यटन को लाभ हुआ और न ही फिल्म निर्माताओं को। - सरकार की मंशा स्पष्ट हो
सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि नई नीति का उद्देश्य फिल्म निर्माण को बढ़ावा देना है। पर्यटन को बढ़ाना है या दोनों का संतुलन साधना है। स्पष्ट उद्देश्य के बिना कोई भी नीति प्रभावी नहीं हो सकती। - नीति को सरल और प्रभावी बनाया जाए
फिल्म निर्माताओं को अनुदान और वित्तीय सहायता प्राप्त करने में कोई अड़चन न हो इसके लिए नई नीति को पारदर्शी और सरल बनाया जाए। - फिल्म निर्माताओं को विशेष सुविधाएँ मिलें
सरकार को फ्री शूटिंग लोकेशन, आतिथ्य समर्थन और राजस्थानी फिल्मों के लिए विशेष सिनेमा स्क्रीनिंग की सुविधा देनी चाहिए। - जल्दबाजी में नीति न बने
सरकार आईफा (IIFA) अवॉर्ड्स के मद्देनजर जल्दबाजी में फिल्म नीति बना रही है और उन्हीं लोगों से सलाह ले रही है जो पहले की असफल नीतियों के लिए ज़िम्मेदार थे। बैठक में सुझाव दिया गया कि नीति निर्माण में इन्हें दूर रखा जाए और यह कार्य अनुभवी फिल्म विशेषज्ञों के हाथ में दिया जाए। - व्यापक नीति निर्माण प्रक्रिया अपनाई जाए
नई नीति को अंतिम रूप देने से पहले राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा होनी चाहिए, क्योंकि फिल्म और पर्यटन दोनों ही वैश्विक उद्योग हैं। - अनुदान और सहायता के लिए विशेषज्ञ समिति बने
फिल्म अनुदानों और सहायता पर निर्णय लेने के लिए सरकारी अधिकारियों के बजाय राष्ट्रीय स्तर के अनुभवी फिल्म विशेषज्ञों की एक समिति बनाई जाए ताकि गुणवत्तापूर्ण सिनेमा को वित्तीय सहयोग मिल सके। - राजस्थान फिल्म विकास निगम की स्थापना हो
राजस्थान में एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर का फिल्म विकास निगम स्थापित किया जाए, जो फिल्म निर्माण और उससे जुड़ी समस्याओं का समाधान करे।- सर्वश्रेष्ठ फिल्म: ₹1 करोड़
- द्वितीय स्थान: ₹50 लाख
- तृतीय स्थान: ₹25 लाख
- अन्य पुरस्कारों में भी नकद राशि दी जाए
राजस्थानी फिल्मों के लिए पारदर्शी अनुदान प्रणाली बने
यह पारदर्शी प्रक्रिया भ्रष्टाचार, पक्षपात और वित्तीय दुरुपयोग को खत्म कर देगी। इससे न केवल रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, बल्कि राजस्थानी सिनेमा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
सरकार को करना चाहिए गंभीर विचार
बैठक में कहा गया कि यदि सरकार इस पर गंभीरता से विचार करे तो हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। दो-तीन वर्षों में राजस्थानी सिनेमा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकेगा। यदि ऐसा होता है, तो भविष्य में किसी विशेष फिल्म नीति की जरूरत नहीं पड़ेगी।
“आईफा के लिए 60 करोड़ खर्च कर सकती है, तो राजस्थानी सिनेमा के लिए 50 करोड़ क्यों नहीं?” चर्चा में यह सवाल भी उठा कि सरकार आइफा के लिए 60 करोड़ से ज्यादा खर्च कर रही है, लेकिन राजस्थानी सिनेमा को, जो हजारों लोगों को रोजगार दे सकता है, 50 करोड़ भी नहीं दे रही।
प्रमुख भागीदार और विशेषज्ञों के विचार
बैठक में फिल्म और मीडिया जगत के कई विशिष्ट व्यक्ति उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:
- UFO से नितिन शर्मा
- INOX के पूर्व जीएम अमिताभ जैन
- वीणा म्यूजिक से हेमजीत मालू
- वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र बोड़ा
- JIFF के फाउंडर हनु रोज
- फिल्मकार दीपांकर प्रकाश, राकेश गोगना, लोम हर्ष
- गायक रविंद्र उपाध्याय, संजय मलिक, राहुल सूद, अर्पित गंगवाल
- स्टेज ओटीटी से सुशांत शर्मा, अभिनेता हर्षित माथुर
- अनीश गौड़, अमित कुमार, नरेंद्र अरोड़ा, राकेश तेलार
- शहंशाह सूरी खान, राजकुमार चौहान
भविष्य की योजनाएँ
चर्चा के समापन पर हनु रोज़ ने फिल्म फेडरेशन के गठन की आवश्यकता पर जोर दिया। ताकि फिल्म निर्माताओं की समस्याओं का समाधान किया जा सके।
बता दे की जल्द ही यह चर्चा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर की जाएगी। इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है, जिसे राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी को प्रस्तुत किया जाएगा। हाल ही में दीया कुमारी ने भी कहा है कि “नई नीतियाँ सरल और स्पष्ट होनी चाहिए।